एक फ्यूल पम्प मोटर (fuel pump motor) वाहनों में एक घटक है जो फ्यूल टैंक से तरल को आंतरिक दहन इंजन के कार्बोरेटर या फ्यूल इंजेक्टर में स्थानांतरित करता है।
फ्यूल पम्प क्या है? | Fuel Pump kya hai?
यह एक डिवाइस होती है, जो कि फ्यूल को इंजन तक पहुंचाने में सहायता करता है। यह इंजन के ऊपरी भाग के पास या फ्यूल टैंक के अंदर लगाया जाता है। यह तेल ( Fuel ) के प्रेशर को बढ़ा देता है जिससे तेल एक निर्धारित प्रेशर के साथ तेल लाइन में प्रवेश करता है। यदि फ्यूल पम्प निर्धारित प्रेशर से अधिक प्रेशर बढ़ा देता है तब इंजन ( Engine ) में तेल की मात्रा बढ़ जाती है। यदि फ्यूल पम्प एक निर्धारित प्रेशर से कम प्रेशर बनाता है तब इंजन में तेल ( Fuel ) की मात्रा कम हो जाती है।
फ्यूल पम्प के प्रकार | Fuel Pump ke Prakar
फ्यूल पम्प, कार्य संचालन के आधार पर निम्न प्रकार के होते हैं-
- हाई प्रेशर फ्यूल पम्प- इस प्रकार के पम्प का उपयोग उन गाड़ियों में किया जाता है, जिनमें चार या चार से अधिक इंजन ( Engine ) में सिलेंडर लगे होते हैं। इसको कॉमन रेल फ्यूल पम्प भी कहा जाता है। इससे तेल का प्रेशर 30,000 पीएसआई तक बढ़ाया जा सकता है। इनका उपयोग तेल के प्रेशर को अधिक बढ़ाने में किया जाता है।
- इलेक्ट्रिक फ्यूल पम्प- यह पम्प तेल की खपत को कम करते हैं। यह करंट व इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट के द्वारा ऑपरेट किया जाता है। इसमें तेल का प्रेशर 400-2000 पीएसआई तक बढ़ाया जा सकता है।
- एस.यू. इलेक्ट्रिक फ्यूल पम्प- इसमें डायाफ्राम के मोशन को इलेक्ट्रिक करंट व सोलेनॉयड के द्वारा ऑपरेट किया जाता है। डायाफ्राम के मोशन द्वारा ही तेल के प्रेशर को बढ़ाया जाता है। जिस समय सोलेनॉयड में इलेक्ट्रिक करंट जाता है तब उस समय सोलेनॉयड चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है। चुंबकीय क्षेत्र की वजह से ऑर्मेचर ऊपर की ओर आता है और तेल स्टोरेज का वॉल्यूम बढ़ जाता है जिससे प्रेशर कम हो जाने के कारण फ्यूल इनलेट वाल्व के द्वारा सिविल स्टोरेज एरिया में आ जाता है। इसमें ऑर्मेचर पुश रॉड व स्प्रिंग की सहायता से जुड़ी रहती है। जब ऑर्मेचर ऊपर आ जाता है तब सोलेनॉयड का कनेक्शन ब्रेकिंग प्वांइट पर ब्रेक हो जाता है। इस वजह से चुंबकीय क्षेत्र भी खत्म हो जाता है। जब चुंबकीय क्षेत्र खत्म होता है तभी स्प्रिंग के बल से ऑर्मेचर वापस नीचे की ओर आ जाता है। इसके नीचे आ जाने के कारण फ्यूल स्टोरेज एरिया का वॉल्यूम कम हो जाता है और प्रेशर बढ़ जाता है। इसके बाद तेल आउटलेट वॉल्व के द्वारा तेल लाइन में चला जाता है।
- मैकेनिक फ्यूल पम्प- यह ऐसे पम्प होते हैं, जिनको चलाने के लिए मशीन के द्वारा ऊर्जा दी जाती है। इसमें तेल का प्रेशर 40-100 पीएसआई तक बढ़ाया जा सकता है।
मैकेनिक फ्यूल पम्प के प्रकार
- प्लंजर टाइप पम्प- इसमें एक प्लंजर होता है, जो कि पिस्टन ( Piston ) की तरह काम करता है। हम प्लंजर के मोशन को स्प्रिंग ( Spring ) और कम रोटेशन से ऑपरेट करते हैं। जब प्लंजर अपने निचले छोर पर होता है तब इनलेट पोर्ट के द्वारा तेल का प्रवेश पम्प में होता है और जब प्लंजर अपने निचले छोर से ऊपरी छोर पर जाता है, तब इनलेट पोर्ट प्लंजर से बंद हो जाता है। इसके बंद हो जाने पर तेल कंप्रेस होकर आउटलेट पोर्ट की मदद से तेल लाइन में चला जाता है।
- डायाफ्राम टाइप पम्प- इसमें फ्यूल भंडारण का आयतन डायाफ्राम प्लेट द्वारा अधिक व कम करके फ्यूल प्रेशर को अधिक व कम किया जाता है। डायाफ्राम के मोशन को कैम के रोटेशन के द्वारा आपरेट किया जाता है और जब आयतन बढ़ता है तब पम्प के अंदर प्रेशर कम हो जाता है जिस वजह से फ्यूल/तेल इनलेट वाल्व द्वारा पम्प में आता है और जब इसका आयतन कम होता है तब पम्प के अंदर प्रेशर बढ़ जाता है। जिसकी वजह से तेल/फ्यूल आउटलेट वाल्व के द्वारा तेल लाइन/फ्यूल लाइन में जाता है। आउटलेट वाल्व व इनलेट वाल्व एक तय किए गए दिशा में तेल का प्रवाह कराते हैं।
Fuel Pump Qna-
फ्यूल पम्प का उद्देश्य क्या है?
यह गैस टैंक से इंजन तक गैस को या तेल टैंक से तेल को पहुंचाने का काम करता है। जिससे हमारी कार या अन्य वाहन आसानी से चल सके।
फ्यूल पम्प कहां उपयोग किए जाते हैं?
फ्यूल पम्प का प्रयोग फ्यूल सिस्टम में फ्यूल टैंक से कार्बोरेटर तक फ्यूल पहुंचाने के लिए किया जाता है। आजकल के समय में वाहनों में कई प्रकार के फ्यूल पम्प का उपयोग किया जाता है।
वाहनों में फ्यूल पम्प कहां स्थित होता है?
अधिकतर वाहनों में, फ्यूल पम्प फ्यूल टैंक में स्थित होता है।
क्या कार बिना फ्यूल पम्प के चल सकती है?
कार बिना फ्यूल पम्प के नहीं चला सकते हैं।
क्या हम फ्यूल पम्प को साफ कर सकते हैं?
यदि हमारे वाहन में इलेक्ट्रिक फ्यूल पम्प है, तब हम किसी भी तलछट रूकावट को दूर करने के लिए फ्यूल सिस्टम क्लीनर का उपयोग कर सकते हैं। फ्यूल पम्प के अंदरूनी फिल्टर के मलबे को हटाने के लिए पम्प खोल सकते हैं।