कार्यशाला ( Workshop ) में कार्य करते समय कब दुर्घटना घटित हो जाए किसी को पता नहीं रहता और न ही कार्यशाला में हर समय विदित्सक उपलब्ध रहता है। ऐसी स्थिति में दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल ले जाने से पहले तुरन्त चिकित्सा देने के लिए कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण देना चाहिए, जिससे जरूरत पड़ने पर प्राथमिक उपचार किया जा सके। रोग या चोट लगने पर किसी डॉक्टर के उपचार से पूर्व अप्रशिक्षित व्यक्ति द्वारा जो सीमित उपचार दिया जाता है उसे ही प्राथमिक उपचार (First Aid) कहते हैं। प्राथमिक उपचार के लिए कार्यशाला में निम्नलिखित साधन व दवाइयां होनी चाहिए।
- टिंचर आयोडीन
- टिंचर बैंजीन
- डिटॉल
- बरनॉल
- दर्द निवारक गोलियां
- बैन्डेज & सेफ्टी पिन
- रूई
- कच्चा प्लास्टर
- लकड़ी की खपच्चियां
- जाली वाला कपड़ा
- गिलास
- ड्रॉपर
- स्ट्रैपर इत्यादि।
उपरोक्त साधनों द्वारा दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल ले जाने से पूर्व प्राथमिक उपचार दिया जा सकता है । प्राथमिक उपचार के समय ध्यान देने योग्य बातें ( Points to be considered while giving first aid )
- दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की चोट व पीड़ा को देखकर घबराना नहीं चाहिए।
- दुर्घटना के बारे में बातें करके समय न गंवाकर जल्दी से जल्दी प्राथमिक उपचार देना चाहिए।
- दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति बेहोश है तथा खून निकल रहा है तो सबसे पहले खून रोकने की कोशिश करनी चाहिए।
- प्राथमिक उपचार से पहले जांच ले कि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति का दर्द कैसा व कहां हो रहा है।
- दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को तुरन्त दुर्घटना स्थल से हटाकर दूसरे स्थान पर आराम की स्थिति में लिटाएं या मैठाएं।
- दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति के पास ज्यादा भीड़ न होने दें खुली हवा आने दें।
- जले व्यक्ति को कम्बल से ढक दें, हवा न लगने दें।
- आग लगने व बिजली से झटका आने की स्थिति में कार्यशाला के मेन स्विच को ऑफ कर दें व फायर ब्रिगेड को सूचित करें ।
- दुर्घटना स्थल के प्रमाण नष्ट न करें।
- शीघ्र चिकित्सक को सूचित करें व आवश्यकता होने पर दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति को उनके पास ले जाएं।
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