चोट के प्रकार में सामान्य प्रकार की चोटों में घर्षण, घाव, रक्तगुल्म, टूटी हड्डियाँ, जोड़ों की अव्यवस्था, मोच, खिंचाव और जलन शामिल हैं। चोट मामूली या गंभीर हो सकती है। क्या आप जानते हैं, कि अधिकांश एथलेटिक चोटों को तीन मुख्य श्रेणियों में उबाला जा सकता है? तीव्र, अति प्रयोग, और जीर्ण.
चोट के प्रकार व उनसे बचाव निम्न प्रकार है-
- कट जाना तथा रगड़ खाना ( Cuts and Abrasion ): खुरदरी सतह के किनारों, लकड़ी के पतले टुकड़ों तथा तेज या नुकीले सिरे जो बाहर के तरफ आए हुए हो, से चोट लगने का डर बना रहता है। इनसे बचाव के लिए चमड़े के दस्ताने पहन कर कार्य किया जाना चाहिए।
- मांसपेशियों तथा जोड़ों में तनाव ( Strain in Muscles and Joints ) लोड को अचानक या गलत ढंग से उठाने के कारण मांसपेशियों तथा जोड़ों में तनाव आ जाता है जैसे- मुड़कर या झटका के कारण। अतः रीड को सीधा रखते हुए बोझ उठाना चाहिए।
- पैर या हाथों का कुचला जाना ( Crushing of Feet or Hands ) भारी बोझ को उठाते समय या नीचे रखते समय पैर तथा हाथों को इस प्रकार रखे कि वे बोझ के नीचे न दबने पाए । सपाट जूतों द्वारा इससे बचा जा सकता है।
- मोच और तनाव ( sprains and strains ) इस श्रेणी में कई चोटें आती हैं, जिनमें मोच वाली टखनों, बाइसेप्स टेंडिनाइटिस और तनावग्रस्त हैमस्ट्रिंग और कमर की मांसपेशियां शामिल हैं।
- कंधे की चोट (Shoulder Injury ) कई खेलों में कंधे की चोटें आम हैं। रोकथाम का सबसे अच्छा तरीका व्यायाम करने से पहले ठीक से फैलाना है।
- निचली कमर का दर्द (Lower Back Pain) पीठ के निचले हिस्से में दर्द किसी भी खेल गतिविधियों के परिणामस्वरूप हो सकता है।
- फिसलन से गिरना ( slip down ): फिसलन यक बहुत बड़ी समस्या ही इसकी वजह से हर दिन लाखों लोगों को चोट लग जाती है। इससे बचने के लिए आपको अच्छे जूते जो की नीचे से खुरदुरे हो ताकि जमीन से घर्षण बना रहे जिसको स्लिप प्रूफ जूते बोलते है, उन्ही जूतों का इस्तेमाल करें।
वेसे तो ये सारी चोट लगने की समस्या ज्यादातर किसी इंडस्ट्री ओर फेक्टरी ओर निर्माण कार्य होने वाली जगहों मे ही होते है। इससे बचने के लिए आपको इससे संबंधित जानकारी ओर PPE जरूर पहनने चाहिए।
अगर आप फ्री कोई कोर्स करना चाहते है तो आप hubstd.in वेबसाईट मे जा सकते हो ओर कोई भी कोर्स को बिल्कुल फ्री मे कर सकते हो। फ्री कोर्स के लिए क्लिक करे।
2 thoughts on “चोट के प्रकार एवं बचाव ( TYPES OF INJURIES AND PREVENTION )”