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आग क्या है, आग के प्रकार, आग लगने के कारण?

आग क्या है, आग के प्रकार, आग लगने के कारण

किसी ज्वलनशील पदार्थ का जलना ही अग्नि है। इससे प्रकाश एवं गर्मी उत्पन्न होती है। आग के लिए ऑक्सीजन और ईंधन आवश्यक तत्व होते है। आग एक रासायनिक प्रतिक्रिया है, जिसमें ऊष्मा के रूप में ऊर्जा उत्पन्न होती है। जो उष्मा, प्रकाश और अन्य अनेक रासायनिक प्रतिकारक उत्पाद जैसे कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होते हैं। जब वन ईंधन जलते हैं, तो हवा में ऑक्सीजन का एक रासायनिक संयोजन होता है जिसमें लकड़ी के पदार्थ, पिच और जंगल के वातावरण में पाए जाने वाले अन्य जलने योग्य तत्व होते हैं।

दूसरे शब्दों में कहें आग दहन की प्रक्रिया का दृश्य प्रभाव है – एक विशेष प्रकार की रासायनिक प्रतिक्रिया। यह हवा में ऑक्सीजन और किसी प्रकार के ईंधन के बीच होता है।और परमाणु खुद को अपरिवर्तनीय रूप से पुनर्व्यवस्थित करते हैं।

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आग लगने के कारण ( Causes of Fire )

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  1. विद्युतीय तारों का ढीला होना।
  2. विद्युतीय तारों पर अधिक लोड का होना।
  3. बिजली के शॉर्ट सर्किट से।
  4. कारखानों में धूम्रपान करने से।
  5. तेज चलने वाली मशीनों में तेल का न होना।
  6. ज्वलनशील पदार्थों का ध्यान न रखने से।

आग के प्रकार ( Types of Fire )

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  1. श्रेणी ‘A’ प्रकार की आग ( Class ‘A’ Type Fire ): लकड़ी, कागज, कपड़े एवं ठोस धातुओं में लगी आग को श्रेणी, A, प्रकार की आग में रखा जाता है इस प्रकार की आग को बुझाने के लिए पहले आग की तली में पानी डाला जाता है तत्पश्चात् आग के ऊपर पानी के फुव्वारे डाले जाते हैं।
  2. श्रेणी ‘B’ प्रकार की आग ( Class ‘B’ Type Fire ): ज्वलनशील द्रव तथा गलनशील ठोस में लगी आग को श्रेणी, B, प्रकार की आग में रखा जाता है। इस प्रकार की आग को बुझाने के लिए co², फोम एवं सूखा पाउडर उपयोग किया जाता है। इस प्रकार की आग बुझाने में पानी का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  3. श्रेणी ‘C’ प्रकार की आग ( Class ‘C’ Type Fire ): गैस एवं द्रवित गैस में लगी आग को श्रेणी ‘C’ प्रकार की आग में रखा जाता है। चित्र 1.13 : श्रेणी ‘C’ प्रकार की आग द्रवित गैस की आग को अधिक सावधानी के साथ बुझाना चाहिए क्योंकि इसमें विस्फोट एवं अचानक आग फैलने का डर हमेशा बना रहता है। इस प्रकार की आग को बुझाने के लिए ड्राई पाउडर वाले फायर एक्सटिंग्यूशर का प्रयोग किया जाता है।
  4. श्रेणी, D, प्रकार की आग ( Class, D, Type Fire ): धातु अथवा विद्युत से लगी आग को श्रेणी, D, प्रकार की आग में रखा जाता है। इस प्रकार की आग को बुझाने के लिए कार्बन डाई – ऑक्साइड ( Co. ), ड्राई पाउडर, CTC एक्सटिंग्यूशर का प्रयोग किया जाता है। प्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा ही आग बुझाई जानी चाहिए।

आग बुझाने के साधन ( Fire Fighting Equipments )

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  • पानी से भरी बाल्टी
  • रेत से भरी बाल्टी
  • केनवास शीट
  • अग्निशामक यंत्र

उपरोक्त साधनों में से अग्निशामक यंत्र ( Fire Extinguisher ) बहुतायत से प्रयोग किए जाते हैं जो निम्न प्रकार के होते हैं।

