Drilling Machine kya hai in hindi:- ड्रिलिंग मशीन में ड्रिल बिट को लगाकर ड्रिलिंग प्रक्रिया की जाती है, ड्रिलिंग प्रक्रिया में आवश्यक जॉब में होल बनाया जाता है। प्रत्येक स्थान पर अलग प्रकार की ड्रिलिंग मशीन उपयोग की जाती है। ड्रिलिंग मशीन दो प्रकार की होती हैं।
दोस्तों, मेरी वेबसाइट में आपका स्वागत है, मैंने इस पोस्ट में ड्रिलिंग मशीन क्या है? ड्रिलिंग मशीन के प्रकार आदि के बारे में बताया है, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़ें। (ड्रिलिंग मशीन क्या है? हिंदी में)
ड्रिलिंग मशीन क्या है?
“ड्रिल द्वारा ड्रिलिंग प्रक्रिया करने के लिए जिस मशीन का उपयोग किया जाता है, उसे ड्रिलिंग मशीन (Drilling Machine) कहते हैं।”
ड्रिलिंग मशीन के पार्ट्स
इसके पार्टों के बारे में निम्न प्रकार से है-
1.बेस (Base)
यह ड्रिलिंग मशीन का सबसे नीचे वाला भाग होता है, बेस कास्ट आयरन का बनाया जाता है। यह कास्ट आयरन का इसलिए बनाया जाता है, क्योंकि कास्ट आयरन में कम्पन व झटके सहन करने की अधिक क्षमता होती है।
2.पिलर (Pillar)
यह भाग बेस के ऊपर ऊर्ध्वाधर फिट किया गया होता है, यह माइल्ड स्टील का बना होता है। इसके सबसे ऊपर वाले सिरे पर एक साइड से मोटर व दूसरी साइड से स्पिण्डल को क्लैम्प की सहायता से फिट किया जाता है। इसी पिलर में एक वर्क टेबल भी फिट की गई होती है।
3.वर्क टेबल
यह पिलर में फिट की गई होती हैं। यह गोलाकार या आयताकार होती है, इसकी ऊपर वाली सतह पर ‘T’ स्लॉट कटे होते हैं। इन स्लॉटों में जॉब या हैण्ड वाइस को पकड़ा जाता है, इसके बाद ड्रिलिंग प्रक्रिया की जाती है।
4.मोटर
यह पिलर में फिट किया गया होता है, इसके स्पिण्डल पर स्टैप पुली लगी होती है।
5.स्पिण्डल
इसके एक सिरे पर स्टैप पुली और दूसरे सिरे पर ड्रिल चक लगा होता है। स्पिण्डल को घुमाने के लिए या गति देने के लिए स्टैप पुली में ‘वी’ बैल्ट लगी होती है। जब मोटर को घुमाया जाता है, तो स्पिण्डल घूमता है। स्पिण्डल को फीड देने के लिए फीड हैण्डिल को घुमाया जाता है।
स्पिण्डल में एक होल होता है, इस होल की सहायता से ड्रिल को पावर ट्रांसफर की जाती है। इस होल में बड़े ड्रिल का टेपर शैंक व ड्रिल चक का शैंक आसानी से फिट हो जाता है।
स्पिण्डल में मोर्स टेपर दिया गया होता है। यह मोर्स टेपर नं 1 होता है।
6.स्टैप पुली
यह पार्ट एक मशीन में दो लगे होते हैं। पहली पुली मोटर में और दूसरी पुली स्पिण्डल में लगी होती है। यह पुली एक दूसरे के विपरीत लगी होती हैं, जिससे गति को बदल सकते हैं। इन दोनों पुलियों का कनेक्शन ‘वी’ बैल्ट से होता है।
7.’वी’ बैल्ट
यह स्टैप पुली में फिट करके उपयोग में लाई जाती है। यह लैदर की बनी होती है।
8.ड्रिल चक
इसमें ड्रिल बिट को पकड़ा जाता है, और ड्रिल बिट को घुमाकर ड्रिलिंग प्रक्रिया की जाती है।
9.फीड हैण्डिल
इस हैण्डिल के द्वारा ड्रिल बिट को फीड दी जाती है। इस हैण्डिल में पिनियन और स्पिण्डल में रैक लगी होती है। जब हैण्डिल को क्लॉकवाइज घुमाया जाता है, तब हैण्डिल नीचे की ओर आता है, और जब हैण्डिल को एंटीक्लॉकवाइज घुमाया जाता है, तब हैण्डिल ऊपर की और अपने निश्चित स्थान पर आ जाता है।
