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Computer के मुख्य भाग

Computer के मुख्य भाग

दोस्तों, वर्तमान समय में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं है जिसमें कंप्यूटर का उपयोग नहीं किया जा रहा हो। आजकल कंप्यूटर का उपयोग प्रत्येक ऑफिस में किया जा रहा है। चाहें वह छोटा office हो या बड़ा।

यदि आप कंप्यूटर चलाना सीख जाएं तो आपके लिए नौकरी के अनेकों द्वारा खुल जाएंगे। इसके लिए आपको कंप्यूटर के बारे में Theorical व Practical दोनों प्रकार से जानकारी होनी चाहिए।

Parts of Computer
Parts of Computer

कंप्यूटर के भाग निम्न प्रकार से हैं-

1.इनपुट इकाई (Input Unit)

Computer में इनपुट साधनों का महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि User का सीधा संबंध इन्हीं डिवाइसों से होता है। इन्हीं के माध्यम से यूजर कंप्यूटर में अपना कोई काम करता है।

इनपुट उपकरणों का काम यह है कि हम अपनी भाषा में उन्हें जो भी डाटा या आदेश देते हैं वह उसे बाइनरी कोड (binary code) में बदलकर कंप्यूटर में भेज देते हैं अर्थात् सी.पी.यू. में भेज देते हैं। इनपुट इकाई द्वारा निम्नलिखित मुख्य काम किए जाते हैं-

  • यूजर द्वारा दिए गए डेटा को Computer System को उपलब्ध कराना।
  • User द्वारा दिए गए निर्देशों को प्राप्त करना।
  • यूजर द्वारा दिए गए निर्देशों को कंप्यूटर द्वारा Accept किए जाने वाले रूप में बदल देना।

इनपुट साधनों को इतना सरल बनाया गया है कि उसको कोई भी यूजर बिना किसी कठिनाई के उपयोग कर सकता है यह निम्न प्रकार के होते हैं; जैसे- माउस, की-बोर्ड, ट्रैक बॉल, रोलर, आधुनिक कंप्यूटरों में की-बोर्ड, लाइटपैन, जॉयस्टिक, स्कैनर, मार्कसेंस रीडर, ऑप्टिकल रीडर आदि।

2.आउटपुट इकाई (Output Unit)

Computer में आउटपुट के साधनों का भी महत्वपूर्ण स्थान है। इसका भी तू जड़ से सीधा संबंध होता है। कंप्यूटर में काम करने के लिए यूजर को आउटपुट और इनपुट दोनों प्रकार के साधनों की आवश्यकता होती है।

जिस तरह से इनपुट उपकरण, यूजर द्वारा दिए गए डाटा को बाइनरी कोड में बदलकर कंप्यूटर को भेजता है। ठीक उसी प्रकार से आउटपुट उपकरण Computer से प्राप्त होने वाले परिणामों को, जो बाइनरी कोड में होते हैं, उसको हमारे लिए उचित संकेतों यह भाषा तथा चित्रों में बदलकर उपलब्ध कराते हैं। आउटपुट साधन द्वारा निम्नलिखित काम किए जाते हैं-

  • किसी भी प्रकार की सूचना और संदेशों को तुरंत ही दिखाना।
  • Computer operator अर्थात् यूजर को संकेतों की जानकारी देना।
  • कंप्यूटर द्वारा दिए गए परिणामों को सेकेंडरी स्टोरेज इकाई में स्टोर करना।
  • Computer System द्वारा दिए गए परिणामों को यूजर को दिखाना।

आउटपुट साधनों को इतना सरल बनाया गया है कि उसको कोई भी यूजर बिना किसी कठिनाई के उपयोग कर सकें यह साधन हमारे आवश्यकतानुसार कई प्रकार के होते हैं; जैसे- मॉनीटर, विभिन्न प्रकार के प्रिंटर, ग्राफ प्लॉटर, स्पीकर आदि।

3.CPU

सी.पी.यू. की फुल फॉर्म ‘सेन्ट्रल प्रोसेसिंग इकाई (Central Processing Unit)’ होती है। यह इकाई ही वास्तविक कंप्यूटर है। इसी को कंप्यूटर का हृदय और मस्तिष्क कहते हैं। कंप्यूटर द्वारा किए जाने वाले का CPU द्वारा ही किए जाते हैं। इनपुट आउटपुट के डिवाइस तो केवल कंप्यूटर से हमारा संबंध जोड़ने का काम करते हैं।

CPU
CPU

माइक्रोकंप्यूटर या पी.सी. के CPU मैं छोटा सा माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor) होता है। अधिक बड़े कंप्यूटर में यह एक से अधिक हो सकते हैं।

इस सी.पी.यू. के Microprocessor पर तीन भागों का सर्किट होता है। वह हैं- सी.यू. (CU), ए.एल.यू. (ALU) और रजिस्टर (Register) Microprocessor का चिप आधा इंच का वर्गाकार Silicon पदार्थ का टुकड़ा होता है जो एक Case में छोटे-छोटे Connectors के साथ व्यवस्थित रहता है। कुछ माइक्रोप्रोसेसर Intel 4004, Intel 80286, Intel 80486, पेण्टियम, पेण्टियम प्रो, पेण्टियम-ll, पेण्टियम-lll, पेण्टियम-lV आदि हैं।

