“वह सूक्ष्ममापी यंत्र, जिसके द्वारा किसी जॉब का बाहरी व्यास, अंदरूनी व्यास व गहराई तीनों को मापा जाता है, उसे वर्नियर कैलिपर (Vernier caliper) कहते है।”
इस सूक्ष्ममापी यंत्र का आविष्कार फ्रांस के वैज्ञानिक पैरी वर्नियर ने किया था। इसलिए, इस यंत्र का नाम वैज्ञानिक के नाम के अनुसार वर्नियर कैलिपर रखा गया था।
वर्नियर कैलिपर किस मटेरियल से बना होता है? | Vernier caliper made of?
यह निकिल क्रोमियम स्टील या वेनेडियम स्टील का बनाया जाता है।
वर्नियर कैलिपर का सिद्धांत क्या है? | Principle of Vernier Caliper?
“यह मेन स्केल और वर्नियर स्केल के अंतर पर कार्य करता है।”
वर्नियर कैलिपर का आकार कितना होता है? | Size of vernier caliper
यदि आप इसको बाजार में खरीदने जाओगे तो यह मीट्रिक पद्धति में 150mm से 300mm तक साइज के मिलेंगे। और यह ब्रिटिश पद्धति में 6″ से 24″ इंच तक साइज के मिलेंगे।
वर्नियर कैलिपर की न्यूनतम संख्या? | least count of vernier caliper
0.1 mm
खरीदे वर्नियर कैलिपर 200 मिमी | Buy Vernier caliper 200 mm
Electronic Vernier Caliper, 8 inch or 200 mm
- Resolution: 0.01 mm or 0.0005 inch
- Buttons: On or off, zero, mm or inch
- Material Stainless Steel
वर्नियर कैलिपर 200 मिमी की कीमत | Vernier caliper 200mm price
वर्नियर कैलिपर 200 मिमी की कीमत लगभग 1700 से सुरू है ओर 8000 तक मिलते है। ओर इसकी कीमत वर्नियर कैलिपर की क्वालिटी पर निर्भर करता है। आपको माना एक अच्छी क्वालिटी का वर्नियर कैलिपर का लिंक दिया ही आप buy button कर क्लिक करके खरीद सकते है।
वर्नियर कैलिपर के भाग कौन-कौन से है?
इसके मुख्य भाग निम्न प्रकार से हैं-
1) वर्नियर स्केल
यह वर्नियर कैलिपर का सबसे मुख्य भाग होता है, इसकी सहायता से ही सूक्ष्मता में माप ली जाती है। इसमें नीचे की साइड में मीट्रिक पद्धति के व ऊपरी साइड में ब्रिटिश पद्धति के निशान बने होते हैं। इसमें बाहरी व्यास मापने के लिए उपयोग में लाया जाने वाला भाग जबड़ा तथा भीतरी व्यास मापने के लिए उपयोग में लाया जाने वाला भाग निब कहलाता है।
इस स्केल से चल जबड़ा तथा चल निब जुड़ी रहती है। इसी स्केल से गहराई मापने के लिए एक डैप्थ रॉड जुड़ी रहती है। इसके ऊपरी भाग में एक लॉकिंग स्क्रू लगा होता है। तथा इसके साइड में नीचे की ओर एक फाइन एडजस्टिंग स्क्रू लगा होता है।
2) मेन स्केल
वर्नियर कैलिपर का यह भाग बीम के नाम से भी जाना जाता है। इस भाग पर स्टील रूल के समान मीट्रिक व ब्रिटिश पद्धति के निशान बने होते हैं। इसी भाग से बाहरी माप लेने के लिए फिक्स जबड़ा तथा भीतरी माप लेने के लिए फिक्स निब लगी होती है। और इसके पीछे की साइड में एक ग्रूव बना होता है। इस ग्रूव में गहराई मापने के लिए एक डैप्थ रॉड पड़ी होती है।
3) चल व फिक्स जबड़ा
इस भाग को किसी जॉब का बाहरी व्यास मापने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
4) चल व फिक्स निब
इस भाग को किसी जॉब में बने स्लॉट का अंदरूनी व्यास मापने या स्लॉट की चौड़ाई मापने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
