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ITI Electrician course Syllabus details in Hindi
ITI Electrician 1st Year course Syllabus
- ट्रेड का परिचय , व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य ( TRADE INTRODUCTION , OCCUPATIONAL SAFETY AND HEALTH )
- इलैक्ट्रीशियन ट्रेड
- व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य
- सुरक्षा सावधानियां
- सुरक्षा के प्रकार
- सुरक्षा चिन्ह
- मूल प्राथमिक उपचार
- प्रारम्भिक प्राथमिक उपचार
- चोट के प्रकार एवं बचाव
- आग क्या है, आग के प्रकार, आग लगने के कारण?
- आपदा क्या है? (What is disaster?)
- तकनीकी आपातस्थिति ( technical emergency )
- विद्युत खराबी क्या है इसे कैसे ठीक करें? (POWER FAILURE )
- व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE- PERSONAL PROTECTIVE EQUIPMENTS )
- सुरक्षा के प्रकार, Types Of Safety In Hindi?
- सॉफ्ट स्किल्स ( SOFT SKILLS ) और समय प्रबंधन की महत्त्वता-
- 5 ‘ संकल्पना
- इलैक्ट्रिकल मेन्स किसे कहते है?
- मानक एवं मानकीकरण
- इकाइयों की SI प्रणाली
- ग्राफिकल संकेत या चिन्ह
- BIS के आधार पर विद्युतीय वायरिंग संबंधित चिन्ह
- स्टार्टरों के चिन्ह
- मशीनों के चिन्ह
- मापका यंत्रों में प्रयोग किए जाने वाले चिन्ह
- इलेक्ट्रॉनिक्स परिपथों में प्रयोग किए जाने वाले चिन्ह
- ITI संस्थान के विभिन्न भागों का भ्रमण एवं अवलोकन
- सामान्य हस्त औजार ( COMMON HAND Tools )
- ट्रेड हस्त औजार की पहचान , विशिष्टताएं एवं उपयोग
- हस्त औजारों का अनुरक्षण
- टॉप 10 इलेक्ट्रीशियन टूल | top 10 electrician tools
- प्रारम्भिक विद्युत ( PRIMARY ELECTRICITY )
- इलेक्ट्रॉन क्या है? | इलेक्ट्रॉन के प्रकार | उदाहरण
- मुक्त इलेक्ट्रॉन
- विद्युत सम्बन्धी प्रमुख शब्दावली
- मूलभूत इकाइया
- विद्युत धारा के प्रभाव।
- विद्युत पदार्थ एवं केबल ( ELECTRICAL , MATERIALS AND Cables )
- विद्युतीय पदार्थ किसे कहते है?
- विद्युतरोधक क्या होता है? | विद्युतरोधक के प्रकार
- अनुमेय ताप वृद्धि ( PERMISSIBLE TEMPERATURE RISE )
- तार क्या है? | धारा वहन क्षमता | तार की विशिष्टताएं
- केबल क्या होता है? | केबल के भाग
- केबलों का वर्गीकरण ( Classification of Cables )
- केबल का काम क्या है? | सबसे अच्छी केबल कौन सी होती है?
- राष्ट्रीय विद्युत कोड
- केबलों को उपयोग करने में अपनाई जाने वली सावधानियां जोड़
- सोल्डरिंग ( SOLDERING )
- सोल्डरिंग क्या है? तथा इसके प्रकार
- पलक्स
- सोल्डरिंग प्रक्रिया
- सोल्डरिंग से सम्बन्धित सावधानियां एवं देखभाल
- डी.सी. परिपथ ( D.C. CIRCUIT )
- प्रतिरोध
- प्रतिरोधक
- प्रतिरोधक के प्रकार
- प्रतिरोध के नियम
- तापमान का प्रतिरोध पर प्रभाव
- प्रतिरोधकों का संयोजन
- ओम का नियम
- किरचॉफ का नियम
- प्रतिरोध का मापन
- व्हीटस्टोन सेतु
- सामान्य विद्युतीय उपसाधन ( COMMON ELECTRICAL ACCESSORIES )
- NEC के अनुसार विद्युत कार्यों में काम में आने वाले उपसाधन
- वायरिंग के लिए आवश्यक सामग्री
- घरेलू विद्युतीय परिपथ
- अलार्म परिपथ
- फायर अलार्म
- सैल एवं बैट्री ( CELL AND BATTERY )
- विद्युत धारा का रासायनिक प्रभाव
- विद्युत अपघटन के फैराडे के नियम
- विद्युत अपघटन के अनुप्रयोग
- सेल एवं बैटरी क्या होता है? | संरचना | प्रकार
- प्राथमिक सैल क्या होते है? | अर्थ | प्रकार
- द्वितीयक सैल किसे कहते है? | प्रकार | प्राथमिक सैल में अंतर
- बैट्रियों के दोष | कारण | निवारण
- बैट्री को चार्ज करने की विधियां | बैटरी पुनः चार्ज करें
- बैट्री की दक्षता क्या है? | बैट्री की दक्षता कैसे पता करें?
