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हार्डनिंग क्या है? इसके उद्देश्य

हार्डनिंग क्या है? यह एक प्रक्रिया होती है। जिसके द्वारा आवश्यक धातु को कठोर बनाया जाता है। इसको पूरा समझने के लिए पोस्ट को पूरा पढ़ें। (Hardening kya hai in hindi)

हार्डनिंग क्या है?

हार्डनिंग क्या है?

“किसी धातु या जॉब को हार्ड करने के लिए, जो प्रक्रिया की जाती है, उसे हार्डनिंग कहते हैं।”
यह प्रक्रिया कटिंग टूल व मशीन के पार्ट जिन पर अधिक भार रहता है। उन पर की जाती है। जैसे- हैक्सॉ ब्लेड, छेनी, बियरिंग इत्यादि।

हार्डनिंग करने के उद्देश्य

  1. धातु या जॉब को न घिसने योग्य बनाना
  2. जॉब की स्ट्रेन्थ को बढ़ाने के लिए
  3. कटिंग टूल्स को काटने योग्य बनाने के लिए

हार्डनिंग कैसे की जाती है?

यह प्रक्रिया उन धातुओं की की जा सकती है, जिनमें कम-से-कम 0.3% कार्बन होना चाहिए। यदि जिन धातुओं में 0.83% से अधिक कार्बन की मात्रा है, तो उन धातुओं को लोअर क्रिटिकल प्वॉइण्ट से 30℃-50℃ ऊपर तक गर्म किया जाता है। और यदि जिन धातुओं में 0.83% तक कार्बन की मात्रा है, तो उन धातुओं को अपर क्रिटिकल प्वॉइण्ट से 30℃-50℃ ऊपर तक गर्म किया जाता है। इन्हे
इसके बाद धातुएं जब निश्चित तापमान पर गर्म हो जाती हैं, तब इन्हे इसी तापमान पर कुछ समय के लिए रखा जाता है। यह इनका सोकिंग टाइम कहलाता है। इसके बाद धातुओं को पानी में डुबाया जाता है। अर्थात् पानी में डुबोकर ठण्डा किया जाता है। जिससे धातु कठोर हो जाती है। (हार्डनिंग क्या है?)

मुख्य बिंदु

  • जॉब का सबसे मोटा भाग सबसे पहले पानी में डुबोना चाहिए।
  • लम्बे पार्टस या टूल जैसे- रेती, रीमर, ड्रिल व स्प्रिंग इत्यादि को खड़ी अवस्था में डुबाया जाता है।
  • जॉब के ठण्डा होने की दर जितनी अधिक होगी। उसमें उतनी ही अधिक कठोरता आएगी।
  • अलॉय स्टील और हाई स्पीड स्टील को 1100℃ तक गर्म करके तेज हवा में ठण्डा करके कठोर बनाया जाता है।
  • जॉब को पानी में ठण्डा करने की प्रक्रिया को क्वैंचिंग कहते हैं।
  • जॉब की मोटाई पर सोकिंग या होल्डिंग टाइम निर्भर करता है।

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