नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम आपको बताने वाले हैं कि विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव क्या होते हैं, और इसे कैसे पता कर सकते हैं तो इन सभी की जानकारी के लिए इस लेख को पूरा जरूर पड़े तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं।
विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव (chemical effect) की खोज माइकल फैराडे (Michael Faraday) ने 1934 में की। इनके किए गए प्रेक्षण के अनुसार कुछ द्रव जैसे अम्लीय जल अम्ल, क्षार तथा लवणों जैसे सोडियम क्लोराइड ( NaCt ), कॉपर सल्फेट ( CuSO ), सिल्वर नाइट ( AgNO ) इत्यादि के विलयन, विद्युत के कंडक्टर का काम करते हैं।
इनमें विद्युत का प्रवाह धनात्मक तथा ऋणात्मक आयनों के आवागमन से होता है, जोकि रासायनिक क्रिया (chemical reaction) के फलस्वरूप उत्पन्न होते हैं. इसको विद्युत का रासायनिक प्रभाव कहते हैं।
विद्युत अपघटन ( Electrolysis )
फैराडे के नियम के अनुसार यदि रासायनिक विलयन (chemical solution) में विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो विलयन अलग – अलग अणुओं या आयनों में बंट जाता है। इस क्रिया को विद्युत अपघटन कहते हैं। नीचे दिए गए चित्रानुसार दो प्लेटें एक जार में रखी हुई दर्शायी गयी हैं, इन प्लेटों को इलेक्ट्रॉड कहते हैं। जिस जार में विद्युत अपघटन किया जाता है, उसे वोल्टामीटर कहते हैं।
वोल्टामीटर कई प्रकार के होते हैं , जैसे- कॉपर वोल्टामीटर, रजत वोल्टामीटर एवं जल वोल्टामीटर आदि। कॉपर सल्फेट के विद्युत अपघटन के लिए कॉपर वोल्टामीटर में कांच का एक बर्तन होता है जिसमें कॉपर सल्फेट का घोल विद्युत अपघट्य का कार्य करता है। इसमें दो प्लेटें इलेक्ट्रॉड्स का कार्य करती हैं। धनात्मक प्लेट एनोड तथा ऋणात्मक प्लेट कैथोड होती है। इन इलेक्ट्रॉडों को विद्युत परिपथ से जोड़ देते हैं।
जब इस घोल में विद्युत धारा (Electric current) प्रवाहित की जाती है तो कॉपर , कैथोड पर जमा होता है तथा एनोड से निकलकर घोल में आता है। घोल के अन्दर कॉपर सल्फेट की सान्द्रता अपरिवर्तित रहती है। कॉपर सल्फेट तथा पानी के अणु घोल के अन्दर निम्न प्रकार के आयनों में विच्छेदित हो जाते है- CuSO4, Cu++ +SO4 — H2O → H+ + OH-
जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो बैट्री की ऋण प्लेट से इलेक्ट्रॉन निष्काषित होकर धन प्लेट पर पहुंच जाते हैं। विद्युत अपघट्य के अन्दर धनायन Cu++ तथा H कैथोड की तरफ तथा ऋणायन SO4 तथा OH– एनोड की तरफ जाते हैं।
कैथोड पर- Cu++ आयन उन इलेक्ट्रॉनों से उदासीन कर दिए जाते हैं, जो कैथोड पर पहुंचते हैं। उदासीन Cu परमाणु कैथोड पर जम जाते हैं। Cu++ + 2e– → Cu .
