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नट क्या है? इसके प्रकार
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नट क्या है? इसके प्रकार

Nut kya hai in hindi:- यह एक अस्थायी बंधक के रूप में काम करता है। यह किन्हीं दो भागों को जोड़ने के लिए बोल्ट या स्टड कसा जाता है। दोस्तों, मेरी वेबसाइट में आपका स्वागत है। मैंने इस पोस्ट में नट क्या है? नट के प्रकार व उपयोग आदि के बारे बताया है। यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़िए। (नट क्या है, हिंदी में)

नट क्या है?

यह एक धातु के टुकड़े से काटकर बनाया जाता है, इसके बीच में एक होल होता है, इस होल में चूड़ियां कटी होती है। जिससे यह आवश्यक बोल्ट या स्टड के साथ फिट किया जाता है।
इसका मुख्य उपयोग दो भागों को जोड़ने के लिए किया जाता है। नट में V थ्रेड्स कटी होती हैं।

नट के प्रकार

यह निम्न प्रकार के होते हैं-

1.हैक्सॉगोनल नट

Hexagonal Nut
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इस नट की छ: भुजाएं होती हैं। इसका ‌उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। इसका एक या दोनों फेस चैम्फर किए हुए होते हैं। इसमें क्लीयरैंस कम दिया जाता है, जिससे इन्हे खोलने व कसने में आसानी रहती है।

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2.फ्लैंज नट

इसको कॉलर नट भी कहते हैं। यह हैक्सॉगोनल नट के समान होता है, इसमें नीचे की ओर फ्लैंज की भांति चपटा बेस होता है। इसका उपयोग करते समय वाशर की आवश्यकता नहीं होती है। इसका उपयोग बोल्ट से बड़े साइज के होल पर किया जाता है।

3.स्क्वायर नट

Square Nut
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इस नट की चार भुजाएं होती हैं। इसका ‌उपयोग लकड़ी के कामों में किया जाता है। इसको स्पैनर की सहायता घुमाते समय स्पैनर की पकड़ मजबूत होती है। इसमें स्पैनर को घुमाने के लिए अधिक क्लीयरैंस की आवश्यकता होती है।

4.कफ नट

यह हैक्सॉगोनल नट के समान होता है, इसमें सिर्फ ऊपर की ओर डोम के आकार का गोलाकार भाग होता है। इसलिए इसे डोम नट भी कहते हैं। इसका उपयोग नट की चूड़ियों को बाहरी वातावरण से बचाने के लिए किया जाता है।

5.कैप नट

यह नट कफ नट के समान होता है, इसमें कफ नट की गोलाई के स्थान पर फ्लैट होता है। इसका उपयोग चूड़ियों से होने वाले लीकेज को रोकने के लिए किया जाता है।

6.फ्लाई नट

इस नट में दो विंग होती हैं, इसलिए इसे विंग नट भी कहते हैं। इसका उपयोग बार-बार खोलने व कसने वाले स्थान पर किया जाता है। इसको खोलने व कसने के लिए रिंच की आवश्यकता नहीं होती है, इसे सिर्फ हाथ से खोला व कसा जाता है। यह नट आपने हैक्सॉ में लगा देखा होगा। या लगा होता है।

7.नर्ल्ड नट

यह नट रिंग के समान गोल होता है। इसकी परिधि पर नर्लिंग की हुई होती है। इसका उपयोग अधिकतर टूलों में बार-बार खोलने व कसने के लिए किया जाता है। जैसे- मार्किंग औजार में एडजस्टेबल कैलिपर

8.कैप्स्टन नट

यह नट भी रिंग के समान गोल होता है, इस नट में परिधि पर या फेस पर छः होल बने होते हैं। परिधि पर बने होल वाले नट को खोलने व कसने के लिए हुक स्पैनर का उपयोग किया जाता है। और फेस पर बने होल वाले नट को खोलने व कसने के लिए फेस स्पैनर का उपयोग किया जाता है।

