दोस्तों, मैंने इस पोस्ट दरारें क्या हैं? इसके कारण व उपाय इत्यादि के बारे में बताया है, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़िए।
दरारें क्या हैं? (Cracks kya hai?)
यह दोष वेल्डिंग करने में कुछ कमी उत्पन्न हो जाने से आ जाता है, यह दोष आ जाने वेल्डिंग जोड़ फेल हो जाता है। इससे जोड़ कमजोर हो जाता है, उसकी सामर्थ्य बहुत कम रह जाती है। जब बने जोड़ में दरारें अधिक बढ़ जाती हैं, तब जोड़ टूटने का खतरा बढ़ जाता है। यह दोष उत्पन्न होने का मुख्य कारण वेल्ड मेटल का असमान रूप से ठंडा होने पर आंतरिक खिंचाव का उत्पन्न होना है।
दरारें बीड के अंदरूनी भाग में पड़ जाती हैं और बीड की ऊपरी सतह पर दिखने लगती हैं।
दरारें उत्पन्न होने के कारण (Causes of Cracks)
यह दोष उत्पन्न होने के अनेक कारण हैं, जिसके बारे में नीचे बताया है, जो कि निम्न प्रकार से हैं-
- फ्लक्स का दोषयुक्त होना अर्थात् फ्लक्स में कुछ कमी होना।
- इलेक्ट्राड में हाइड्रोजन अधिक मात्रा में होना।
- वेल्ड मेटल का दोषयुक्त चुनाव करना अर्थात् वह मेटल जिसमें कमी हो उसको चुनना।
- फ्यूजन की कमी होना।
- जोड़ के डिजाइन में कमी होना।
- वेल्डिंग करने में अनुचित मेथेड का उपयोग करना।
- जॉब की तुलना में बीड बहुत पतली होना।
- बेस मेटल में सल्फर और कार्बन का अधिक प्रतिशत मात्रा होने से बेस मेटल में तन्यता गुण कम होना।
- वेल्डिंग करने के पश्चात् बने जोड़ पर पानी डालकर तुरन्त ठंडा कर देना।
उपाय
यह निम्न प्रकार से हैं-
- जिस स्थान पर लम्बे जोड़ की वेल्डिंग करनी हो तो वहां पर छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर वेल्डिंग करनी चाहिए, इसलिए जोड़ में दरारें उत्पन्न नहीं होंगी।
- जिस मेटल की वेल्डिंग करनी हो तो उसके लिए उचित इलेक्ट्राड रॉड का चुनाव करना चाहिए।
- जॉब का पूर्वतापन कर लें।
- वेल्डिंग जोड़ का सही डिजाइन करें।
- किसी भी मेटल को जोड़ते समय वीविंग का उपयोग करें।
- बीड को लगाने से पहले जोड़ को टैग लगाकर जोड़ना चाहिए।
- पहली बीड को साफ करने के बाद क्रैपर्स के ऊपर से ही दूसरी बीड प्रारंभ करें।
दोस्तों, यदि आपको दरारें क्या हैं? पोस्ट अच्छी लगी हो तो कमेंट करके बताएं।
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