प्रैक्टिकल:प्रशिक्षण संस्थान के विभिन्न अनुभागों का भ्रमण
दोस्तों, आईटीआई कोर्स डॉट कॉम में आपका स्वागत है, आज की पोस्ट में प्रैक्टिकल: प्रशिक्षण संस्थान के विभिन्न अनुभागों का भ्रमण के बारे में बताया है, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़िए।
प्रैक्टिकल:प्रशिक्षण संस्थान के विभिन्न अनुभागों का भ्रमण

यह प्रैक्टिकल निम्न प्रकार से है-
1.उद्देश्य (Object)
प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षण संस्थान के विभिन्न अनुभागों व उनकी कार्य-प्रणालियों से अवगत कराकर संस्थान से आत्मीकरण कराना।
2.परिचय (Introduction)
किसी भी प्रौद्योगिकी संस्थान में या औद्योगिक संस्थान के सभी अनुभाग एक दूसरे पर आश्रित होते हैं जिसके लिए प्रशिक्षार्थियों को प्रत्येक अनुभाग की कार्यशैली से अवगत कराना अति आवश्यक है।
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3.आवश्यक उपकरण
विभिन्न सहायक ट्रेडों के अभिन्यास संबंधी चार्ट तथा मैनुअल।
4.सुरक्षा सावधानियां (Safety Precautions)
- कार्यशाला (workshop) में विविध अनुभागों की उपयोगिता ज्ञात कर लें।
- विभागवार कार्य-गतिविधियों स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी बिंदुओं की जानकारी प्राप्त कर लें।
- फिटर ट्रेड में सर्वाधिक महत्व के सहायक ट्रेडों का पूर्ण ज्ञान अर्जित कर लें।
- ट्रेडों की परस्पर सम्बद्धता स्पष्ट हो।
5.कार्यविधि (Working Method)
यह निम्न प्रकार से हैं-
(i)फिटर (Fitter)
इसके अंतर्गत प्रशिक्षार्थियों को पाइप फिटिंग व फैब्रीकेशन (pipe Fitting and Fabrication) का काम सिखाया जाता है।
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(ii)इलेक्ट्रीशियन (Electrician)
इसके अंतर्गत प्रशिक्षार्थियों (Trainees) को विद्युत संबंधित जानकारियां विस्तारपूर्वक समझाई जाती हैं; जैसे- मोटर चलाना व उसका रख-रखाव, तार बिछाना, ट्रांसफार्मर व उसका रख-रखाव इत्यादि जिससे फिटर संबंधी विविध कार्यों में उनका प्रयोग सम्भव हो सके।
(iii)वेल्डर (Welder)
इसके अंतर्गत प्रशिक्षार्थियों को लोहे पर विभिन्न प्रकार की वैल्डिंग संबंधी अध्ययन में निपुण बनाया जाता है।
(iv)टर्नर (Turner)
इसके अंतर्गत प्रशिक्षार्थियों को लोहे को एक प्रकार से दूसरे प्रकार में परिवर्तित करने की विधि में निपुण किया जाता है।
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(v)इलेक्ट्रॉनिक्स (Electronics)
इसके अंतर्गत प्रशिक्षार्थियों को अर्द्धचालक (Semiconductor) से निर्मित विभिन्न परिपथों के अध्ययन एवं व्यावहारिक उपयोग में निपुण बनाया जाता है।
6.परिणाम (Result)
सभी अनुभागों की परस्पर आश्रितता को समझना और क्योंंकि उनके एक-दूसरे से सम्बद्ध कार्य पूरक होते हैं अतः किसी भी संस्थान के अनुभागों में सामंजस्य के सकारात्मक परिणाम सामने आते हैं। संस्थान के भ्रमण का यही उद्देश्य भी है।
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