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रॉट आयरन क्या है? इसके उपयोग

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रॉट आयरन क्या है इन हिंदी:- यह एक लोहे की किस्म होती है। इसमें लोहे की काफी मात्रा पाई जाती है। इसमें बहुत कम अशुद्धियाँ होती हैं।
दोस्तों, यदि आप अधिक जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़िए।

रॉट आयरन क्या है?

यह लोहे का सबसे शुद्ध रूप होता है, इसमें सभी प्रकार के लोहे से कम अशुद्धियाँ होती हैं। यह लोहा या आयरन कच्चे लोहे का शुद्धीकरण करके बनाया जाता है। इसमें 99% लोहा, शेष 1% अशुद्धियाँ होती हैं।

इसमें कार्बन की मात्रा 0.15% होती है, इसका दूसरा नाम या हिंदी नाम पिटवाँ लोहा है। यह लोहा (रॉट आयरन) इतना मुलायम होता है, कि इसे आसानी से हाथ से मोड़ा जा सकता है। रॉट आयरन का निर्माण पुडलिंग भट्ठी में किया जाता है।

रॉट आयरन में उपस्थित गुण

इसमें निम्न गुण होते हैं, जोकि निम्न प्रकार से हैं-

  1. इसमें आघातवर्धनीयता का गुण पाया जाता है, इसलिए इसकी रोल करके चददरें बनाई जा सकती हैं।
  2. इसके ग्रेन लाइनदार व मुलायम होते हैं।
  3. इसमें तन्यता का गुण भी पाया जाता है, इसलिए इसको आसानी से खींचकर तार बनाया जा सकता है।
  4. यह सबसे शुद्ध लोहा होता है।
  5. इसमें कार्बन की कम मात्रा होने के कारण, इस पर हार्डनिंग व टेम्परिंग प्रक्रियाएं नहीं की जा सकती हैं।
  6. इस पर ऊष्मा उपचार की प्रक्रिया केस हार्डनिंग की जा सकती हैं।
  7. इसको वैल्डन द्वारा आसानी से जोड़ा जा सकता है।
  8. इसमें लोहे की मात्रा अधिक होने के कारण चुम्बकीय शक्ति अधिक होती है।
  9. रॉट आयरन को गर्म अवस्था में पीटकर आसानी से कोई भी आकार दिया जा सकता है।
  10. लेकिन रॉट आयरन को ढलवाँ लोहे के समान साँचे में नहीं ढाला जा सकता है।

पुडलिंग भट्ठी

रॉट आयरन का निर्माण इसी भट्ठी अर्थात् पुडलिंग भट्ठी में किया जाता है। इस भट्ठी के एक सिरे पर आग जलती है, आग के नीचे जाली लगी होती है। इस जाली से खराब आग या राख नीचे निकलती रहती है।
इसमें कच्चे लोहे को आग की फ्लेम और गर्म हवा से पिघलाया जाता है। लेकिन इस तरीके से पिघलाया जाता है, कि आग की फ्लेम कच्चे लोहे के सम्पर्क अर्थात् छू भी नहीं पाती है।

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यदि आग लोहे के सम्पर्क में आ जाए, तो लोहे में कार्बन की मात्रा बढ़ जाएगी और साथ में ही कई प्रकार की अशुद्धियाँ आ जाएंगी।
जब कच्चा लोहा लेही के रूप में पिघल जाता है, तब एक लोहे की रॉड या छड़ से चलाया जाता है। इससे कच्चे लोहे की सभी अशुद्धियाँ जलकर गैस के रूप में भट्ठी का भाग चिमनी से बाहर निकल जाती हैं।
इसके बाद लेही को बाहर निकाल लिया जाता है और हैमर से कूटा जाता है, जिससे ऊपर जमी अशुद्धियों की परत हट जाती है और रॉट आयरन मिल जाता है।

रॉट आयरन के उपयोग

यह निम्न प्रकार से हैं-

  • इसका उपयोग चेन बनाने में किया जाता है।
  • रॉट आयरन का उपयोग क्रेन के हुक बनाने में किया जाता है।
  • इसका उपयोग पाइप, ग्रिल्स व समतल एवं नालीदार शीट्स बनाने में किया जाता है।

प्रश्न उत्तर

1. पिटवा लोहा किसे कहते हैं?

इसे रॉट आयरन के नाम से जानते हैं। यह सबसे शुद्ध लोहा होता है। इसमें केवल 1% अशुद्धियाँ पाई जाती हैं।

2. पिटवा लोहा in English

Wrought Iron

3. रॉट आयरन का गलनांक कितना है?

इसका गलनांक 1535℃ से 1600℃ तक होता है।

4. पिग आयरन क्या है?

यह कच्चा लोहा होता है, इसमें बहुत अशुद्धियाँ होती हैं, इसलिए यह उपयोग नहीं लिया जाता है। इसका शुद्धीकरण करके उपयोगी लोहा बनाया जाता है।

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