नमस्कार दोस्तों, अगर आप बैटरी चार्जर के बारे में जानना चाहते हैं कि बैटरी चार्जर क्या होता है ओर वह कैसा दिखता है यह कैसे काम करता है इसको आप कैसे बना सकते हैं तो इन सभी की जानकारी अगर आप जानना चाहते हैं, तो इस लेख में हम ने दी है इसलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें इस लेख में दी गई जानकारी हमने कई सारे इंटरनेट पर उपलब्ध सोर्स उसे ली है और कुछ बुक्स से उठाई है उम्मीद है आप इस आर्टिकल को पूरा जरूर पड़ेंगे।
बैटरी चार्जर क्या होता है?
बैटरी चार्जर एक ऐसा उपकरण होता है जो किसी बैटरी में स्थित रासायनिक पदार्थ में इलेक्ट्रॉन की मात्रा को बढ़ा देता है अर्थात इलेक्ट्रॉन जमा कर देता है जिसकी वजह से हमारी बैटरी चार्ज हो जाती है और इस्तेमाल करने योग्य बन जाती है यह चार्जर कई प्रकार के और कई वोल्टेज और करंट के आधार पर अलग अलग हो जाते हैं आज के आधुनिक समय में बहुत ही अच्छी क्वालिटी के चार्जर भी उपलब्ध हैं।
बैटरी चार्जर कैसे होते है?
सबसे पहले तो मैं आपको यह बता दूं कि बैटरी चार्जर बैटरी के हिसाब से बनाए जाते हैं अर्थात अलग-अलग प्रकार की बैटरी के लिए अलग-अलग चार्जर होते हैं जैसे कि लिथियम आयन बैटरी के लिए अच्छी और कम करंट भेजने वाली चार्जर होती हैं और लेड एसिड बैटरी के लिए अलग चार्जर होता है तो मैंने आपको ऊपर एक इमेज दी है उसमें आपको हर प्रकार के चार्जर की फोटो मिल जाएगी आप वहां पर देख सकते हैं और नीचे मैंने आपको कुछ चार्जर के शॉपिंग लिंक भेजे हैं आप वहां से भी खरीद सकते हैं।
बैटरी चार्जर कैसे काम करता है
- बैटरी चार्जर काम करने का साधारण तरीका होता है जिसमें वह बिजली से संचालित होता है।
- पहले वह उच्च बिजली को निम्न बिजली में बदलने के लिए इसके अंदर ट्रांसफार्मर या अन्य युक्तियों का इस्तेमाल किया जाता है.
- उसके बाद प्रत्यावरी विद्युत धारा (AC supply ) को डीसी विद्युत धारा (डायरेक्ट करंट ) में बदला जाता है जो हमारी बैटरी में स्थित होती है.
- उसके बाद उस डीसी धारा को शुद्ध बनाने के लिए बहुत सारे छोटे छोटे कैपेसिटर और प्रतिरोधों का इस्तेमाल किया जाता है.
- उसके बाद जब डीसी धारा शुद्ध हो जाती है और कम हो जाती है तब हम इस धारा को बैटरी से जोड़ देते हैं और जिस से बैटरी धीरे-धीरे चार्ज होने लगती है तो इसी प्रकार से आपके हर एक चार्जर काम करते हैं.
बैट्री चार्जर से जुड़ी अन्य जानकारी?
प्राइमरी तथा द्वितीयक बैट्री में मुख्य अन्तर सिर्फ इतना है कि प्राइमरी बैट्रियां पुनः आवेशित नहीं हो सकती जबकि द्वितीयक बैट्रियां पुनः आवेशित की जा सकती हैं। इन बैट्रियों को पुनः आवेशित करने के लिए बैट्री चार्जर की आवश्यकता होती है।
ये बैट्रियां कई बार आवेशित तथा निरावेशित की जाती हैं जिससे इनकी दक्षता में वृद्धि होती है बैट्री चार्जर एक DC पावर सप्लाई स्त्रोत है जिसमें एक ट्रांसफॉर्मर लगा होता है जो AC इनपुट वोल्टेज को चार्जिंग के लिए आवश्यक वोल्टेज तक स्टेप डाउन करता है।
इसमें रेक्टिफिकेशन के लिए सेतु रेक्टिफायर का प्रयोग किया जाता है जो लो वोल्टेज AC को DC में रेक्टिफाई करता है। इसे और अधिक स्मूथ करने के लिए अधिक मान का इलैक्ट्रोलाइट कैपेसिटर लगाया जाता है। इस DC को इलैक्ट्रॉनिक परिपथ में दिया जाता है जो बैट्री चार्जिंग हेतु प्रयुक्त होता है। इस प्रकार ऊर्जा को रासायनिक रूप से भण्डारित किया जाता है।
बैटरी चार्जर कैसे बनाते हैं?
सबसे पहले बैटरी चार्जर बनाने के लिए आपको विद्युत की वर्किंग समझने पड़ेगी कि विद्युत कैसे काम करती हैं। क्योंकि इसके बिना आप चार्जर नहीं बना सकते तो उसके बाद आपको कुछ विद्युत साइन को पहचानना ओर समझना आना चाहिए।
और आपको चार्जर बनाने में आसानी हो इसके लिए मैंने आपको कुछ सर्किट का डायग्राम नीचे दिया है आप वहां से देख देख कर उन इलेक्ट्रिक साइन को समझकर एक अच्छा चार्जर बना सकते हैं। आउटपुट आपको जितना चाहिए होगा उतना बनाने के लिए आपको उस परिपथ को समझना पड़ेगा।
तो अगर आप चार्जर बनाना चाहते हैं तो पूरी सुरक्षा का ध्यान जरूर रखें जिससे आपको विद्युत झटका लगने का या शॉर्ट सर्किट होने का खतरा ना बने और अगर आप बना हुआ चार्जर खरीदना चाहते हैं तो मैंने आपको कुछ प्रोडक्ट की लिस्ट दी है आप वहां से खरीद सकते हैं।
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