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प्रारंभिक विद्युत क्या होती है? | विद्युत का सिद्धान्त

परंभिक विद्युत क्या होती है विद्युत का सिद्धान्त

नमस्कार दोस्तों आज के इस लेख में हम आपको सिखाने वाले हैं कि प्रारंभिक विद्युत क्या होती है? और विद्युत का सिद्धान्त क्या हैं तो अगर आप जाना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा जरूरत पढ़ें, तो चलिए दोस्तों इस लेख को शुरू करते हैं।

आज के टेक्नोलॉजी के हिसाब से विद्युत धारा (Electric current) मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। क्योंकि टेक्नॉलजी के बढ़ने से विद्धुत की खपत भी तेजी से बढ़ती जा रही है। इसका अत्यधिक उपयोग मुख्यतः विभिन्न प्रकार के यंत्र, मशीन आदि के संचालन के लिए एवं रोशनी उत्पन्न करने में लिए जा रहा है।

विद्युत किसे कहते है? | vidyut kise kahte he

विद्युत भौतिक विज्ञान का वह भाग है, जिसमें विद्युत आवेशों का अध्ययन किया जाता है, विद्युत कहलाती है। विद्युत एक प्रकार का बल है (electricity is a force) जो दिखाई नहीं देता है और न ही स्पर्श किया जा सकता है , परन्तु इसका अनुभव घटनाओं अथवा प्रयोगों के माध्यम से किया जा सकता है । विद्युत पदार्थ के आधारभूत कण परमाणु का अंग है । इस प्रकार परमाणु के अंदर इलेक्ट्रॉनों के असंतुलन के कारण किसी भी प्रकार की लगायी गयी ऊर्जा , विद्युत ऊर्जा में बदल जाती है ।

विद्युत ऊर्जा का प्रयोग अस्पतालों , मोटरों में, जनरेटरों, कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी, छोटे-बड़े उद्योगों, अनुसंधान के कार्य व प्रत्येक घरेलू उपकरण में हो रहा है।

यह विद्युत दो प्रकार की होती है

प्रत्यावर्ती धारा में वोल्टेज को सुगमता से स्टेप अप ( Step Up ) एवं स्टेप डाउन ( Step Down ) करके वांछित कार्य के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है।

इससे विद्युत का संचरण , वितरण आदि आसान हो जाता है इसलिए विभिन्न कार्यों के लिए मुख्यतः AC का उपयोग किया जाता है। विद्युत अभियांत्रिकी में विभिन्न कार्यों के लिए भिन्न-भिन्न पदार्थों का उपयोग किया जाता है । इन पदार्थों की अलग-अलग विशेषताओं के कारण से विद्युत धारा का वितरण व उपयोग सुगम एवं सरल हो गया है।

परंभिक विद्युत क्या होती है  विद्युत का सिद्धान्त
परंभिक विद्युत क्या होती है विद्युत का सिद्धान्त

विद्युत का सिद्धान्त

एक चालक में इलेक्ट्रॉनों का एक दिशा में बहाव विद्युत कहलाता है। ग्रीक दार्शनिक थेल्स ( लगभग 600 B.C. ) ने देखा कि जब एंबर को सिल्क कपड़े के टुकड़े पर रगड़ते हैं, तब इसमें कागज के छोटे टुकड़ों, पिथ बाल इत्यादि को अपनी तरफ आकर्षित करने का गुण आ जाता है। ग्रीक में एंबर को इलेक्ट्रॉन कहते हैं। इसलिए इस विधि से एंबर में उत्पन्न यह गुण विद्युत कहलाया।

बेन्जामिन फ्रेंकलिन ने विद्युत के तरल पदार्थ सिद्धान्त के बारे में भी खोज की जिसके अनुसार धारा , स्त्रोत के धनात्मक टर्मिनल से ऋणात्मक टर्मिनल की ओर बहती है।

आधारभूत रूप से विद्युत दो प्रकार की होती है।

  1. स्थिर विद्युत
  2. गतिशील विद्युत

स्थिर विद्युत ( Static Electricity ) इस विद्युत को एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं पहुंचाया जा सकता । यह आवेश ( चार्ज ) ले रूप में होती है । इसका उत्पादन प्रचुर मात्रा में नहीं किया जा सकता है।

  • एंबर को चमड़े पर रगड़ने से एंबर पर आए चार्ज को ऋण (-) चार्ज कहा जाता है।
  • कांच की छड़ को रेशमी कपड़े पर रगड़ने से धन (+) चार्ज आता है।

बुनियादी बिजली क्या है?

विद्युत एक स्थान से दूसरे स्थान तक इलेक्ट्रॉनों का प्रवाह है। इलेक्ट्रॉन किसी भी सामग्री के माध्यम से प्रवाहित हो सकते हैं, लेकिन कुछ में दूसरों की तुलना में अधिक आसानी से होता है। यह कितनी आसानी से बहता है प्रतिरोध कहलाता है। किसी पदार्थ का प्रतिरोध ओम में मापा जाता है।

बिजली किसने बनाई?

बिजली की खोज का श्रेय ज्यादातर लोग बेंजामिन फ्रैंकलिन को देते हैं। बेंजामिन फ्रैंकलिन अपने समय के सबसे महान वैज्ञानिक दिमागों में से एक थे। उन्हें विज्ञान के कई क्षेत्रों में दिलचस्पी थी, उन्होंने कई खोजें कीं, और कई चीजों का आविष्कार किया, जिसमें बाइफोकल चश्मे भी शामिल थे।

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