- सैलों का समूह | प्रकार | Group of cells type of cells
- प्राथमिक ओर द्वितीयक सैल / बैट्री की विशिष्टताएं?
- बैट्री की चार्ज दर क्या होती है? | घनत्व मापना | प्रभाव
- बैट्री की देखभाल एवं सावधानियां
- एनोडाइजिंग | कैथोडिक सुरक्षा क्या है?
- इन्वर्टर क्या होता है? | कार्य | प्रकार | अनुप्रयोग
- बैट्री चार्जर क्या ओर कैसा होता है? | बैटरी चार्जर कैसे बनाए?
- UPS क्या है? | कैसे काम करता है? | UPS के प्रकार?
- सोलर सैल / बैट्री क्या है? | उपयोग | सिंबल
- वर्कशॉप टूल्स ( WORKSHOP Tools )
- फिटिंग टूल्स
- कारपेन्ट्री टूल्स
- शीट मैटल टूल्स
- चुम्बकत्व ( MAGNETISM )
- चुम्बक एवं चुम्बकत्व
- चुम्बकों का वर्गीकरण
- चुम्बक बनाने की विधियां
- चुम्बक के गुणधर्म
- चुम्बकीय पदार्थ
- चुम्बकता सम्बन्धी महत्वपूर्ण परिभाषाएं
- विद्युत चुम्बकत्व
- घारा ले जा रहे चालक में घुम्बकीय क्षेत्र
- सोलेनॉयड
- भंवर धाराएं
- हिस्टेरेसिस तथा B – H वक्र
- चुम्बकों का रख – रखाव एवं अनुरक्षण
- विद्युत चुम्बकीय प्रेरण
- वैद्युत – स्थैतिकी
- संधारित्र
- Ac सिस्टम ( AC SYSTEM )
- दिष्ट धारा एवं प्रत्यावर्ती धारा
- प्रत्यावर्ती धारा एवं दिष्ट धारा में तुलना
- DC की अपेक्षा AC के लाभ
- DC की अपेक्षा AC की हानियां
- प्रत्यावर्ती धारा से सम्बन्धित शब्दावलियां
- श्रेणी परिपथों में पावर
- समान्तर परिपथों में पावर
- AC परिपथ में शुद्ध प्रतिरोध , इन्डक्टैन्स तथा कैपेसिटेन्स
- AC परिपथ में प्रतिरोध तथा इन्डक्टैन्स श्रेणी क्रम में
- AC परिपथ में प्रतिरोध तथा कैपेसिटैन्स श्रेणी क्रम में
- AC परिपथ में प्रतिरोध , इन्डक्टैन्स तथा कैपेसिटैन्स श्रेणी क्रम में
- AC परिपथ में प्रतिरोध तथा इन्डक्टन्स समान्तर क्रम में AC परिपथ में प्रतिरोध तथा कैपेसिटैन्स समान्तर क्रम में AC परिपथ में प्रतिरोध , इन्डक्टैन्स तथा कैपेसिटैन्स समान्तर क्रम में
- शक्ति गुणक
- सक्रिय एवं आभासी पावर
- सिंगल फेज विधुत प्रणाली
- तीन – फेज विद्युत प्रणाली
- सिंगल – फेज एवं तीन – फेज में तुलना
- तीन – फेज प्रणाली से सम्बन्धित शब्दावलियां
- स्टार संयोजन
- डेल्टा संयोजन