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4.कण्ट्रोल इकाई (Control Unit)

कंप्यूटर का यह भाग बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह कंप्यूटर में होने वाले सभी कामों पर नजर रखता है और उनमें परस्पर तालमेल बैठाने के लिए उचित आदेश भेजता है। इसका सबसे मुख्य पहला काम मिला होता है कि हम जिस Program का पालन कराना चाहते हैं, यह उसे Memory में से क्रमशः पढ़कर उसका Analysis करता है और उसका पालन करता है।

किसी आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए CU Computer के दूसरे सभी भागों को उचित निर्देश जारी करता है उदाहरण के लिए, Memory को आदेश दिया जाता है कि वह कोई डाटा किसी विशेष स्थान पर स्टोर कर दे या वहां से पढ़कर A.L.U. में भेज दे।

5.ALU

ALU की फुल फॉर्म ‘अंकगणितीय तथा तार्किक इकाई (Arithmetic and Logic Unit)’ होती है। यह unit CPU के लिए सभी प्रकार की अंकगणितीय क्रियाएं जैसे- जोड़ना, घटाना, भाग देना तथा गुणा करना आदि और तुलनाएं (दो संख्याओं में यह बताना है कि कौन-सी छोटी या बड़ी है या दोनों बराबर हैं) करता है, जिनमें एक ओर से कोई दो संख्याएं भेजने पर दूसरी ओर उनका योग, गुणनफल, अन्तर या भागफल प्राप्त हो जाता है।

कंप्यूटर में जितनी भी क्रियाएं है जोड़, घटाना, गुणा व भाग होती हैं वह सभी बाइनरी पद्धति में की जाती हैं। प्राप्त होने वाली क्रियाओं या संख्याओं के Results को अस्थायी रूप से Store करने या रखने के लिए Computer में कई विशेष बाइटें होती हैं, जिन्हें रजिस्टर (Register) कहा जाता है।

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6.PSU

PSU की फुल फॉर्म ‘प्राइमरी स्टोरेज इकाई (Primary Storage Unit)’ होती है। यह कंप्यूटर का Working Storage है। इसमें सूचना, डाटा और Program Process के दौरान स्थित रहते हैं और जरूरत पड़ने पर तुरंत उपलब्ध होते हैं। इस Memory में Store के लिए अनेक स्थान होते हैं जिनकी संख्या निश्चित होती है प्रत्येक स्थान या Location का एक Address होता है। यह स्थान की Memory का Size या Memory Capacity कहलाता है; जैसे- 256 kB, 630 MB, 1.2 GB, 2.1 GB, 4 GB आदि।

Computer की Main Memory दो प्रकार की होती है, जो कि निम्न प्रकार से है-

(i)RAM

RAM की फुल फॉर्म ‘Random Access Memory’ होती है। कंप्यूटर की यह रीड या राइट Memory होती है। ऐसी चिप जिसमें डाटा का read and write दोनों संभव होते हैं। यह कंप्यूटर की अस्थायी मैमोरी (Volatile Memory) होती है। इसमें data अस्थायी रूप से Store रहते हैं। Computer बंद होने या विद्युत आपूर्ति बंद हो जाने पर RAM में Store data मिट जाता है।

यही कारण है कि इसे अस्थायी मैमोरी भी कहते हैं। इसमें Key-Board या अन्य किसी इनपुट साधन से Accept किया गया डाटा, Process से पहले Store होता है, जिसे CPU द्वारा आवश्यकतानुसार वहां से ले लिया जाता है; जैसे- 1 MB, 2 MB, 4 MB, 8MB, 16 MB, 32 MB, 64 MB, 128 MB, 256 MB, 512 MB, 1 GB आदि।

(ii)ROM

ROM की फुल फॉर्म ‘Read Only Memory’ होती है। यह एक स्थायी मैमोरी होती है। यह मैमोरी चिप केवल डाटा को Read कर सकती हैं। इस Memory में कंप्यूटर बनाने के समय Program Store कर दिए जाते हैं। कंप्यूटर में Store Program को न तो नष्ट किया जा सकता है और न ही बदला जा सकता है, इसको केवल use किया जा सकता है।

जब हम Computer का Switch on करके Program को Active करते हैं, तब ROM Memory कंप्यूटर बनाने के समय स्थाई रूप से Store Program अपने आप ही चालू हो जाते हैं। यह प्रोग्राम कंप्यूटर से जुड़े सभी उपकरणों को Check करके उन्हें सक्रिय अवस्था में लाते हैं। ROM में उपस्थित यह Program बायोस (BIOS- Basic Input Output System) कहलाते हैं। ROM एक Semiconductor Chip है, जिसमें Program or Software Store रहते हैं।

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