ड्रिलिंग मशीन के प्रकार
यह वर्क के आधार पर दो प्रकार की होती हैं, जो कि निम्न प्रकार से हैं-
1.पोर्टेबिल ड्रिलिंग मशीन
इस प्रकार की ड्रिलिंग मशीनें बहुत छोटी होती हैं, इन्हें आसानी से हाथ में पकड़कर उपयोग में लाया जाता है। और इनको आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है। इस मशीन का उपयोग बहुत बड़े उपकरणों में ड्रिलिंग करने के लिए किया जाता है।
आजकल इसका उपयोग डिश वाले भी छतरी लगाने से पहले छत में होल करने के लिए करते हैं। इस मशीन के द्वारा बनाया गया होल अधिक एक्युरेट नहीं होता है। यह मशीनें तीन प्रकार की होती हैं-
- हैण्ड ऑपरेटेड ड्रिलिंग मशीन
- न्यूमैटिक ड्रिलिंग मशीन
- इलेक्ट्रिक ऑपरेटेड ड्रिलिंग मशीन
2.स्टेशनरी ड्रिलिंग मशीन
इस प्रकार की मशीनों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं ले जाया जा सकता है, क्योंकि यह मशीनें बहुत बड़ी होती हैं। ड्रिलिंग करने के लिए जॉब को इन मशीनों के पास लेकर जाना पड़ता है। इन मशीनों के द्वारा बनाया गया होल एक्युरेट होता है। यह मशीनें निम्न प्रकार की होती हैं-
(i)बेंच ड्रिलिंग मशीन
इस प्रकार की ड्रिलिंग मशीनों का उपयोग हल्के कामों में किया जाता है। इस मशीन में 12.5 मिमी व्यास तक के ड्रिल करन की क्षमता होती है। इस मशीन के द्वारा बनाया गया होल एक्युरेट होता है।
(ii)गैंग ड्रिलिंग मशीन
इस प्रकार की मशीनों का उपयोग मास प्रोडक्शन के लिए किया जाता है। इस प्रकार की मशीनों में दो या दो से अधिक स्टेशनरी ड्रिलिंग मशीनों को एक ही वर्क टेबल पर स्थित किया जाता है। इसमें पहली मशीन से होल, दूसरी मशीन से रीमिंग, तीसरी मशीन से टैपिंग इत्यादि प्रक्रियाएं की जाती हैं।
(iii)पिलर ड्रिलिंग मशीन
इस मशीन की संरचना बेंच ड्रिलिंग मशीन के समान होती है, इस मशीन की क्षमता अधिक होती है, इस मशीन के द्वारा 75 मिमी व्यास का होल कर सकते हैं।
(iv)मल्टीस्पिण्डल ड्रिलिंग मशीन
इस प्रकार की ड्रिलिंग मशीन का उपयोग मास प्रोडक्शन के लिए किया जाता है। इन मशीनों में एक या एक से अधिक स्पिण्डल लगे होते हैं। इसमें स्पिण्डल को एक साथ चलाया जा सकता है। इसमें स्पिण्डलों को चलाने के लिए स्प्लाइन शाफ्ट व हब का उपयोग किया जाता है। इस मशीन में एक साथ ही ड्रिलिंग, रीमिंग व टैपिंग आदि प्रक्रियाएं एक साथ की जा सकती हैं।
(v)रेडियल ड्रिलिंग मशीन
इस प्रकार की ड्रिलिंग मशीनों का उपयोग बड़े आकार के होल बनाने व बड़े जॉबों पर ड्रिलिंग करने के लिए किया जाता है।
इस मशीन में जॉब को एक स्थान पर फिक्स रखा जाता है। और स्पिण्डल को आवश्यक स्थान पर ले जाकर होल बनाया जाता है। लेकिन अन्य प्रकार की मशीनों में टेबल की सहायता से जॉब को स्पिण्डल के नीचे ले जाया जाता है।
(vi)स्टैण्डर्ड ड्रिलिंग प्रैस मशीन
इस प्रकार की मशीनों का उपयोग बड़े आकार के व अधिक गहराई के होल बनाने के लिए किया जाता है। इस मशीन में ऑटोमैटिक फीड दी जाती है, इसलिए इस मशीन का उपयोग ड्रिलिंग के साथ ही रीमिंग व टैपिंग आदि के लिए किया जाता है।
ड्रिलिंग मशीन की स्पीड का कैसे चुनाव करें?