- तीन – फेज बैलेन्सड परिपथ में पावर का मापन
- 3 फेज अनबैलेंस परिपथ के पावर का मापन
- AC परिपथ पर आधारित समस्याएं।
- अर्थिग ( EARTHING )
- अर्थिग का महत्त्व
- अर्थिंग से सम्बन्धित महत्वपूर्ण परिभाषाएं
- अर्थिंग की विभिन्न विधियां
- अर्थ लीकेज सर्किट ब्रेकर
- IS : 3034-1966 के अनुसार अर्थिग विशिष्टताएं
- अर्थिग के लाभ और हानियां
- अर्थिग के लिए IEC 60364 के दिशा – निर्देशानुसार BIS मानक
- अर्थ प्रतिरोध का मान कम करना
- बेसिक इलैक्ट्रॉनिक्स ( BASIC ELECTRONICS )
- अर्द्ध-चालक
- N- प्रकार का अर्द्धचालक
- P- प्रकार का अर्द्धचालक
- N- प्रकार तथा P- प्रकार के अर्द्धचालकों में अन्तर
- P – N संधि
- PN संधि डायोड
- जीनर डायोड
- वेरेक्टर डायोड
- टनल डायोड
- प्रकाश उत्सर्जक डायोड
- फोटो डायोड
- डायोड पैरामीटर
- हीट सिंक
- डायोड रेक्टिफायर
- फिल्टर परिपथ
- ऑसिलोस्कोप एवं ट्रांजिस्टर ( Oscilloscope and Transistor )
- कैथोड – रे ऑसिलोस्कोप
- कैथोड – रे ऑसिलोस्कोप के भाग
- ट्रांजिस्टर
- ट्रांजिस्टर के प्रकार
- ट्रांजिस्टर के सिरे
- ट्रांजिस्टर की संरचना
- ट्रांजिस्टर का कार्य सिद्धान्त
- ट्रांजिस्टर के गुण
- ट्रांजिस्टर की वायरिंग
- ट्रांजिस्टर कनेक्शन
- ट्रांजिस्टर के मोड
- ट्रांजिस्टर की विशिष्टताएं
- ट्रांजिस्टर रेटिंग
- ट्रांजिस्टर परिपथ अभिविन्यास
- प्रवर्धक एवं दोलित्र ( amplifier and oscillator )
- प्रवर्धक
- ट्रांजिस्टर प्रवर्धक
- प्रवर्धकों का वर्गीकरण
- दोलित्र
- दोलित्र का सिद्धान्त
- दोलित्र स्टेज
- दोलित्र के लिए Barkhausen शर्ते
- दोलित्रों का वर्गीकरण
- दोलित्र के अनुप्रयोग
- इन्टीग्रेटेड सर्किट्स
- टाइमर IC – 555
- पावर अर्द्धचालक युक्तियां ( Power Semiconductor Device)
- यूनि जंक्शन ट्रांजिस्टर
- क्षेत्र प्रभावी ट्रांजिस्टर
- मैटल ऑक्साइड अईचालक क्षेत्र प्रभावी ट्रांजिस्टर
- सिलिकॉन नियंत्रित रेक्टिफायर
- डायक
- ट्रायक
- ट्रायक व डायक में अंतर
- इन्सुलेटेड गेट बाइपोलर ट्रांजिस्टर
- गेट टर्न ऑफ स्विच
- डिजिटल इलैक्ट्रॉनिक्स ( DIGITAL ELECTRONICS )
- संख्या पद्धति
- संख्या पद्धति रूपान्तरण
- लॉजिक गेट्स
- संयुक्त परिपथ
- फ्लिप – फ्लॉप
