इंजन (Engine), उस यंत्र को कहते हैं, जिसकी मदद से किसी भी प्रकार की ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा (Mechanical energy) में रूपांतरण होता है। इंजन की इस यांत्रिक ऊर्जा का उपयोग (use of mechanical energy), काम करने के लिए किया जाता है। अर्थात् इंजन रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा, गतिज ऊर्जा या ऊष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदलने का काम करता है।
इंजन (Engine) एक प्रकार का मशीन है, जो कि ऊष्मीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदल देता है। इंजन को ऑटोमोबाइल का दिल (💓 of Automobile) भी कहा जाता है क्योंकि ऑटोमोबाइल में यह एक महत्वपूर्ण भूमिका (Important Role) निभाता है। इंजन मूल रूप से पावर (power) को उत्पन्न करता है।
दोस्तों, जितनी भी ऑयल से गाड़ियां चलती हैं, उन सभी में इंजन (Engine) अवश्य होता है। जैसे- मोटरसाइकिल, कार, ट्रक, हवाई जहाज, स्कूटर, छोटा हाथी, क्लोज वेन आदि।
इंजन के भाग (engine ke bhag by iti course)
इसके भाग निम्न प्रकार से हैं-
1.सिलेंडर ब्लॉक (Cylinder Block)
यह इंजन (Engine) का वह भाग होता है, जो की पिस्टन (piston) के लिए जगह बनाता है और ऊपर से सिलेंडर हैड (Cylinder head) तथा नीचे से ऑइल सम्प द्वारा बन्द होता है। यह ग्रे कास्ट आयरन का बना होता है।
2.ऑयल सम्प (Oil Sump)
इंजन का यह भाग सिलेंडर ब्लॉक के नीचे रहता है, यह लुब्रिकेशन के लिए ऑयल को इकठ्ठा करने का काम करता है।
3.सिलेंडर हैड (Cylinder Head)
इंजन (Engine) का यह भाग सिलेंडर ब्लॉक के ऊपर स्थित होता है या कसा रहता है। सिलेंडर हैड ग्रे कास्ट आयरन (Gray Cast Iron) या एल्यूमीनियम अलॉय का बना होता है।
सिलेंडर ब्लॉक में एक कम्बश्चन चैम्बर बना होता है, जिसमें लगे वाल्व का खुलना व बंद होना सिलेंडर हैड से होता है।
सिलेंडर हैड में स्पार्क प्लग व वाल्व लगे रहते हैं, एयर कूल्ड इंजन के सिलेंडर हैड पर फिन्स होते हैं तथा बाटर कूल्ड इंजन के सिलेंडर में वाटर बहने के लिए पैसेज बना होता है।
4.पिस्टन (Piston)
यह इंजन (Engine) का महत्वपूर्ण भाग है जो फ्यूल की रासायनिक ऊर्जा को संपीडन के माध्यम से यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है। यह सिलेंडर के अंदर ऊपर नीचे चलता है। यह सिलेंडर की आकृति का बना होता है। इसकी परिधि पिस्टन रिंग फिट की गई होती हैं।
5.कनेक्टिंग रॉड (Connecting Rod)
यह पिस्टन और क्रैंकशाफ्ट को जोड़ती है, कनेक्टिंग रॉड का छोटा भाग पिस्टन से जुड़ता है और बड़ा सिरा क्रैंकपिन से जुड़ता है।
6.गजन पिन (Gajan Pin)
गजन पिन पिस्टन के निचले भाग में लगी होती है। इसको पिस्टन पिन या रिस्ट पिन कहते हैं। यह अधिकतर खोखली बनाई जाती है। यह पिन स्टील की बनाई जाती है और इसकी सर्फेस को केस हार्ड द्वारा कठोर कर देते हैं, जिसके कारण यह घिसाव अवरोधी हो जाती है।
7.चेन टेंशनर (Chain Tenshanar)
यह चैन (chain) को टाइट (Tight) करने के लिए लगाया जाता है।
8.कैमशाफ्ट (Camshaft)
यह पिस्टन के नीचे होता है और यह पिस्टन से जुड़कर फ्लाई व्हील को घुमाता है। यह फोर्ज स्टील का बना होता है। कैमशाफ्ट में cam lob लगा होता है और कैमशाफ्ट द्वारा फ्यूल पंप को ऊर्जा प्राप्त होती है।
कैमशाफ्ट, क्रैंकशाफ्ट के दो चक्कर घूमने पर एक चक्कर घूमता है।
9.फलाईव्हील (Flywheel)
यह स्टील का बना हुआ एक भारी पहिया होता है। यह क्रैंकशाफ्ट के पिछले सिरे से जुड़ा होता है। इसका आकार सिलेंडर की संख्या और इंजन (Engine) की बनावट पर निर्भर करता है।
10.वाल्व स्प्रिंग (Valve Spring)
वाल्व स्प्रिंग इंजन के हवा के दबाव को नियंत्रित करता है और यह वाल्व को खुलने तथा बन्द होने में सहायता करता है।
11.इंजन वाल्व (Engine Valve)
इंजन में हवा के प्रेशर को कण्ट्रोल करने के लिए वाल्व लगे होते हैं, जिसे इंजन वाल्व (Engine Valve) कहा जाता है।
12.वाल्व गाइड (Valve Guide)
वाल्व का ऊपर वाला भाग वाल्व गाइड (Valve Guide) कहलाता है।
13.वाल्व सीट (Valve Seat)
वाल्व सीट (Valve Seat) वाल्व का ही भाग है जो कि हवा (Air) को जाने तथा उसे मुड़ने से बचाता है।
14.वाल्व लॉक या रिटेनर (Value Lock or Retainer)
रिटेनर, इंजन के वाल्व का वह भाग है जो कि हवा को जाने से रोकता है और यह हवा के निकलने के लिए भी रास्ता बनाता है।
15.इंजन बियरिंग (Engine Bearing)
इंजन से पहिये को घुमाने के लिए एक बियरिंग लगा होता है, जिसे इंजन बियरिंग (Engine bearing) कहते हैं।
16.इनलेट तथा एग्जॉस्ट मेनीफोल्ड
इंजन का यह भाग इंजन के द्वारा हवा को अंदर खींचने तथा बाहर छोड़ने वाला भाग है।
17.सुपर चार्जर (Super Charger)
सुपर चार्जर इंजन से जुड़ा होता है और यह वाहन में फिट की गई बैटरी को चार्ज करने का काम करता है, जब इंजन स्टार्ट किया जाता है, तब यह बैटरी ही इंजन आवश्यक ऊर्जा देती है।
18.एग्जॉस्ट पाइप तथा साइलेंसर
यह इंजन की आवाज को कम करने के उद्देश्य से लगाया जाता है और यह एग्जॉस्ट मेंइफोल्ड के बाद लगा होता है या फिर बाईक में सीधे सिलेंडर ब्लॉक से जुड़ा होता है।
19.गैस्केट (Gasket)
गैस्केट, इंजन का वह भाग है जो कि इंजन के भाग सिलेंडर ब्लॉक तथा सिलेंडर हैड को जोड़ते समय बीच में लगाया जाता है। यह इस उद्देश्य से लगाया जाता है, कि सिलेंडर ब्लॉक तथा सिलेंडर हैड के बीच में बिल्कुल गैप न बन सके और इंजन की शक्ति बनी रहे।
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