इसको निम्न प्रकार से चुना जाता है, जो कि निम्न प्रकार से है (ड्रिलिंग मशीन क्या है इन हिंदी)-
1.ड्रिल का व्यास
ड्रिल की कटिंग स्पीड ड्रिल के व्यास पर निर्भर करती है। यदि ड्रिल बड़े व्यास का है, तो मशीन की स्पीड अधिक रखेंगे। यदि ड्रिल कम व्यास का है, तो मशीन की स्पीड कम रखेंगे। क्योंकि अधिक स्पीड होने पर ड्रिल टूट सकता है।
2.धातु की कठोरता
ड्रिल की कटिंग स्पीड धातु पर निर्भर करती है। यह कठोर धातु के लिए कम और मुलायम धातु के लिए अधिक रखी जाती है।
3.कूलैन्ट का अरेंजमेंट
यदि ड्रिलिंग करते समय आपके पास कूलेन्ट नहीं है, तो ड्रिल की कटिंग स्पीड कम रखें। अन्यथा ड्रिल गर्म हो जाएगा। और साथ ही चिप्स फंसकर ड्रिल टूट सकता है। यदि कूलेन्ट है, तब आप ड्रिल की कटिंग स्पीड अधिक रख सकते हो।
4.होल की गहराई
यदि आपको अधिक गहरा होल बनाना है, तब आप ड्रिल की कटिंग स्पीड कम रखें। यदि होल कम गहरा बनाना है, तब ड्रिल की कटिंग स्पीड अधिक रख सकते हो।
5.ड्रिल मशीन के प्रकार और कंडीशन
यदि आप पोर्टेबल ड्रिल मशीन से होल बनाना चाहते हो और मशीन की कंडीशन सही नहीं है, तब आप ड्रिल की कटिंग स्पीड कम रखें।
अन्यथा दुर्घटना की संभावना बनी रहेगी। और यदि आप किसी स्टेशनरी मशीन से होल बनाना चाहते हो और मशीन की कंडीशन सही नहीं है, तब आप ड्रिल की कटिंग स्पीड अधिक रखें। क्योंकि यह मशीन कम स्पीड में कटिंग प्रक्रिया नहीं कर पाएगी।
6.जॉब की क्लैम्पिंग
यदि जॉब मशीन की टेबल पर मजबूती से नहीं जकड़ा है, तब ड्रिल की कटिंग स्पीड कम रखें। यदि स्पीड अधिक रखोगे। तो जॉब निकल कर चोट पहुंचा सकता है। यदि जॉब मजबूती से जकड़ा है, तब आप ड्रिल की कटिंग स्पीड अधिक रख सकते हो।
ड्रिलिंग मशीन की आवश्यक सावधानियां
ड्रिलिंग मशीन पर ड्रिलिंग प्रक्रिया करते समय सावधानियों का विशेष ध्यान रखें। क्योंकि असावधानी दुर्घटना का कारण होती है। ड्रिलिंग मशीन की सावधानियां निम्न प्रकार से हैं-
- इलेक्ट्रिक से चलने वाली मशीनों को बंद करने के तुरंत बाद इलेक्ट्रिक स्विच को आफ कर देना चाहिए।
- ड्रिलिंग प्रक्रिया करने से पहले ड्रिल मशीन की टेबल पर जॉब को और स्पिण्डल पर ड्रिल को मजबूती से जकड़ देना चाहिए।
- मशीन के चलते समय जॉब पर लगे चिप्स साफ नहीं करने चाहिए।
- मशीन को बार-बार समय से साफ करके तेल डालते रहना चाहिए। जिससे कि मशीन के पार्ट्स खराब न हों।
- ड्रिलिंग मशीन के स्पिण्डल से सॉकेट या ड्रिल को निकालने के लिए ड्रिल ड्रिफ्ट का उपयोग करना चाहिए।
- ड्रिलिंग प्रक्रिया में ड्रिल किए जाने वाले जॉब की धातु के अनुसार कूलेंट का उपयोग करना चाहिए।
- ड्रिल मशीन को चलाने के पहले ड्रिल चक ‘की’ या ‘चाबी’ निकाल लेनी चाहिए।
- पतली चादरों पर ड्रिलिंग प्रक्रिया करने से पहले चादर के नीचे लकड़ी का गुटका लगा लेना चाहिए।
- बड़े ड्रिल का उपयोग करने से पहले छोटे आकार के ड्रिल द्वारा होल बना लेना चाहिए।
दोस्तों, यदि आपको ड्रिलिंग क्या है? पोस्ट अच्छी लगी हो तो कमेंट व शेयर अवश्य करें।
Read Also- ड्रिल मशीन पर ऑपरेशन
Nice theory