5) लॉकिंग स्क्रू
इस भाग के द्वारा वर्नियर स्केल को लॉक किया जाता है। जब किसी जॉब की माप लेते हैं, तो जॉब को जबड़ों या निब से निकालते हैं, तब वर्नियर कैलिपर हिल सकता है, जिसके कारण शुद्ध रीडिंग नहीं मिल पाएगी। इसलिए जॉब को माप लेकर तुरंत लॉक कर देते हैं। जिससे वर्नियर स्केल लॉक हो जाती है, और रीडिंग शुद्ध या एक्युरेट प्राप्त हो जाती है। इस स्क्रू में नर्लिंग की गई होती हैं।
6) फाइन एडजस्टमेन्ट स्क्रू
इस भाग को थम्ब स्क्रू भी कहते हैं, क्योंकि इसको हाथ के अंगूठे से चलाया या आपरेट किया जाता है। इस स्क्रू के द्वारा बहुत बारीक माप को एडजस्ट करते हैं। जिससे एक्युरेट माप मिलती है। इस भाग के द्वारा वर्नियर स्केल को आसानी से आगे-पीछे सरकाया जाता है। इस स्क्रू में नर्लिंग की गई होती है।
7) डैप्थ रॉड
इस भाग का उपयोग किसी जॉब में बने स्लॉट की गहराई मापने के लिए किया जाता है। यह रॉड वर्नियर स्केल से जुड़ा होता है। इसके द्वारा गहराई को भी मीट्रिक पद्धति व ब्रिटिश पद्धति दोनों में माप सकते हैं।
वर्नियर कैलिपर का अल्पतमांक क्या है?
वर्नियर कैलिपर स्केल में एक मुख्य स्केल (Main Scale) के साथ सरकने वाला स्केल लगा होता है। वर्नियर कैलिपर स्केल की सहायता से किसी वस्तु का आंतरिक व्यास, भीतरी व्यास व किसी कट की गहराई को बिना किसी त्रुटि के मापा जाता है। वर्नियर कैलिपर का मीट्रिक पद्धति में अल्पतमांक 0.02 मिमी व ब्रिटिश पद्धति में 0.001 इंच होता है।
अल्पतमांक (Least Count)- “वर्नियर कैलिपर द्वारा जो न्यूनतम माप ली जा सकती है, उसे वर्नियर कैलिपर अल्पतमांक ( Least count of vernier caliper) कहते हैं।”
- मीट्रिक पद्धति में- 0.02मिमी
- ब्रिटिश पद्धति में- 0.001इंच
1) मीट्रिक पद्धति
जिन वर्नियर कैलिपर में मेन स्केल पर 0.5 मिमी व 1 मिमी के निशान बने होते हैं-
- इनमें मेन स्केल के पर एक मिमी वाले 12 भाग और 0.5 मिमी के 24 भाग वर्नियर स्केल के 25 भागों के बराबर होते हैं।
- इसके बाद मेन स्केल के एक भाग का मान और वर्नियर स्केल के एक भाग का मान निकाला जाता है।
- मेन स्केल के एक भाग का मान 0.5 मिमी होता है।
- वर्नियर स्केल के एक खाने का मान निम्न प्रकार से निकालते हैं-
- वर्नियर स्केल के 25 भाग = मेन स्केल के 12 भाग
- वर्नियर स्केल के एक भाग का मान = 12/25 = 0.48 मिमी
अल्पतमांक = मेन स्केल के एक भाग का मान- वर्नियर स्केल के एक भाग का मान
अल्पतमांक = 0.5 – 0.48 = 0.02 मिमी
जिन वर्नियर कैलिपर की मेन स्केल पर एक मिमी के निशान बने होने के साथ मेन स्केल के 49 भाग वर्नियर स्केल के 50 भागों के बराबर होते हैं, उनमें निम्न प्रकार से अल्पतमांक निकाला जाता है-
- इसके बाद मेन स्केल के एक भाग का मान और वर्नियर स्केल के एक भाग का मान निकाला जाता है।
- मेन स्केल के एक भाग का मान 1 मिमी होता है।
- वर्नियर स्केल के एक खाने का मान निम्न प्रकार से निकालते हैं-
- वर्नियर स्केल के 50 भाग = मेन स्केल के 49 भाग
- वर्नियर स्केल के एक भाग का मान = 49/50 = 0.98 मिमी
अल्पतमांक = मेन स्केल के एक भाग का मान- वर्नियर स्केल के एक भाग का मान
