विद्युत ऊर्जा का अन्य उपयोगी ऊर्जा में स्थानान्तरण किया जा सकता है। विद्युत ऊर्जा को अन्य ऊर्जा के रूप में परिवर्तन करना विद्युत धारा का प्रभाव कहलाता है। विद्युत धारा के प्रभाव निम्नलिखित हैं।
ऊष्मीय प्रभाव ( Heating Effect )
में जब किसी चालक में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो यह कुछ ऊष्मा उत्पन्न करती है, इसका कारण यह होता है कि धारा को प्रवाहित करने में कुछ ऊर्जा व्यय होती है यह ऊर्जा ऊष्मा के रूप में प्रकट होती है।
विद्युत ऊर्जा का ऊष्मा ऊर्जा में यह परिवर्तन इलेक्ट्रॉनों के चालक में प्रवाह के समय अणुओं के टकराने से होता है। इस प्रभाव के कारण मोटरों का गर्म होना व इसका प्रयोग हीटर, विद्युत प्रेस, गीजर, थर्मल रिले, विद्युतीय भट्टियों में देखने को मिलता है।
ऊष्मा का सूत्र, H = I2Rt जूल से गणना की जाती है।

ऊष्मा से वोल्टेज
यदि धातुओं को विभिन्न टुकड़ों जैसे – लोहा व ताम्बा के सिरों को आपस में लपेट दिया जाए तथा आगे के सिरों को गर्म किया जाए तो तारों के सिरों पर वोल्टता उत्पन्न होगी, ये तापयुग्म (थर्मोकपल ) कहलाते हैं। इनका प्रयोग ताप मापन के लिए भट्टियों में किया जाता है। पायरोमीटर से भी ताप मापते हैं।
रासायनिक प्रभाव ( Chemical Effect )
- विद्युत जब अम्ल, नमक व क्षारों के घोल में से गुजारी जाती है तो विद्युत उनके अणुओं को विभक्त कर देती है।
- रासायनिक विधि द्वारा विद्युत को इकट्ठा किया जाता है।
- ऐसी मैट्रियां जिन्हें चार्ज किया जाता है उनमें D.C. की इका किया जाता है व डिस्चार्ज के रूप में उपयोग किया जाता है।
- रासायनिक प्रभाव द्वारा इलैक्ट्रोप्लेटिन की जाती है।
चुम्बकीय प्रभाव ( Magnetic Effect )
ओरेस्टेड वैज्ञानिक ने करन्ट ले जा रहे चालक के पास पुम्बकीय सुई रखकर उसके घूमने की प्रवृत्ति से यह परिणाम निकाला कि चालक में से जब करन्ट गुजरती है तो वृत्त आकार में चुम्बकीय रेखाएं चलना प्रारम्भ कर देती है। इलैक्ट्रोमेग्नेट अर्थात् विद्युत चुम्बक इसी प्रभाव पर कार्य करते हैं। विद्युतीय मशीनें / मोटरे इसी आधार पर कार्य करती है।
जैसे – पंखें , ऑल्टरनेटर, 3-फेश मोटर, ट्रांसफॉर्मर, यंत्र आदि ।
प्रकाशीय प्रभाव ( Lighting Effect )
विद्युत की उचित धारा को जब किसी लैम्प के फिलामेन्ट से गुजारा जाता है तो ये रोशनी बिखेरने लगते हैं, इसे धारा का प्रकाशीय प्रभाव कहते है। फ्लोरोसेन्ट ट्यूब, लैम्प, सी.एफ.एल. निऑन, लैम्प, कार्बन लैम्प इसके उदाहरण हैं।
विद्युत का शारीरिक प्रभाव ( प्राणियों पर )
मानव शरीर में से विद्युत धारा के गुजरने पर शरीर की आंतें व नसें सिकुड़ जाती हैं व जीवित शरीर को झटका महसूस होता है।
- शरीर यदि सूखा है- प्रतिरोध 70,00052 / sqcm से 1,00,00052 / sqcm
- शरीर यदि गीला है– प्रतिरोध 70052 / sqcm से 1,00052 / sqcm
अधिक वोल्टेज जो 200 मिली एम्पियर से अधिक धारा चलाता है वो शरीर की बाहरी चमड़ी को जला देता है।
विशेष प्रकार की किरणों का प्रभाव ( Effect of Special Rays )
किसी विशेष विधि द्वारा जब धारा को विशेष तल पर डाला जाता है तो इलेक्ट्रॉनिक इमीशन की विधि से विशेष प्रकार की किरणें निकलती हैं जैसे – एक्स – रे ( X – Rays ) , लेजर किरणें आदि धारा के इसी प्रभाव से उत्पन्न होती हैं । हाईटेक टेक्नोलॉजी में इस प्रभाव का प्रयोग अधिक होता है।
चिकित्सा क्षेत्र में किरणों के प्रभाव का लाभ बहुत अधिक हुआ है इससे शरीर के भीतरी अंगों के फोटो खींचे जाते हैं ।
उदाहरण 1 : एक 50N ( न्यूटन ) बल को एक वस्तु पर लगाया जाता है जो बल की दिशा में उसे 8 सैकण्ड में 15 मीटर की दूरी तक समरूप वेग से चलाता है , शक्ति ज्ञात कीजिए।
हल : X किया गया कार्य = बल दूरी = 50 × 15 = 750 जूल
इसलिए शक्ति = | सैकण्ड में किया गया कार्य
750/8 = – 93.75 वाट
उदाहरण 2 : 200 kg द्रव्यमान को समान चाल से 150 मीटर की ऊर्ध्वाधर दूरी तक 4 मिनट में उठाने के लिए आवश्यक शक्ति की गणना कीजिए ।
हल: भार उठाने के लिए आवश्यक शक्ति 200×9.81 ( न्यूटन / kg ) = 1962 वाट
4 मिनट में किया गया कार्य = 1962 × 150 = 294300 जूल
शक्ति = 294300/4 x 60 ( सैकण्ड ) – 1226.25 वाट
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