कास्ट आयरन इन हिंदी:- यह एक लोहे की किस्म होती है, इसमें कार्बन की प्रतिशत मात्रा रॉट आयरन की अपेक्षा अधिक होती है और इसमें काफी अशुद्धियां होती हैं।
कास्ट आयरन क्या है?
यह लोहा या आयरन कच्चे लोहे से तैयार किया जाता है। कच्चे लोहे को क्यूपोला भट्ठी में पिघलाकर अशुद्धियों को दूर करके कास्ट आयरन प्राप्त किया जाता है।
कास्ट आयरन का मुख्य रूप से उपयोग कास्टिंग में किया जाता है, इसलिए इसे कास्ट आयरन (cast iron) कहते हैं और इसको हिंदी भाषा में ढलवां लोहा कहते हैं।
कास्ट आयरन के प्रकार
यह निम्न प्रकार के होते हैं-
1.ग्रे कास्ट आयरन (धूसर ढलवां लोहा)
इस लोहे का रंग भूरा होता है, इसमें कार्बन की प्रचुर मात्रा होती है जोकि मुक्त अवस्था में होते हैं और यह भंगुर, नर्म, कमजोर व रन्ध्रयुक्त होता है। ग्रे कास्ट आयरन ठण्डा होने पर धीमी गति से बनता है।
यदि आप कभी भी चेक करना चाहते हो, कि यह लोहा ग्रे कास्ट आयरन है, या नहीं है। तब आप इस लोहे को ग्राइंडर से घिसते समय यह देखो। कि ग्राइंडिंग व्हील के पास और व्हील के कुछ दूर किस रंग की चिंगारी निकलती हैं। यदि ग्राइंडिंग व्हील के पास लाल रंग की चिंगारी और व्हील के कुछ दूर पीली रंग की चिंगारी निकलती है, तो वह लोहा ग्रे कास्ट आयरन है।
इस लोहे का उपयोग हाइड्रालिक मशीन के फ्रेम, फ्लाइव्हील, इन्जन-ब्लॉक, पिस्टन, रोलर मशीनों के फ्रेम व बेस और इन्जन-सिलेण्डर आदि को बनाने में किया जाता है।
2.व्हाइट कास्ट आयरन (सफेद ढलवां लोहा)
इस लोहे का रंग सफेद होता है, यह कठोर, मजबूत व भंगुर होता है। यह ठण्डा होने की अधिक गति से बनता है, यह जंगरोधी होता है। इस पर मशीनिंग क्रियाएं नहीं की जा सकती हैं। इस लोहे को पहचाने के लिए, इसके टूटे कटाक्ष को देखा जाता है। यदि जिस लोहे का टूटे कटाक्ष पर सफेद व भूरे रंग का मिश्रण दिखाई देता है, तो वह सफेद कास्ट आयरन होगा।
इस लोहे का उपयोग ऐसे स्थान पर किया जाता है, कि जहां पर घर्षण अधिक होता है, क्योंकि यह लोहा घिसाव प्रतिरोधी होता है। जल्दी घिसता नहीं है।
3.नोडूलर कास्ट आयरन
इस लोहे को बनाने के लिए कास्ट आयरन को मैग्नीशियम के साथ प्रक्रिया कराई जाती है, तब ग्रेफाइट गेंद के आकार की गाँठों में बदल जाता है और तब नोडूलर कास्ट आयरन तैयार हो जाता है। यह लोहा चिम्मड़, कठोर, तन्य व मशीनिंग क्रियाएं करने योग्य होता है।
इस लोहे का उपयोग गियर बनाने में, पाइप बनाने में, कृषि टूल व मशीन टूल आदि बनाने में किया जाता है।
4.मोटेल्ड कास्ट आयरन (चित्तीदार ढलवां लोहा)
इस लोहे के कुछ भाग में भूरे रंग का ग्रेफाइट और कुछ भाग में सफेद रंग का सीमेन्टाइट होता है। यह ठण्डा होने की मीडियम गति से बनता है। इसमें आघातवर्धनीयता का गुण होता है। इसका उपयोग उपयोगी लोहे के सामान बनाने में किया जाता है।
5.अलॉय कास्ट आयरन
यह लोहा कास्टिंग या ढलाई करते समय निकिल, क्रोमियम, तांबा, सिलिकॉन को मिलाने पर बनता है। इसमें निकिल, लोहे के कणों को शुद्ध करता है। क्रोमियम, लोहे के कणों को मजबूत व कठोर बनाता है। तांबा, लोहे की तन्यता को बढ़ाता है। सिलिकॉन लोहे के चीमड़पन को बढ़ाता है। मॉलिब्डेनम, कास्ट आयरन को नोडूलर लोहे में बदल देता है।
