नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम आपको सिखाने वाले हैं किसेल एवं बैटरी क्या होता है और यह कितने प्रकार के होते हैं तो अगर आप जाना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा जरूरत पढ़ें, तो चलिए दोस्तों इस लेख को शुरू करते हैं।
प्राचीन काल से ही विद्युत संचयन ( Storage ) के लिए भिन्न – भिन्न सिस्टम एवं उपकरणों का आविष्कार किया गया है, जिनमें से बैट्री का भी विद्युत संचयन में अहम् योगदान रहा है।
परन्तु बैट्री के द्वारा निम्न अथवा कम लोड वहन करने वाले उपकरणों के लिए ही विद्युत प्रदान की जा सकती है । बैट्री शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम बेंजामिन फ्रेंकलिन ने सन् 1740 में आवेशित ग्लास प्लेट के समूह के लिए किया था। इटेलियन वैज्ञानिक वोल्टा ने सन् 1800 में प्रथम इलैक्ट्रोकैमिकल बैट्री का निर्माण किया जो कि कुछ समय तक नियत विद्युत प्रदान करने में सक्षम थी।
इसके बाद बैट्री का ही अन्य रूप विद्युत सैल अस्तित्व में आया जिसे बैट्री के कॉन्सेप्ट ( Concept ) को उपयोग करके बनाया गया। इसे बैट्री का लघु रूप कहा जा सकता है। प्रथम विद्युत सैल डैनियल सैल को माना जाता है जिसका आविष्कार सन् 1836 में हुआ था। वर्तमान समय में उन्नत तकनीक से बने विभिन्न प्रकार की बैट्री एवं सैल जैसे शुष्क सैल, मर्करी सैल, सीसा अम्ल सैल आदि चलित हैं जिनका उपयोग विभिन्न उपकरणों , खिलौनों एवं ऑटोमोबाइल आदि में किया जा रहा है।
सेल क्या है?
सेल एक ऐसा उपकरण होता है, जो रासायनिक ऊर्जा (जो बहुत सारे रसायन से मिलकर बनता है) को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित कर देता है। किसी एक बैटरी में आमतौर पर बहुत सारे सेल का समूह मौजूद होता है। प्रयुक्त इलेक्ट्रोलाइट्स के प्रकार के आधार पर, एक सेल या तो आरक्षित, गीला या सूखा दोनों प्रकार का भी होता है। एक सेल में एक एनोड और दूसरा कैथोड होता है जो इसमें पॉजिटिव और नेगेटिव पॉइंट को दर्शाता है, जिसे इलेक्ट्रोलाइट द्वारा अलग किया जाता है इसका महत्वपूर्ण उपयोग वोल्टेज और करंट उत्पन्न करने में किया जाता है।
बैटरी क्या है?
बैटरी एक ऐसा डिवाइस है जो रासायनिक ऊर्जा को अपने अंदर संग्रहीत करता है और इस ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित कर देता है। और एक बैटरी में बहुत सारे छोटे-छोटे सेल मौजूद होते है। जिसमे रासायनिक प्रतिक्रियाओं के कारण ऊर्जा उत्पन्न होती है। इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह एक विद्युत प्रवाह प्रदान करता है जिसका उपयोग कार्य करने के लिए किया जा सकता है। आज के समय में बैटरी का बहुत बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।
सेल एक ऐसी युक्ति है। जो रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा (Electric energy) में रूपांतरित करता है। तथा सैलो के समानान्तर (Parallel) व श्रेणी (Series) क्रम संयोजन को बैटरी कहते हैं। सैल स्वयं दो कंडक्टिव प्लेट के द्वारा बनाया जाता है। और दोनों इलेक्ट्रोडो (Electrode) को इलेक्ट्रोलाइट में डुबोया जाता है। इलेक्ट्रोलाइट में रासायनिक अभिक्रिया के कारण दोनों इलेक्ट्रोडो के मध्य विभवांतर (voltage) उत्पन्न हो जाता है। और सैल से आउटपुट प्राप्त होता है। सैल व बैटरी का प्रयोग विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में किया जाता है। जैसे कि टॉर्च,रेडियो ,मोबाइल आदि।