- रजिस्टर
- काउन्टर
- विद्युत वायरिंग ( electrical wiring )
- भारतीय विद्युत नियम
- विद्युत वायरिंग स्थापना के नियम
- वायरिंग प्रणालियां
- वायरिंग के प्रकार
- वायरिंग की विशिष्टताएं
- केबल
- वायरिंग का निरीक्षण
- विद्युत वायरिंग का परीक्षण
- वायरिंग परीक्षण यंत्र – मैगर
- वोल्टतापात संकल्पना
- मरम्मत व रख-रखाव हेतु डेटाशीट तैयार करना
- पावर वायरिंग
- कन्ट्रोल वायरिंग
- सूचना संचार मनोरंजक वायरिंग
- स्ट्रक्चर्ड केबलिंग सिस्टम
- फ्यूज , रिले एवं मिनिएचर सर्किट ब्रेकर ( Fuse, Relay & Miniature Circuit Breaker )
- फ्यूज
- मिनिएचर सर्किट ब्रेकर
- रिले
- अर्थ लिकेज सर्किट प्रेकर
- डी.सी. मशीन ( D.C. MACHINES )
- डी . सी . जेनरेटर ( D.C. GENERATOR )
- डी.सी. जेनरेटर
- डी.सी. जेनरेटर का कार्य सिद्धान्त
- डी.सी. जेनरेटर की बनावट
- विद्युत वाहक बल
- आमेचर वॉयन्डिंग
- डी.सी.जनरेटर का वर्गीकरण
- आर्मेचर प्रतिक्रिया
- कम्युटेशन
- डी.सी. जेनरेटर में हानियां
- डी.सी. शन्ट जेनरेटरों को समानान्तर क्रम में चलाना
- डी.सी , कम्पाउण्ड जेनरेटरों को समानान्तर क्रम में चलाना
- डी.सी , जेनरेटर में दोष के कारण एवं उनके निवारण
- डी.सी , जेनरेटर क्षमता ( n )
- डी.सी. जेनरेटर के अनुप्रयोग
- समस्या निवारक रखरखाव
- नियमित रखरखाव
- डी.सी. जेनरेटर की देखभाल
- डी. सी. मोटर ( D.C. MOTOR )
- डी.सी मोटर का सिद्धान्त
- डी.सी. मोटर की कार्यविधि
- डी.सी. मोटर में टॉर्क
- डी.सी. मोटर में बैक विद्युत वाहक बल
- डी.सी. मोटर में गति व धूव फलक्स का सम्बन्ध
- डी.सी. मोटरों का वर्गीकरण
- डी.सी. मोटर स्टार्टर
- डी.सी. मोटर का गति नियंत्रण
- गति नियंत्रण की वार्ड – लियोनार्ड पद्धति
- डी.सी. सिरीज मोटर का गति नियंत्रण
- डी.सी. मोटर में होने वाली हानियां
- डी.सी. मोटर की दक्षता
- डी.सी. मोटर में उत्पन्न दोषों के कारण एवं उनके निवारण
- डी.सी. मोटर के लिए सावधानियां
- डी.सी , मोटर के समस्या निवारक रखरखाव
- डी.सी. मोटर का नियमित रखरखाय
- डी.सी. मोटर की देखभाल
- ट्रांसफॉर्मर ( TRANSFORMER )
- ट्रांसफॉर्मर क्या होता है? | उपयोग
- ट्रांसफॉर्मर का कार्य सिद्धान्त?