इस लोहे का उपयोग भाप-इंजन बनाने में, हाइड्रालिक मशीने बनाने में, कम्प्रेसर आदि बनाने में किया जाता है।
6.चिल्ड कास्ट आयरन (द्रुत शीतित ढलवां लोहा)
इस प्रकार के लोहे या आयरन को बनाने के लिए कास्ट आयरन के बने किसी पार्ट के किसी एक भाग को तेजी से ठण्डा किया जाता है और शेष भाग को धीमी गति से ठण्डा किया जाता है, तब तेजी से ठण्डा होने वाला भाग सफेद कास्ट आयरन में तथा धीमी गति से ठण्डा होने वाला भाग ग्रे कास्ट आयरन में बदल जाता है। जिससे चिल्ड कास्ट आयरन प्राप्त होता है।
इस लोहे का उपयोग रेलगाड़ी के पहियों के रिम बनाने में, रोलर बनाने में, हलों की कास्टिंग करने में किया जाता है।
7.मैलिएबल कास्ट आयरन (आघातवर्ध्य ढलवां लोहा)
इस लोहे को बनाने के लिए कास्टिंग या ढलाइयों को लाल चूर्णित हेमेटाइट में दबाकर अनीलिंग भट्ठी में लाल गर्म किया जाता है, इसके बाद धीमी गति से ठण्डा करते हैं, तब मैलिएबल कास्ट आयरन प्राप्त होता है।
इस लोहे का उपयोग पहिए बनाने में, क्रैंक गियर बनाने में, दरबाजों की चाबियां बनाने में, लीवर व कब्जे बनाने में, कपड़ा व कृषि मशीनों के पार्ट आदि बनाने में किया जाता है।
कास्ट आयरन में उपस्थित गुण
यह निम्न प्रकार से हैं-
- यह जंगरोधी होता है।
- यह कठोर भी होता है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर आसानी से गलाया जा सकता है।
- इसका गलनांक या मेल्टिंग प्वॉइण्ट 1520℃ होता है।
- इस लोहे की ढलाइयां ठण्डी होने पर सिकुड़ती हैं।
- इस लोहे की कम्प्रेसिव स्ट्रेन्थ टैन्साइल स्ट्रेन्थ से कई गुना अधिक होती है।
- यह भंगुर भी होता है, यह हल्के झटकों व आघातों को आसानी से सहन करता है।
- इसमें चुम्बक का गुण नहीं होता है। यह चुम्बक के सम्पर्क में आने पर आकर्षित नहीं होता है।
- इसमें 2% से 4% तक कार्बन पाया जाता है।
- यदि कास्ट आयरन का बना कोई पार्ट टूट जाता है, तो उसे रिवेट या वेल्डिंग द्वारा नहीं जोड़ा जा सकता।
कास्ट आयरन के उपयोग
इसके उपयोग कई स्थानों पर पार्ट बनाने के लिए किया जाता है, जोकि निम्न प्रकार से है-
- इसका उपयोग सभी प्रकार की कास्टिंग में किया जाता है।
- इसका उपयोग C. I. पाइप बनाने में किया जाता है।
- इस लोहे का उपयोग अधिकतर मशीनों के बेस बनाने में किया जाता है।
- इसका उपयोग बेंच वाइस की बॉडी व कुछ पार्ट बनाने में किया जाता है।
- इस लोहे की मार्किंग प्लेट बनाई जाती है।
- कुछ सर्फेस प्लेटें भी कास्ट आयरन की बनाई जाती हैं।
- इसी लोहे की एंगल प्लेट बनी होती है।
प्रश्न उत्तर
1. कास्ट आयरन हिंदी मीनिंग
ढलवां लोहा
2. ढलवां लोहा meaning in English
Cast Iron
3. कास्ट आयरन या ढलवां लोहा का गलनांक कितना होता है?
इसका गलनांक 1520℃ होता है।
4. ढलवां लोहा में कार्बन की मात्रा
इसमें कार्बन 2% से 4% तक होता है।
5. ढलवां लोहा किस भट्ठी में बनाया जाता है?
इसका निर्माण क्यूपोला भट्ठी में किया जाता है।
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