
ग्राइंडिंग व्हील क्या है? इसकी संरचना
यह एक अपघर्षी टूल होता है, यह एक पहिए की शेप का बनाया जाता है। इसका उपयोग जॉब में चमक लाने के लिए किया जाता है। दोस्तों, मेरी वेबसाइट में आपका स्वागत है, मैंने इस पोस्ट में ग्राइंडिंग व्हील क्या है?, और इसकी संरचना के बारे में बताया है, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़ें।
ग्राइंडिंग व्हील क्या है?
यह एक प्रकार का कटिंग टूल होता है, यह अत्यंत छोटे कणों से मिलकर बना होता है। इसका उपयोग धातु या जॉब में चमक लाने के लिए किया जाता है। यह व्हील कई शेप में बनाए जाते हैं। इन व्हीलों को उपयोग में लाने से पहले ग्राइंडिंग मशीन पर फिट किया जाता है।
ग्राइंडिंग व्हील की संरचना

इसकी संरचना निम्न प्रकार से है-
1.एब्रेसिव
यह कणों के रूप में होते हैं, इन कणों में कोरें बनी होती हैं। यह कोरें अधिक नुकीला होती हैं। जिसके कारण एब्रेसिव धातुओं में कटिंग प्रक्रिया करते हैं। इनका चयन काटी जाने वाली धातु पर निर्भर करता है। यह कण दो प्रकार के होते हैं, जो कि निम्न प्रकार से हैं-
(i)कृत्रिम एब्रेसिव
इस प्रकार के एब्रेसिव बनाए जाते हैं, यह शुद्ध होते हैं, इसलिए इनका उपयोग अधिकतर किया जाता है। यह निम्न प्रकार के होते हैं-
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(a)कृत्रिम हीरे
वैसे तो हीरे प्रकृति से प्राप्त होते हैं, लेकिन कुछ हीरे बनाए भी जाते हैं, जिन्हें कृत्रिम हीरे कहते हैं। यह हीरे प्राकृतिक हीरे के समान कठोर होते हैं। इन कृत्रिम हीरों से बनाया गया ग्राइंडिंग व्हील भी कठोर होता है, इस ग्राइंडिंग व्हील से ग्राइंडिंग करने पर अच्छे रिजल्ट मिलते हैं।
(b) एल्युमीनियम ऑक्साइड
यह एब्रेसिव अधिक टफ, कठोर व तेज धार वाला होता है। यह कई रंगों में मिलता है। सफेद रंग वाले एल्युमीनियम ऑक्साइड का उपयोग हाई स्पीड स्टील को ग्राइंड करने के लिए किया जाता है। और भूरे रंग वाले एल्युमीनियम ऑक्साइड का उपयोग हाई स्पीड स्टील, पिटवाँ लोहा, माइल्ड स्टील व कार्बन स्टील आदि को ग्राइंड करने के लिए किया जाता है।
(c) सिलिकॉन कार्बाइड
इस एब्रेसिव का उपयोग कम सामर्थ्य वाली धातुओं व भंगुर धातुओं को ग्राइंड करने के लिए किया जाता है।
यह भी कठोर होता है, इसका रंग हरा होता है, इसकी कठोरता हीरे से कुछ कम होती है। यह एब्रेसिव विद्युत प्रतिरोध भट्टी में बनाया जाता है।
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(ii)प्राकृतिक एब्रेसिव
इस प्रकार के एब्रेसिव प्रकृति में मिलते हैं, लेकिन इनमें अशुद्धियां होती हैं, इसलिए इनका कम उपयोग किया जाता है। प्रकृति में पाए जाने वाले एब्रेसिव निम्न प्रकार से हैं- कोरण्डम, बालू पत्थर, एमरी, क्वार्ट्ज व डायमण्ड आदि।
2.ग्रेन
यह एब्रेसिव कणों के आकार को प्रदर्शित करते हैं। यह महीन व मोटे दो प्रकार के होते हैं। महीन कणों से बनाया गया ग्राइंडिंग व्हील धातु की कम कटाई करता है, लेकिन इन कणों से फिनिशिंग अच्छी मिलती है। और मोटे कणों से बनाया गया ग्राइंडिंग व्हील धातु की अधिक कटाई करता है, लेकिन इन कणों से फिनिशिंग अच्छी नहीं मिलती है।
मुलायम धातु को ग्राइंड करने के लिए मोटे ग्रेन वाले ग्राइंडिंग व्हील का उपयोग किया जाता है, और कठोर व भंगुर धातुओं को ग्राइंड करने के लिए महीन ग्रेन वाले ग्राइंडिंग व्हील का उपयोग किया जाता है। एब्रेसिव कणों को ग्रेन के आधार पर निम्न प्रकार से बाँटा गया है-
- वेरी फाइन – 220-600 नम्बर
- फाइन – 80-180 नम्बर
- मीडियम – 30-60 नम्बर
- कोर्स – 10-24 नम्बर
3.बाण्ड