- ट्रांसफॉर्मर की संरचना | ट्रांसफॉर्मर के भाग
- ट्रांसफॉर्मर का वर्गीकरण | Classification of Transformer
- आउटपुट वोल्टता के आधार पर
- कोर की संरचना के आधार पर
- फेज की संख्या के आधार पर
- शीतलन प्रणाली के आधार पर
- ट्रांसफॉर्मर तेल
- आउटपुट क्षमता के आधार पर
- क्लिप ऑन टैस्टर
- व्यावसायिक आधार पर ट्रांसफॉर्मर
- ट्रांसफार्मर का वि.वा. बल समीकरण
- ट्रांसफॉर्मेशन अनुपात
- 3 फेज ट्रांसफॉर्मर वाइकिंग का कनेक्शन
- ट्रांसफार्मर का समान्तर कम में प्रचालन
- ट्रांसफॉर्मर में वोस्टता नियमन
- ट्रांसफॉर्मर हानियाँ
- ट्रांसफॉर्मर क्षतियों का मान ज्ञात करना
- नो – लोड एवं लोड पर ट्रांसफॉर्मर
- ट्रांसफार्मर की दक्षता
- ट्रांसफॉर्मर का तेल परीक्षण
- भार पर टैप परिवर्तन
- ट्रांसफॉर्मर बुशिंग
- शुष्क ट्रांसफॉर्मर
- ट्रांसफॉर्मर रेटिंग
- ट्रांसफॉर्मर दोष एवं कारण
- विद्युत मापक यन्त्र ( ELECTRICAL MEASURING INSTRUMENT’S )
- विद्युत मापक यंत्रों के प्रकार
- सूचक यंत्रों में कार्यरत बल
- इन्डीकेटिंग यंत्रों में डैम्पिंग बल
- मूविंग क्योइल यंत्र
- मूविंग आयरन यंत्र
- अमीटर की माय सीमा का विस्तार
- वोल्टेज मापन
- वोल्टमीटर की सुग्राहिता
- ओह्म मीटर
- मल्टीमीटर
- वाट मीटर
- पावर फैक्टर मीटर
- मैगर
- ऊर्जा मीटर
- फ्रीक्वेन्सी मीटर
- कला अनुक्रम इन्डीकेटर
- ऊर्जा मापी मीटर
- टैकोमीटर
ITI Electrician 2st Year course Syllabus
- त्रिकलीय प्रेरण मोटर ( THREE PHASE INDUCTION MOTOR )
- प्रेरण मोटर का कार्य सिद्धान्त
- प्रेरण मोटर की संरचना
- प्रेरण मोटर के प्रकार
- स्लिप तथा रोटर की गति
- बलापूर्ण उत्पादन
- स्लिप – बलाघूर्ण अभिलक्षण
- प्रेरण मोटरों का प्रारम्भन
- 3-फेज प्रेरण मोटर स्टार्टर के कन्ट्रोल तथा पावर परिपथ
- प्रेरण मोटरों का गति नियंत्रण
- एकल फेजिंग निवारक
- प्रेरण मोटर में हानियां
- शक्ति प्रवाह आरेख तथा दक्षता
- त्रिकलीय प्रेरण मोटरों का अनुप्रयोग
- प्रेरण मोटर का रखरखाव
- एककलीय मोटर ( SINGLE PHASE MOTOR )
- एककलीय प्रेरण मोटर
- एककलीय प्रेरण मोटर का द्विघूर्णन क्षेत्र तथा क्रॉस क्षेत्र सिद्धान्त
- एककलीय प्रेरण मोटर को प्रारम्भ करने की विधियां
- फ्रेक्शनल हॉर्स पावर मोटरें
- प्रतिकर्षण मोटर
- स्टेपर मोटर
- एककलीय तुल्यकालिक मोटर
- यूनिवर्सल मोटर
- विभिन्न प्रकार की एककलीय मोटर के अनुप्रयोग
- फॉल्ट और फॉल्ट रेक्टिफिकेशन
- मोटर का ब्रेकिंग सिस्टम
- प्रत्यावर्तक ( Alternators )
- प्रत्यावर्तक का परिचालन सिद्धान्त
- प्रत्यावर्तक की सरचना
- प्रत्यावर्तक का विद्युत वाहक बल समीकरण
- प्रत्यावर्तक का वर्गीकरण
- विभव नियमन
- फेज क्रम
- डिस्ट्रीब्यूशन और पिच फैक्टर
- प्रत्यावर्तक की रेटिंग
- प्रत्यावर्तक हानियां
- दक्षता
- प्रत्यावर्तकों का समान्तर प्रचालन
- दो समान्तर क्रमों में प्रचालित प्रत्यावर्तकों के बीच लोड विभाजन
- प्रत्यावर्तक पर फील्ड उत्तेजन परिवर्तन का प्रभाव औद्योगिक लोड के शक्ति गुणांक सुधार का प्रभाव
- तुल्यकालिक मोटर ( SYNCHRONOUS MOTOR )
- तुल्यकालिक मोटर क्या है?, संरचना ओर कार्य सिद्धांत?