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  1. जल से भरे एक्सटिंग्यूशर ( Water Filled Extinguisher ): कोयले अथवा लकड़ी से लगी आग को पानी से बुझाया जाता है, जिसके लिए दो प्रकार के जल से भरे एक्सटिंग्यूशर प्रयोग किए जाते हैं जो निम्न प्रकार हैं 0 स्टोर्ड प्रेशर टाइप ( ii ) गैस कार्टिड्ज टाइप ये कोयले अथवा लकड़ी से लगी आग को बुझाने के लिए एक विशेष प्रकार का उपकरण होता है जो कि वर्कशॉप में उचित स्थान पर लटका होता है। ये छोटे – बड़े आकारों में उपलब्ध रहते हैं।
  2. हेलोन / सी.टी.सी फायर एक्सटिंग्यूशर ( Halon / C.T.C Fire Extinguisher ): इस यंत्र का उपयोग बिजली से लगी आग को बुझाने में किया जाता है। पीतल से बने सिलेण्डर को कार्बन टेट्रा क्लोराइड तथा ब्रोमोक्लोरो डाई फ्लोरो मीथेन ( BCF ) के तरल पदार्थ से भर दिया जाता एवं सिलेण्डर के ऊपर फोर्स पम्प लगा होता है जिसे विशेष प्रकार के हैण्डल से दबाने पर तरल पदार्थ भाप के रूप में बाहर निकलता है जो कि आग को बुझाने का कार्य करता है।नये कोयले अथवा लकड़ी से लगी आग को बुझाने के लिए एक विशेष प्रकार का उपकरण होता है जो कि वर्कशॉप में उचित स्थान पर लटका होता है। ये छोटे – बड़े आकारों में उपलब्ध रहते हैं।
  3. सूखा पाउडर एक्सटिंग्यूशर ( Dry Powder Extinguisher ): इस प्रकार के फायर एक्सटिंग्यूशर में सूखा पाउडर भरा जाता है। ये गैस कार्टिड्ज या स्टोर्ड दोनों प्रकार के हो सकते हैं। इनकी संरचना एवं कार्यविधि पानी से भरे एक्सटिंग्यूशर के समान होती है। इनकी प्रमुख पहचान करने का लक्षण इनका फोर्क के आकार का नॉजल है। इसे, B, क्लास की आग बुझाने के लिए उपयोग किया जाता है।
  4. फोम फायर एक्सटिंग्यूशर ( Foam Fire Extinguisher ): ये फोम संग्रहित दाब या गैस कार्टिड्ज प्रकार के होते हैं। यह ज्वलनशील रहित द्रव्य आग तथा रनिंग तैलीय आग के लिए उपयुक्त है। इसे विद्युत उपकरणों में लगी आग के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसमें दो कन्टेनर होते हैं -एक बाह्य तथा दूसरा आन्तरिक। बाह्य कन्टेनर में सोडा बाई कार्बोनेट का घोल तथा आन्तरिक कन्टेनर में एल्युमिनियम सल्फेट का घोल होता है। पहचान के लिए इसकी बॉडी परं भूरे रंग के हाथ का चिन्ह होता है।
  5. सोडा एसिड फायर एक्सटिंग्यूशर ( Soda Acid Fire Extinguisher ): लकड़ी, कोयले इत्यादि से लगी आग या कपड़ों से लगी आग को बुझाने के लिए सोडा एसिड फायर एक्सटिंग्यूशर का प्रयोग किया जाता है। इसकी पहचान के लिए इसकी बॉडी पर पीले रंग के हाथ का निशान होता है।
  6. कार्बन डाई-ऑक्साइड ( CO², ) फायर एक्सटिंग्यूशर ( Carbon Di – oxide Fire Extinguisher ): ये विशिष्ट आकार के कारण आसानी से पहचाने जाते हैं इसकी टंकी पर Co, लिखा होता है। जमाव के कारण प्रदूषण को रोकने के लिए यह ज्यादा उपयुक्त माना जाता है। साधारणतः ये खुली हवा में प्रभावी नहीं होते हैं। ये प्लंजर, लीवर एवं ट्रिगर आदि रूप में उपलब्ध होते हैं। ये क्लास, B, प्रकार की आग बुझाने के लिए उपयोग किए जाते है

कार्यशालाओं में आग लगने से बवाव के उपाय ( Safety Planning of Fire in Workshops )

कार्यशाला में विभिन्न प्रकार के कार्य होते हैं जिसमें विद्युत सम्बन्धी कार्य भी होते हैं तथा कार्यशाला में विभिन्न प्रकार के स्नेहक ( Lubricant ) पदार्थ व अन्य ज्वलनशील पदार्थ भी पड़े रहते हैं, इसलिए कार्यशाला में कार्य करते समय जरा सी असावधानी बरतने से भयंकर आग लग सकती है। अतः उस समय निम्नलिखित बिन्दुओं का ध्यान रखना चाहिए।

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  1. स्नेहक, तेल व अन्य ज्वलनशील पदार्थों का मुख्य कार्यशाला से अलग भण्डार होना चाहिए जिससे आग लगने पर वे इससे दूर रहें।
  2. कार्यशाला में तेल व अन्य चिकने पदार्थों से भरे कपड़े व जूट जगह – जगह न विखरे हो, इनसे शीघ्र आग लग सकती है। इस तरह के कपड़े व जूट को एक कचरा पात्र में इकट्ठा करें व आवश्यक न होने पर इन्हें दूर फेंक दें।
  3. कार्यशाला में विद्युत फिटिंग सही होनी चाहिए। फिटिंग के तार नंगे होने, कनेक्शन के जोड़ ढीले होने से चिंगारी उत्पन्न होकर आग लगने का कारण बन सकती है।
  4. कार्यशाला में मशीनों के अनुसार उचित विद्युत लोड होना चाहिए। क्षमता से अधिक करन्ट लेने पर तारों में आग लगने का भय रहता है।
  5. विद्युत कार्यों में प्रयुक्त औजारों व तारों पर पर्याप्त इन्सुलेशन होना चाहिए। यदि पर्याप्त इन्सुलेशन न हो तो तारों आदि को बदल देना चाहिए। खुले तारों के आपस में मिलने से चिंगारी या आग लग सकती है।
  6. कार्यशाला में धूम्रपान नहीं करना चाहिए क्योंकि बीड़ी – सिगरेट के जले हुए टुकड़े इधर – उधर फैंक दिए जाते हैं जो कई बार आग लगने का प्रमुख कारण बन जाते हैं।
  7. कार्यशाला में खुली आग कभी नहीं जलानी चाहिए क्योंकि छोटी – सी चिंगारी भयंकर आग का कारण बन सकती है।
  8. वैल्डिंग के गैस सिलेण्डर हमेशा निश्चित व सुरक्षित स्थानों पर ही रखने चाहिए।
  1. इलैक्ट्रीशियन ट्रेड
  2. व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य
  3. सुरक्षा के प्रकार
  4. सुरक्षा चिन्ह
  5. मूल प्राथमिक उपचार
  6. प्रारम्भिक प्राथमिक उपचार
  7. चोट के प्रकार एवं बचाव

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