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अर्द्धचालक किसे कहते है? | विशेषताएं | प्रकार | उपयोग | अर्द्धचालक पदार्थ

अर्द्धचालक किसे कहते है विशेषताएं प्रकार उपयोग अर्द्धचालक पदार्थ

दोस्तों, मैंने इस पोस्ट में अर्द्धचालक क्या है? अर्द्धचालक का उपयोग इत्यादि के बारे में बताया है, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़िए। तो चलिए शुरू करते हैं-

अर्द्धचालक वे पदार्थ होते हैं जिनकी प्रतिरोधकता, चालक एवं कुचालक के मध्य होती है। ये मिश्र धातु ( एलॉय ) होते हैं। ये धारा के बहाव में बहुत अधिक प्रतिरोध उत्पन्न करते हैं। ये स्टैण्डर्ड प्रतिरोध बनाने में बहुत उपयोगी होते हैं।

अर्द्धचालक क्या है?(What is Semiconductor?)

“वह पदार्थ, जिसमें विद्युत वाहक बल के प्रभाव से विद्युत धारा का प्रवाह मध्यम गति से होता है, उसे अर्द्धचालक (Semiconductor) कहते हैं।” इस प्रकार के पदार्थों में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या भी मध्यम होती है।

अर्द्धचालकों की प्रतिरोधकता ताप बढ़ाने पर घट जाती है, और इनमें अशुद्धियों के रूप में अन्य पदार्थ मिला देने पर अर्द्धचालकों की चालकता बढ़ जाती है।

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अर्द्धचालकों की विशेषताएं ( Properties of Semiconductors )

अर्द्धचालकों की चालकता ( Conductivity ) 10-7 से 102 mho/m के बीच में निश्चित होती है जबकि इसकी प्रतिरोधता (Resistivity) 10-1 से 10-7 Ωm के बीच में निश्चित होती है। इस प्रकार के पदार्थों में संयोजी बैण्ड तथा चालन बैण्ड के बीच में एक निश्चित ऊर्जा अन्तराल होता है। यह ऊर्जा अन्तराल 1eV के लगभग बराबर होता है।

शून्य तापमान पर ये कुचालक की तरह व्यवहार करते हैं जबकि साधारण तापमान पर संयोजी बैण्ड के कुछ इलेक्ट्रॉन ऊर्जा प्राप्त करके चालन बैण्ड में चले जाते हैं और इस प्रकार इलेक्ट्रॉनों को अधिक ऊर्जा मिलने पर उनके मध्य सह संयोजी बैण्ड टूट जाता है जिससे इलेक्ट्रॉन मुक्त हो जाते हैं तथा पदार्थ चालक की तरह व्यवहार करते हैं।

अर्द्धचालकों के प्रकार ( Types of Semiconductors )

विभिन्न प्रकार के अर्द्धचालकों का विवरण निम्न प्रकार है-

  1. यूरेका ( Eureka )
    • यह मिश्र धातु है। इसे 60 % तांबा व 40 % निकिल मिलाकर बनाया जाता है।
    • इसका विशिष्ट प्रतिरोध अधिक होता है।
    • इसके पतले तार आसानी से बनाए जा सकते हैं।
    • प्रतिरोध बॉक्स , थर्मोकपल , स्टार्टरों के प्रतिरोध व रेग्यूलेटरों में इसका उपयोग किया जाता है।
  2. जर्मन सिल्वर ( German Silver ) यह भी मिश्र धातु है। इसमें 60 % तांबा 15 % निकिल एवं 25 % जिंक मिलाया जाता है। यह नर्म धातु होती है। इसका उपयोग प्रतिरोध तार एवं अच्छे वाल्व बनाने में किया जाता है।
  3. मैंगनिन ( Manganin ) 84 % तांबा , 12 % मैंगनीज, 4 % निकिल मिलाकर इसे मिश्र धातु के रूप में बनाया जाता है। इसे प्रमाणिक प्रतिरोधकों व महंगे यंत्रों में प्रयोग किया जाता है।
  4. प्लेटिनॉइड ( Platinoid ) 64 % तांबा 15 % निकिल , 20 % जस्ता , 1 % टंगस्टन धातुओं से यह मिश्र धातु बनाई जाती है । इसकी प्रतिरोधकता अधिक होती है। यह महंगी होने के कारण प्रमाणिक यंत्रों में प्रयोग की जाती है।
  5. नाइक्रोम ( Nichrome ) यह भी मिश्र धातु है। इसे 80 % निकिल व 20 % क्रोमियम मिलाकर तैयार किया जाता है। इसका गलनांक उच्च होता है। इसका उपयोग विद्युत भट्टियों में हीटर , प्रेस , गीजर , टोस्टर , विद्युत केतली के हीटिंग एलीमेन्ट बनाने में किया जाता है।
  6. कार्बन ( Carbon ) यह अधातु पदार्थ है। इसका प्रतिरोध कम होता है। इसका विशिष्ट प्रतिरोध अधिक होता है। इलैक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में इसका व्यापक उपयोग होता है। जनरेटर एवं डी . सी . मोटर में प्रयुक्त कार्बन ब्रुश , कार्बन के बने होते हैं।
  7. कैंथल ( Canthel ) यह पदार्थ क्रोमियम , निकिल तथा लोहा आदि धातुओं को मिलाकर तैयार किया जाता है। यह मिश्र धातु है। इसका विशिष्ट प्रतिरोध एवं गलनांक उच्च होता है। विद्युत फर्नेस के एलीमेन्ट, कैंथल के बनाए जाते हैं ।

अर्द्धचालक पदार्थ

यह एन्टिमनी, जर्मेनियम, फॉस्फोरस सिलिकॉन, आर्सेनिक, सल्फर आदि हैं।

अर्द्धचालकों का उपयोग

इनका उपयोग एल.ई.डी., एल.डी.आर., डायोड, ट्रांजिस्टर आदि में किया जाता है।

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