एनोड पर- दोनों SO4— तथा OH- आयन घोल में रहते हैं लेकिन जैसे ही Cu परमाणु कैथोड पर जमता है , एनोड से एक Cu परमाणु Cu++ आयन के रूप में घोल में चला जाता है , जिससे 2 इलेक्ट्रॉन मुक्त होते हैं। Cu → Cu++ + 2e–
इलेक्ट्रॉन एनोड पर प्रवेश करके बैट्री के धनात्मक प्लेट पर पहुंचते है, जबकि Cu++ आयन घोल में रहते हैं। इस प्रकार एनोड से तांबा धीरे-धीरे घोल में जाता रहता है तथा कैथोड पर जमता जाता है। घोल में Cu++ आयनों तथा SO4— आयनों की संख्या बराबर रहती है। जब एनोड से तांबा पूर्णतः घुल जाता है, तो विद्युत अपघटन की क्रिया रूक जाती है।
विद्युत अपघटन से सम्बन्धित
- विद्युत अपघट्य ( Electrolytes )– विद्युत अपघट्य रासायनिक पदार्थों का घोल होता है जिसमें विद्युत धारा प्रवाहित करने पर रासायनिक अपघटन हो जाता है ।
- आयन ( Ion )- विद्युत धारा को इलैक्ट्रोलाइट में स्थापित करने पर इसके अणु दो भागों में विभक्त हो जाते हैं, इन्हें आयन कहते हैं। आयन विद्युत के आवेशित कण हैं एवं ये कण रासायनिक क्रिया में भाग लेते हैं।
- एनोड – धनात्मक इलेक्ट्रॉड ( Anode – Positive Electrode )- वह इलेक्ट्रॉड जिसके माध्यम से धारा इलैक्ट्रोलाइट में जाती है एनोड कहलाता है यह बैट्री के धन ( + ) सिरे से जुड़ी रहती है।
- कैथोड- ऋणात्मक इलेक्ट्रॉड ( Cathode – Negative Electrode )– वह इलेक्ट्रॉड जिसके माध्यम से धारा बैट्री को जाती है , कैथोड कहलाता है । यह बैट्री के ऋण ( – ) सिरे से जुड़ी रहती है।
- ऋणायन ( एनायन ) ( Anions )– ऐसे आयन जिन पर ऋण ( – ) आवेश होता है वे इलैक्ट्रोलाइट में एनोड इलेक्ट्रॉड की ओर गति करते हैं।
- धनायन ( कैटायन ) ( Cations )– ऐसे आयन जिन पर धन ( + ) आवेश होता है वे इलैक्ट्रोलाइट में कैथोड इलेक्ट्रॉड की ओर गति करते हैं।
- रासायनिक तुल्यांक ( Chemical Equivalent )– यह पदार्थ के परमाणु ( एटोमिक ) भार तथा संयोजकता का अनुपात है अर्थात् E – A / V जहां E = रासायनिक तुल्यांक , A = परमाणु भार व V संयोजकता है।
- विद्युत रासायनिक तुल्यांक ( Electro Chemical Equivalent )- संक्षेप में विद्युत रासायनिक तुल्यांक को E.C.E. द्वारा प्रदर्शित किय जाता है। किसी पदार्थ का विद्युत रासायनिक तुल्यांक पदार्थ को वह मात्रा है जो। सैकण्ड तक एक एम्पियर की धारा गुजारने पर इलैक्ट्रोलाइट में से पृथक् की जा सकती है। इसे kg / c की से मापा जाता है।
- संयोजकता ( Valency )– संयोजकता किसी तत्व के अणुओं की दूसरे तत्व के अणुओं के साथ जुड़ने की क्षमता को प्रदर्शित करती है। इसकी मात्रा हाइड्रोजन अणुओं के उन अणुओं की संख्या बराबर होती है जिनके साथ तत्व का परमाणु किसी रासायनिक क्रिया में भाग ले सकता है।
- आयनीकरण ( lonization )- यह इलैक्ट्रोलाइट के पानी में घुलने पर अपने आवेशित आयन में विभाजित होने की क्रिया है। आयोनाइजेशन की मात्रा
- इलैक्ट्रोलाइट की प्रकृति पर
- इलैक्ट्रोलाइट की सांद्रता पर तथा
- तापमान पर निर्भर करती है।
- परमाणु भार ( Atomic Weight )- परमाणु भार किसी तत्व एक परमाणु का वह भार है जब इसकी हाइड्रोजन के परमाणु तुलना की जाती है । इसका भार एक इकाई माना जाता है । सोडियम का अणु मार 23 है , इसका तात्पर्य है कि सोडियन परमाणु हाइड्रोजन के परमाणु से 23 गुना भारी है।
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