सेल एवं बैटरी की संरचना
सामान्य सैल में धातु (Metal) की दो छड़े (sticks) होती है। जिन्हें इलेक्ट्रोड (Electrode) कहा जाता है। इलेक्ट्रोडों (Electrode) को एक द्रव में डुबोकर रखा जाता है। जिसको इलेक्ट्रोलाइट कहते हैं। तथा इन इलेक्ट्रोडों को तारों के द्वारा जोड़ा जाता है। जिससे इलेक्ट्रोलाइट के अंदर रासायनिक अभिक्रिया होती है। तथा इलेक्ट्रोडों के मध्य विभवान्तर (voltage) उत्पन्न हो जाता है। जिससे धारा प्रभावित होती है। तथा जब विभिन्न सैलो का समानांतर वह श्रेणी क्रम संयोजन कर देते हैं। तो बैटरी (battery) का निर्माण होता है। सैल वह बैटरी (battery) की संरचना व प्रतीक चिन्ह को दर्शाया गया है।
सेल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं।
- प्राथमिक सेल
- द्वितीयक सेल
प्राथमिक सेल क्या होता है।
वे सेल जिन्हें पुनः आवेशित नहीं किया जा सकता है। प्राथमिक (primary) सेल कहलाते हैं। यह रासायनिक ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने का एक साधन है। इनके विसर्जित होने पर विद्युत अपघट्य (electrolyte)और इलेक्ट्रॉन (Electron) दोनों का व्यय (spent ) होता है।
संपूर्ण इलेक्ट्रॉन (Electron) या विद्युत अपघट्य के व्यय होने पर यह सेल बेकार हो जाते हैं। तथा फिर से इन्हें काम में लाने के लिए इलेक्ट्रोड या विद्युत अपघट्य (Electrolyte) या दोनों को बदलना पड़ता है। प्राथमिक सेल में दो समान चालक प्लेटें, एनोड और कैथोड विद्युत अपघट्य में डूबी हुई रहती हैं।
विद्युत अपघट्य एक प्लेट के साथ अधिक रासायनिक क्रिया करता है। और परिपथ को बंद करने पर इलेक्ट्रॉन (Electron) एक प्लेट से दूसरी प्लेट पर जाने लगते हैं। जिससे दोनों इलेक्ट्रॉनों के बीच विभवांतर (voltage) स्थापित होता है। और परिपथ (Circuit) में विद्युत धारा(current) प्रवाहित होने लगती है। इन सैलो से बनी बैटरी (battery) को प्राथमिक बैटरी कहते हैं।
उदाहरण: वोल्टेइक सैल, लेक्लांशी एवं डेनियल सेल
द्वितीयक सेल क्या होता है।
दोस्तों द्वितीयक सेल (Secondary cells) वे सैल जिन्हें पुनः आवेशित (Charged) किया जा सकता है। द्वितीयक सेल (Secondary cells) कहलाते हैं। इन को काम में लेने से पहले आवेशित (Charged) करते हैं।
इस सेल को विद्युत सप्लाई प्रदान करने पर इसमें विद्युत ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा के रूप में एकत्रित कर ली जाती है। इसे परिपथ (circuit) में जोड़ने पर एकत्रित रासायनिक ऊर्जा, विद्युत ऊर्जा (energy) में बदल जाती है। जिससे परिपथ (circuit) में विद्युत धारा (current) प्रभावित होने लगती है।
अर्थात रासायनिक ऊर्जा (chemical energy) धीरे-धीरे विसर्जित हो जाती है। और दुबारा काम में लेने के लिए इन्हें पुनः आवेशित करना पड़ता है। इस तरह की सैलो को मिलाकर बनने वाली बैटरी को संचायक बैटरी (Accumulator battery) या द्वितीय सैल (secondary cell) कहते हैं।
उदाहरण: लैड एसिड सेल(Lead acid cell), निकिल-कैडमियम सैल (Nickel-cadmium cell), निकिल- लौह सैल (nickel-iron cell) आदि।
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