- तुल्यकालिक मोटर पर लोड बढ़ाने का प्रभाव
- तुल्यकालिक मोटर के फेजर आरेख
- तुल्यकालिक मोटर पर उत्तेजन का प्रभाव
- ‘V’ वक्र तथा उल्टे ‘V’ वक्र
- न्यून शक्ति गुणक के कारण
- प्रत्यावर्तकों पर न्यून शक्ति गुणक का प्रभाव
- तुल्यकालिक मोटर द्वारा शक्ति गुणक सुधार के लिए औद्योगिक अनुप्रयोग
- तुल्यकालिक मोटर प्रारम्भ करने की विधियां
- तुल्यकालिक मोटर की विशेषताएं
- तुल्यकालिक मोटर के अनुप्रयोग
- तुल्यकालिक मोटर के लाभ व हानियां
- कनवर्टर ( CONVERTER )
- इनपुट व आउटपुट पावर के आधार पर कनवर्टर के प्रकार
- इनवर्टर
- मोटर – जनरेटर सेट
- सॉलिड – स्टेट कन्ट्रोलर
- सॉलिड – स्टेट इन्वर्टर
- परिवर्ती स्पीड ड्राइव
- ट्रांसफॉर्मर वाइन्डिंग ( Transformer winding )
- वाइन्डिंग की स्थिति
- ट्रांसफॉर्मर वाइन्डिंग की डिजाइन
- विभिन्न वाइन्डिंग तकनीक
- विभिन्न प्रकार की वाइन्डिंग की परास
- डी.सी. व ए.सी, मशीन आर्मेचर वाइन्डिंग ( D.C. AND A.C. MACHINE ARMATURE Winding )
- डी.सी. मशीन वाइन्डिंग
- डी.सी , आर्मेचर वाइन्डिंग से संबंधित परिभाषाएं
- डी.सी. आर्मेचर वाइन्डिंग के प्रकार
- क्वॉइल कनेक्शन
- विकसित वाइन्डिंग आरेख
- ग्राउलर
- वाइन्डिंग के लिए प्रयोग होने वाले पदार्थ
- ए.सी. मशीन आर्मेचर वाइन्डिंग
- आर्मेचर वाइन्डिंग से संबंधित परिभाषाएं
- संयोजित आर्मेचर वाइन्डिंग
- आर्मेचर वाइन्डिंग के प्रकार
- एककलीय एवं त्रिकलीय प्रेरण मोटर के लिए वाइल्डिंग आरेखन
- प्रत्यावर्तक वाइन्डिंग का आरेखन
- प्रदीपन ( ILLUMINATION )
- प्रकाश का विवरण
- प्रदीपन से सम्बन्धित शब्दावली
- प्रदीपन के कारक
- प्रदीपन के नियम
- प्रकाश व्यवस्था के प्रकार
- लैम्प के प्रकार
- अन्य लैम्प
- प्रदीपन की गणना
- प्रदीपन का स्तर
- सोलर लैम्प
- औद्योगिक एवं घरेलू वायरिंग ( INDUSTRIAL AND DOMESTIC Wiring )
- औद्योगिक वायरिंग
- औद्योगिक कोड तथा सम्बन्धित स्पेन
- विद्युत मोटर की वायरिंग
- कन्ट्रोल पेनल की वायरिंग
- वायरिंग ले-आउट से संबंधित भारतीय वैद्युत नियम
- वायरिंग से संबंधित मुख्य बिन्दु
- ग्राफीय चिन्ह
- घरेलू वायरिंग ले-आउट
- N.E.C. के अनुसार स्टिल्ट लोड वायर
- घरेलू विद्युत उपकरणों के दोष ज्ञात करना और दोष निवारण
- सजावटी लाइटिंग
- सजावटी लाइटों में फॉल्ट ज्ञात करने की तकनीक
- परिपथ वियोजक
- घरेलू एवं कृषि उपकरण ( DOMESTIC AND AGRICULTURAL APPLIANCES )
- घरेलू उपकरण
- घरेलू उपकरणों का रख-रखाव
- कृषि उपकरण
- अन्य कृषि उपकरण
- कृषि उपकरणों के रख-रखाव
इन्हें भी पढ़ें:- आईटीआई इलेक्ट्रीशियन ट्रेड थ्योरी परिचय
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