यह एक चिपकने वाला पदार्थ होता है, यह पदार्थ एब्रेसिव कणों को बाँधने का वर्क करता है। यह बाण्ड जितना अधिक मजबूत होगा। ग्राइंडिंग व्हील की लाइफ उतनी ही अधिक बनी रहेगी। यह बॉण्ड निम्न प्रकार के होते हैं-
(i)विट्रीफाइड बॉण्ड
यह बॉण्ड सबसे अधिक उपयोग में लाया जाता है। क्योंकि यह बॉण्ड तेजाब, जल, ऑयल आदि से प्रभावित नहीं होता है। इस बॉण्ड को ‘V’ से प्रदर्शित किया जाता है।
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(ii)चपड़ा बॉण्ड
इस बॉण्ड को बनाने के लिए, सबसे पहले एब्रेसिव कणों को चपड़ा के साथ मिलाकर गर्म किया जाता है। जिसके बाद एक निश्चित आकार दिया जाता है। इस बॉण्ड से बने ग्राइंडिंग व्हील से ग्राइंड करने से धातु या जॉब गर्म नहीं होता है, और साथ में ही अच्छी फिनिशिंग प्राप्त होती है। इस बॉण्ड को ‘E’ से प्रदर्शित करते हैं।
(iii)रबर बॉण्ड
इस बॉण्ड को बनाने के लिए, सबसे पहले एब्रेसिव कणों को रबर व गन्धक के साथ मिलाकर गर्म किया जाता है। जिसके बाद एक निश्चित आकार दिया जाता है। इस बॉण्ड से बने ग्राइंडिंग व्हील से ग्राइंड करने से अच्छी फिनिशिंग प्राप्त होती है। इस बॉण्ड को ‘R’ से प्रदर्शित करते हैं।
(iv)सिलिकेट बॉण्ड
इस बॉण्ड को बनाने के लिए एब्रेसिव कणों को बाँधने के लिए सिलिकेट का उपयोग किया जाता है। इस बॉण्ड से बने ग्राइंडिंग व्हील का उपयोग कटिंग टूलों की धार बनाने व हार्ड जॉबों को ग्राइण्ड करने के लिए किया जाता है। इस बॉण्ड को ‘S’ से प्रदर्शित करते हैं।
(v)मैटल बॉण्ड
इस बॉण्ड का उपयोग बहुत अधिक हार्ड धातु जैसे- कार्बाइड, टंग्स्टन आदि को ग्राइण्ड करने के लिए किया जाता है। और यह बॉण्ड डायमण्ड पाउडर के ग्राइंडिंग व्हील बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
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(vi)रेजिन बॉण्ड
इस बॉण्ड को बनाने के लिए एब्रेसिव कणों को बाँधने के लिए सिन्थैटिक रेजिन का उपयोग किया जाता है। इस बॉण्ड से बने ग्राइंडिंग व्हील को तेज गति पर घुमाया जाता है। इस बॉण्ड को ‘B’ से प्रदर्शित करते हैं।
(vii)ऑक्सीक्लोराइड बॉण्ड
इस बॉण्ड से बने ग्राइंडिंग व्हील को बिना किसी कूलैन्ट के उपयोग किया जाता है। इस बॉण्ड के ग्राइंडिंग व्हील मैग्नीशियम क्लोराइड, ऑक्साइड व एब्रेसिव कणों को मिलाकर बनाया जाता है।
4.ग्रेड
ग्राइंडिंग व्हील के बॉण्ड की कठोरता या मजबूती को, ग्राइंडिंग व्हील का ग्रेड कहते हैं। ग्रेड को अंग्रेजी के अक्षरों (A-Z) द्वारा दर्शाया जाता है। अक्षर ‘A’ कम मजबूत बॉण्ड को दर्शाता है, और अक्षर ‘Z’ अधिक मजबूत बॉण्ड को दर्शाता है। इसके ग्रेडों को निम्न प्रकार से बाँटा गया है-
(i) मुलायम A-H ग्रेड
(ii) मीडियम I-P ग्रेड
(iii) कठोर Q-Z ग्रेड
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5.संरचना
ग्राइंडिंग व्हील में एब्रेसिव कणों के घनत्व का पता संरचना से लगाया जाता है। क्योंकि ग्राइंडिंग व्हील में 10-30% भाग बॉण्ड का होता है। यदि ग्राइंडिंग व्हील में बॉड कम होते हैं, तो एब्रेसिव कण दूर-दूर होते हैं, जिसे खुली संचरना कहते हैं। इस संचरना के व्हील का उपयोग तन्य व मुलायम धातुओं को काटने व ग्राइंड करने के लिए किया जाता है।
जब ग्राइंडिंग व्हील में बॉड अधिक होते हैं, तो एब्रेसिव कण पास-पास होते हैं, जिसे सघन संचरना कहते हैं। इस संचरना के व्हील का उपयोग भंगुर व कठोर धातुओं को काटने व ग्राइंड करने के लिए किया जाता है।
ग्राइंडिंग व्हील की संरचना को नम्बर से प्रदर्शित किया जाता है, यह नम्बर 1 से 14 तक होता है। सघन संरचना को 1 से 7 तक और खुली संरचना को 8 से 14 नम्बर तक प्रदर्शित किया जाता है।
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