अल्पतमांक = 1.00 – 0.98 = 0.02 मिमी
2) ब्रिटिश पद्धति
जिन वर्नियर कैलिपर के मेन स्केल के 24 भागों को वर्नियर स्केल पर 25 भागों में बांटा जाता है, उनका अल्पतमांक निम्न प्रकार से निकाला जाता है-
- इस पद्धति के वर्नियर कैलिपर में मेन स्केल को इंचों में बांटा गया होता है, इसमें एक इंच को 10 बराबर भागों में बांटा जाता है, और इस एक भाग को चार बराबर अनुभागों में बांटा जाता है। तब टोटल अनुभाग 40 हो जाते हैं।
- इसलिए मेन स्केल के एक भाग का मान 1/40 इंच या 0.025″ होता है।
- इसी प्रकार मेन स्केल के 24 भाग = 24 × 1″/40 = 24″/40
- अब वर्नियर स्केल के 25 भाग का मान = मेन स्केल के 24 भाग का मान
- वर्नियर वर्नियर स्केल के एक भाग का मान = 24/40×25 = 24/1,000 = 0.024″
- इसलिए वर्नियर स्केल के एक भाग का मान = 0.024″
अल्पतमांक = मेन स्केल के एक भाग का मान- वर्नियर स्केल के एक भाग का मान
अल्पतमांक = 0.025″ – 0.024″ = 0.001″
वर्नियर कैलिपर के उपयोग
टेक्निकल की दुनिया में इसका उपयोग निम्न कार्यों के लिए किया जाता है।
- फिटिंग करते समय आवश्यक पार्ट का साइज चैक करने में।
- किसी शाफ्ट का बाहरी व्यास चैक करने में।
- खोखली शाफ्ट या बियरिंग का अंदरूनी व्यास चैक करने में।
- ब्लाइंड बोर की गहराई चैक करने में।
- वर्कशॉप में दिए गए प्रैक्टिकल में जॉब की लम्बाई को भी एक्युरेसी में माप सकते हैं।
- जॉब में ड्रिल किए गए होल का व्यास मापने में।
- जॉब में बंद ड्रिलिंग किए गए होल की गहराई मापने में।
वर्नियर कैलिपर की सावधानियां
वर्नियर कैलिपर को उपयोग करते समय निम्न बातें ध्यान रखनी चाहिए। जो कि निम्न प्रकार से हैं-
- इसको उपयोग करने से पहले शून्य त्रुटि चैक कर लेनी चाहिए।
- इसको कभी भी कटिंग टूल्स व हैण्ड टूल्स के साथ मिलाकर नहीं रखना चाहिए। अन्यथा इसकी सूक्ष्मता समाप्त हो जाएगी।
- लेथ मशीन पर टर्निंग या अन्य आपरेशन करते समय मशीन रोककर जॉब का साइज चैक करना चाहिए।
- मशीन के चलते हुए चैक नहीं करना चाहिए। इससे जॉब के जबड़े घिस जाएंगे।
- इसको सम्भलकर पकड़ना चाहिए। यह बार-बार हाथ से छूटना नहीं चाहिए। क्योंकि गिरने से इसके पार्ट में हल्की सी खरोंच या मुड़ जाने से सूक्ष्मता समाप्त हो जाएगी।
- इसको कभी भी ठोंकने पीटने के काम में नहीं लाना चाहिए।
- इसकी डैप्थ रॉड को कभी भी हैण्डिल के रूप में उपयोग नहीं करना चाहिए।
2.अल्पतमांक कैसे ज्ञात करते हैं?
वर्नियर कैलिपर का अल्पतमांक ज्ञात करने के लिए मेन स्केल (Main Scale) के एक भाग का मान व वर्नियर स्केल (Vernier Scale) के एक भाग का मान अंतर निकाला जाता है।
3.वर्नियर कैलिपर का आविष्कार कब हुआ था?
वर्नियर कैलिपर (Vernier Caliper) का आविष्कार सन् 1631 में हुआ था।
4.लिस्ट काउंट को हिंदी में क्या कहते हैं?
लिस्ट काउंट (Least Count) को हिंदी में अल्पतमांक कहते हैं।
Sar ji dhanatmak truti rinatmak truti kese nikalte hai bataye please likhe huaa se samjh nahi aa raha hai kese jodan /ghatana hai
बहुत अच्छा समझाया 👍🏻
Nice 👍
बहुत अच्छा 🙏