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सोल्डर क्या है? तथा इसके प्रकार

सोल्डर क्या है?

“यह धातुओं को जोड़ने के लिए प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया (process) में सोल्डरिंग फिलर पदार्थ होता है।”
यह टिन तथा लैड को मिलाकर बनाया जाता है। जिसमें टिन का गलनांक 231.9°C तथा लैड का गलनांक 375.5°C होता है।
टिन तथा लैड को 63 : 37 के अनुपात में मिलाकर बनाया जाने वाला सोल्डर सबसे अधिक उपयोग किया जाता है, इसका गलनांक 96°C से 255°C तक होता है।
टिन – लैड सोल्डर (solder) के अतिरिक्त अन्य धातुओं के साथ भी टिन सोल्डर बनाता है। जैसे- टिन-एन्टीमनी, टिन-एन्टीमनी-लैड, टिन-जिंक, टिन-सिल्वर, टिन-लैड-सिल्वर, कैडमियम-जिंक, कैडमियम-सिल्वर, जिंक-एल्युमीनियम आदि।

सोल्डर के प्रकार

यह दो प्रकार के होते हैं-

1.कठोर सोल्डर

इसमें ताँबा(copper), सिल्वर, टिन, जिंक, फॉस्फोरस, कैडमियम के अलॉय होते हैं, जिनका उपयोग भारी धातुओं की सोल्डरिंग के लिए किया जाता है। इसका गलनांक अन्य सोल्डर्स के गलनांक से अधिक होता है। और इसका गलनांक 450°C से अधिक होता है। इसका उपयोग ताँबा, पीतल, लोहा आदि धातुओं के बड़े आकार के टुकड़ों या मोटे तारों व केबिल्स के जोड़ों (joint) पर टांका लगाने के लिए किया जाता है। यह निम्न प्रकार (type) का होता है

(i)स्पैल्टर सोल्डर

यह जॉब (job) की आवश्यकता के अनुसार प्रयोग (use) किया जाता है। इसको तीन अनुपातों में मिलाकर बनाया जाता है। और इनका उपयोग प्लम्बर एवं शीट मैटल कार्यों में ब्रेजिंग करने के लिए किया जाता है।
(a)ताँबा = 50%, जिंक = 50%
(b)ताँबा = 67%, जिंक = 33%
(c)ताँबा = 50%, जिंक = 37%, टिन = 13%

(ii)सिल्वर सोल्डर

इसका गलनांक, स्पैल्टर सोल्डर (spelter solder) के गलनांक से कम होता है। और इसका उपयोग सोना, चाँदी, जर्मन सिल्वर आदि धातुओं की वस्तुओं में टाँका लगाने के लिए किया जाता है। सोना, चाँदी, जस्ता आदि धातुओं (metals) में टाँका लगाने वाला सोल्डर निम्न अनुपातों में बनाया जाता है।
(a)ताँबा = 33%, चाँदी = 67%
इसका उपयोग चाँदी (silver) की वस्तुओं में टाँका (stitch) लगाने के लिए किया जाता है ।
(b)ताँबा = 20%, चाँदी = 10%, सोना = 70%
इसका उपयोग सोने (gold) के आभूषणों में टाँका लगाने के लिए किया जाता है ।
(c)ताँबा = 20%, चाँदी = 70%, जस्ता = 10%
इसका उपयोग (use) रजत आभूषणों में टाँका (stitch) लगाने के लिए किया जाता है ।
(d)ताँबा = 35%, जस्ता = 55%, निकिल = 10%
इसका उपयोग जर्मन सिल्वर (German silver) में टाँका लगाने के लिए किया जाता है ।

2.नर्म सोल्डर

इसमें टिन, लैड, एण्टीमनी, ताँबा(copper), कैडमियम तथा जिंक के अलॉय होते हैं जो हल्की धातुओं पर सोल्डरिंग के लिए प्रयोग किये जाते हैं। इसका उपयोग पतली शीटों, छोटे पुर्जा तथा तारों (wires) को जोड़ने के लिए किया जाता है।
इसको बनाने में टिन और सीसा धातुएँ प्रयोग की जाती हैं । सोल्डर में टिन की मात्रा जितनी अधिक रखी जाती है, उतना ही उसका गलनांक कम होता है । इसका गलनांक 450°C से नीचे होता है, परन्तु एण्टीमनी व बिस्मथ मिलाने से इसका गलनांक 96°C तक कम हा जाता है।
सोल्डर (solder) के रूप में टिन तथा लैड की मिश्र धातु ही प्रयोग की जाती है। अलग-अलग धातुओं के लिए इनका मिश्रण अलग – अलग रहता है।

कठोर तथा नर्म सोल्डर में अंतर

कठोर सोल्डरनर्म सोल्डर
1. इससे पक्का जोड़ बनता है।1. इससे कच्चा जोड़ बनता है।
2. यह कॉपर तथा जिंक से बना होता है।2. यह लैड तथा टिन से बना होता है।
3. यह नर्म सोल्डर (soft solder) की अपेक्षा अधिक तापमान पर पिघलता है।3. इसका जोड़ बहुत कम तापमान (temperature) पर पिघलाकर लगाया जाता है।
4. इसके जोड़ में फ्लक्स के रूप में सुहागे (borax) का उपयोग किया जाता है।4. इसके जोड़ में फ्लक्स (flux) के रूप में नौसादर का उपयोग किया जाता है।
5. इसका उपयोग (use) भारी वस्तुओं को जोड़ने के लिए किया जाता है।5. इसका उपयोग हल्की वस्तुओं को जोड़ने के लिए किया जाता है।
6. इसका जोड़ काम करने पर नहीं खुलता है।6. इसका जोड़ गर्म होकर खुल जाता है।

More Information:- धातु क्या है? तथा इसके गुणधर्मों के बारे में

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