
कृत्रिम श्वास क्रिया के बारे में
कृत्रिम श्वास क्रिया क्या है?
इस क्रिया के द्वारा किसी भी पीड़ित व्यक्ति को साँस (breath) न आने पर विभिन्न कृत्रिम क्रियाओं द्वारा साँस दी जाती है।
कृत्रिम श्वास क्रिया के प्रकार
कृत्रिम श्वास क्रिया चार प्रकार के होते हैं-
(1.)शैफर विधि
यह विधि तब प्रयोग की जाती है, जब पीड़ित की पीठ पर छाले पड़े हों। तब इस विधि में पीड़ित को पेट (stomach) के बल लिटाया जाता है और उसके सिर को किसी एक करवट (turn) कर दिया जाता है। पीड़ित के सीने के नीचे पतला तकिया रख दिया जाता है।
अब निम्न दो स्थितियों द्वारा (by two conditions) पीड़ित व्यक्ति के शरीर में साँस भरने का प्रयास करें
(a.)प्रथम स्थिति
इसमें पीड़ित के घुटनों (knees) के पास अपने घुटनों के बल बैठ जाए। अब अपने दोनों हाथ पीड़ित की पीठ पर इस प्रकार रखें कि दोनों हाथ सीधे रहें और चारों अँगुलियाँ (fingers) आपस में मिली रहें तथा वे अँगूठे से समकोण बनाएँ।
(b.)द्वितीय स्थिति
इसमें आगे की ओर झुकते हुए पीड़ित की पीठ (the back) पर भार डालें। इसके बाद दो-तीन सेकण्ड बाद दबाव को हटा लें और अपने दोनों हाथों को सीधा कर दें।
इस विधि में जब पीड़ित को पीठ पर दबाव डाला जाता है, तो फेफड़ो के अन्दर की वायु (air) बाहर निकल जाती है और दबाव हटाने से बाहर की ताजी वायु फेफड़ो के अन्दर जाती है। इस प्रकार, पीड़ित को श्वास लेने में सहायता मिलती है। ऊपर दी गई क्रियाओं को 10-12 बार प्रति मिनट की दर से तब तक दोहराते रहो। जब तक कि उसकी श्वास क्रिया (breathing) सामान्य न हो जाए।
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(2.)सिल्वेस्टर विधि
इस विधि का प्रयोग तब किया जाता है, जब किसी पीड़ित के सीने (chest) पर छाले पड़े हों। तब इस विधि में पीड़ित को पीठ के बल लिटाया जाता है। इसके बाद पीड़ित के पीठ के नीचे तकिया (pillow) लगा दिया जाता है, जिससे कि उसका सीना कुछ ऊपर उठ जाता है और सिर कुछ नीचा हो जाता है।
अब निम्न दो स्थितियों द्वारा (by two conditions) पीड़ित व्यक्ति के शरीर में साँस भरने का प्रयास करें
(a.)प्रथम स्थिति
इसमें पीड़ित के सिर के पास आप अपने घुटनों के बल बैठ जाए। उसके दोनों हाथों की आधी मुट्ठी बाँधकर हाथों (hands) को सीधा फैला दें। अब पीड़ित के दोनों हाथों को धीरे-धीरे मोड़कर उसके सीने पर लाएँ।
(b.)द्वितीय स्थिति
प्रथम स्थिति में अपने हाथों से पीड़ित के सीने पर कुछ दबाव (pressure) डालें। अब दो-तीन सेकण्ड बाद दबाव हटा लें और पीड़ित के हाथों को उसके सिर की ओर फैला दें और मुट्ठियाँ खोल (open fist) दें।
ऊपर दी गई क्रियाओं को 10-12 बार प्रति मिनट की दर से तब तक दोहराते रहो। जब तक कि उसकी श्वास क्रिया सामान्य न हो जाए।
इस विधि में जब पीड़ित के सीने पर दबाव डाला जाता है, तो फेफड़ो (lungs) के अन्दर की वायु बाहर निकल जाती है और दबाव हटाने से बाहर की ताजी वायु फेफड़ो के अन्दर जाती है। इस प्रकार, पीड़ित को श्वास लेने में सहायता मिलती है।
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(3.)मुँह-से-मुँह में हवा भरना (लाबोर्ड विधि)
इस विधि में पीड़ित के मुँह में अपने मुँह (mouth) से सीधे हवा भरकर श्वसन क्रिया पूरी की जाती है।
अब निम्न दो स्थितियों का प्रयोग कर मुँह-से-मुँह में हवा भरने की प्रक्रिया (process) पूरी की जाती है
(a.)प्रथम विधि
इस विधि में पीड़ित को पीठ के बल लिटा लें। अब पीड़ित की पीठ के नीचे तकिया (pillow) आदि लगा दें, जिससे कि उसका मुँह थोड़ा पीछे की ओर लटक जाए।
(b.)द्वितीय स्थिति
इस विधि में पीड़ित का मुँह अच्छी तरह साफ (clean) कर लें। अब उसके खुले मुँह पर महीन कपड़ा रखकर और एक हाथ से उसकी नाक बन्द (close nose) करके अपने मुँह से उसके मुँह में बलपूर्वक झटके से हवा (air) भरें। और यह ध्यान भी रखें कि हवा बाहर निकलने पाए और उसके फेफड़े फूलें। हवा को बाहर निकलने के लिए अपना मुँह हटा लें।ऊपर दी गई क्रियाओं को 10-12 बार प्रति मिनट की दर (rate) से तब तक दोहराते रहो। जब तक कि उसकी श्वास क्रिया सामान्य न हो जाए। बलपूर्वक झटके से हवा भरते समय पीड़ित (patient) के फेफड़े फूलते हैं और ताजी वायु अन्दर जाती है। मुँह हटा लेने पर अन्दर की वायु बाहर निकल जाती है। इस प्रकार, पीड़ित को श्वास लेने में सहायता मिलती है।
आजकल ऊपर दी गई विधियों में से तीसरी विधि (third method) अधिक प्रचलित है, क्योंकि यह विधि तुरन्त प्रारम्भ की जा सकती है।
(4.)कृत्रिम श्वास यन्त्र द्वारा
इस विधि में पीड़ित को साँस देने के लिए श्वास यन्त्र (Breathing apparatus) का प्रयोग किया जाता है। इस यन्त्र में उपयुक्त रबड़ के वाल्व में से हवा फिल्टर होकर चैम्बर में आती है। यहाँ पर इनलेट (inlet) तथा आउटलेट वाल्व लगे होते हैं, जोकि रबड़ वाल्व को दबाने व छोड़ने के साथ खुलते व बन्द होते हैं। इसके अन्तर्गत हवा, पीड़ित के मुँह पर लगे मास्क के माध्यम से पीड़ित के अन्दर भेजी जाती है। यह बहुत सरल प्रक्रिया है। इसमें रबड़ के वाल्व को 15 से 20 बार एक मिनट में ऑपरेट किया जाता है।
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