
बैट्री को चार्ज करने की विधियां | बैटरी पुनः चार्ज करें
नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि बैटरी को पुनः रिचार्ज करने के कुछ माध्यमों के बारे में बताएंगे तो अगर आप इन माध्यमों के बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें हम आईटीआई से जुड़ी सभी जानकारी इस वेबसाइट में डालते रहते हैं तो चलिए शुरू करते हैं।
बैट्री को आवेशित करने की प्रमुख विधि निम्न हैं-
1) स्थिर धारा विधि ( Constant Current Method )
इस विधि में आवेशन के समय दी जाने वाली धारा का मान लगभग स्थिर रहता है, इसलिए यह आवेशन की स्थिर धारा विधि कहलाती है। इस विधि में साधारणतया बैट्री के आवेशन की दर ( Charging Rate ), उसके निरावेशन की दर के लगभग समान रखनी चाहिए, इससे बैट्री की दक्षता में कमी नहीं आती है।
इस विधि को वहां काम में लिया जाता है जहां पर आपूर्ति वोल्टेज उच्च हो। जैसे- डी.सी. 220V, 110V, जबकि बैट्री का वोल्टेज 6 वोल्ट, 12 वोल्ट होता है इसलिए लैम्पों द्वारा स्थिर धारा परिपथ बनाकर बैट्री को आवेशित किया जाता है। इसमें ऊर्जा की क्षति अधिक होती है।
उपयोग– अधिक संख्या में बैट्री को स्थिर धारा आवेशित करने हेतु इस विधि का उपयोग किया जाता है।
महत्वपूर्ण लिंक: बैट्री चार्जर क्या ओर कैसा होता है? | बैटरी चार्जर कैसे बनाए?

2) स्थिर वोल्टेज विधि ( Constant Voltage Method )
इस विधि में वोल्टेज एक निश्चित मान पर 2.3 V प्रति बैट्री पर अनुरक्षित रहता है। इसमें एक परिवर्तित प्रतिरोधक ( वेरिएबल प्रतिरोध ) बैट्री के श्रेणी क्रम में जोड़ा जाता है इसके लिए 2.5 से 2.6 वोल्ट प्रति सैल का वोल्टेज स्रोत आवश्यक होता है यदि 12 वोल्ट की कार बैट्री को आवेशित करना हो तो 15 वोल्ट के डायनेमो का होना आवश्यक होता है। इस विधि में ऊर्जा का क्षय कम होता है।
3) रेक्टिफायर विधि ( Rectifier Method )
रेक्टिफायर एक साधन है जिससे ए.सी. को डी.सी. में बदला जाता है क्योंकि डी.सी. स्रोत की आवश्यकता बैट्री को आवेशित करने के लिए। होती है। एक स्टेप डाउन ट्रांसफॉर्मर लगाकर रेक्टिफायर ब्रिज परिपथ बनाकर 250V को 24, 12, 9, 6V तक परिवर्तित करके बैट्री को चार्ज किया जाता है। बैट्री चार्जर में रेक्टिफायर लगे होते हैं। यह विधि बैट्री के आवेशन के लिए ही अधिक काम में ली जाती है।
4) बूस्ट चार्जिंग ( Boost Charging )
इस विधि का उपयोग बस ट्रक, कार बैट्री को आवेशित करने में किया जाता है। इस विधि में विशेष प्रकार के डी.सी. जनरेटर प्रयोग में आते हैं।
5) ट्रिकल चार्जिंग ( Trickle Charging )
ट्रिकल चार्जिंग से तात्पर्य है कि नो लोड कण्डीशन के दौरान पूर्णतया आवेशित बैट्री को आवेशित करने की दर के बराबर होती है इस प्रकार बैट्री पूर्णतया आवेशित स्तर पर बनी रहती है, यह प्रक्रिया ट्रिकल चार्जिंग प्रक्रिया कहलाती है। इसमें चार्जिंग धारा, कुल धारा का 20 % होती है।
महत्वपूर्ण लिंक: बैट्री की चार्ज दर क्या होती है? | घनत्व मापना | प्रभाव
बैट्री के चार्जिंग से महत्वपूर्ण बातें-
- दोस्तों कभी भी बैटरी गरम हो या कर्म माहौल में रखी हो तो आप उसे चार्ज करने की कोशिश बिल्कुल ना करें क्योंकि इससे बैटरी में इसफोट होने के चांस होते हैं।
- बैटरी को ओवर चार्ज कभी नहीं करना चाहिए। इससे सुरक्षा के लिए आप ऑटो कट मॉडुलेस (उपकरण) का भी इस्तेमाल कर सकते हैं इससे इस्तेमाल से बैटरी फुल चार्ज होने पर पावर सप्लाई अपने आप बंद कर देती है जिससे आपकी बैटरी ओवरचार्जिंग नहीं होती है और बैटरी की लाइफ लम्बे समय तक रहती है।
- आप कभी भी बैटरी को इस्तेमाल करते करते चार्ज मत कीजिएगा। इसे आपकी बैटरी की दक्षता (efficiency) बहुत कम हो जाती है और आपकी बैटरी की लाइफ भी कम हो जाती है बैटरी को चार्ज करते समय कम से कम इस्तेमाल कीजिए।
- कोशिश करें कि बैटरी को किसी हवादार स्थान पर ही रखें। बैटरी को किसी बंद जगह पर ना रखें। खासकर चार्जिंग करते समय, क्योंकि चार्जिंग करते समय आपकी बैटरी में कुछ गैस बनती हैं और खुले स्थान में रखने से उसके अंदर का तापमान कुछ हद तक बना रहता है।
One thought on “ट्रांसफॉर्मर का वर्गीकरण | Classification of Transformer”