9.रिंग नट

इसके नाम से ही आप समझ गए होंगे। कि यह रिंग के समान होता है, इसकी परिधि पर स्लॉट कटे होते हैं। इसको खोलने व कसने के लिए हुक स्पैनर का उपयोग किया जाता है। यह नट बड़े साइज के बोल्ट या बियरिंग स्लीव के ऊपर बनी चूड़ियों पर उपयोग किए जाते हैं।

10.लॉक नट

इस प्रकार के नटों का उपयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है, कि जहां पर अधिक कम्पन हो रहा हो। क्योंकि जब मशीन चलती है, तब कम्पन होने के कारण नट ढीले होकर खुल सकते हैं। इसलिए ऐसे स्थानों पर लॉक नट का उपयोग किया जाता है। यह नट कम्पन को सहन कर लेता है। और आसानी से खुलता नहीं है। यह कई आकृति के बनाए जाते हैं, जो कि निम्न प्रकार से हैं-

(i)चैक नट

यह स्टैण्डर्ड नट (जैसे- हैक्सॉगोनल व स्क्वायर नट) की मोटाई से कम मोटे होते हैं। इसकी भी छ: भुजाएं होती हैं। इसको उपयोग करने से पहले स्टैण्डर्ड नट को कसा जाता है। इसके बाद इस नट को कसा जाता है। तब दो स्पैनर की सहायता से स्टैण्डर्ड नट व चैक नट को एक दूसरे के विरूद्ध कसा जाता है। जिससे नट लॉक हो जाता है। और आसानी से खुलता नहीं है।

(ii)सान नट

इस नट को विल्स नट भी कहते हैं। इस नट को बनाने के लिए एक स्टैण्डर्ड नट को चौड़ाई में आधा व ऊपर से एक तिहाई नीचे तक काट लिया जाता है। इसके बाद कैप स्क्रू के साइज का होल व चूड़ियां बना दी जाती है। जब इस नट को कसा जाता है। इसके बाद कैप स्क्रू कस दिया जाता है। जिससे नट लॉक हो जाता है।

(iii)स्लॉटेड नट

Slotted Nut
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इस नट के ऊपरी सिरे से एक तिहाई नीचे तक स्लॉट बना होता है। इसको उपयोग करते समय पूरा टाइट करने के बाद बोल्ट या शाफ्ट के होल को स्लॉट से मिलाया जाता है। इसके बाद इस होल में स्पिलट पिन डालकर मोड़ दी जाती है। जिससे नट कम्पन होने पर भी खुल नहीं पाएगा।

(iv)कैसल नट

इस नट को बनाने के लिए स्लॉटेड नट के नीचे एक स्टैण्डर्ड नट की भांति शेप बना दी जाती है। और इसका भी उपयोग स्लॉटेड नट की भांति किया जाता है। इसकी सामर्थ्य अधिक होती है। लेकिन स्लॉटेड नट की सामर्थ्य कम होती है।

(v)पेन नट

यह ग्रूव्ड नट के नाम से भी जाना जाता है। इसमें नीचे की ओर कॉलर बना होता है। जिसमें एक खांचा बना होता है। इसको उपयोग करते समय, इसका कॉलर मशीन की बॉडी में बैठ जाता है। इसके बाद बॉडी की साइड से एक सैट स्क्रू लगा दिया जाता है। जिससे यह नट लॉक हो जाता है।

(vi)सायमण्ड्स नट

इसे सैल्फ लॉकिंग नट भी कहते हैं। इस नट में ऊपर की ओर एक कॉलर बना होता है। इस कॉलर में एक खांचा बना होता है। इस खांचे में एक फाइबर वाशर या कठोर रबड़ लगी होती है। इसमें एक छोटा होल होता है। जब बोल्ट पर नट को कसा जाता है, तब बोल्ट कसते हुए कठोर रबड़ या फाइबर वाशर में प्रवेश करके घुस जाता है। जिससे यह आसानी से ढीला नहीं होता है।

दोस्तों, यदि आपको नट क्या है? पोस्ट अच्छी लगी हो तो कमेंट व शेयर करें।

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One thought on “रैस्ट किसे कहते हैं? | रैस्ट के प्रकार | रैस्ट की सुरक्षा सावधानियां

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