नमस्कार दोस्तों, आज के इस लेख में हम आपको सीखने वाले हैं कि एनोडाइजिंग और कैथोड सुरक्षा किसे कहते हैं यह कैसे काम करती है तो अगर आप जानना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा जरूर पढ़ें तो चलिए शुरू करते हैं।
एनोडाइजिंग क्या है?
एनोडाइजिंग एक विद्युत रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें धातु की सतह को ड्यूरेबल संक्षारण विरोधी तथा एनोडिक ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है । इस प्रक्रिया के लिए एल्युमिनियम सबसे उपयुक्त धातु है । इसमें अन्य अलौह धातु जैसे- मैग्नीशियम , टाइटेनियम आदि भी प्रयुक्त किए जा सकते है । इस प्रक्रिया को निम्न प्रकार समझा जा सकता है।
एल्युमिनियम की छड़ को अम्लीय विलयन में डुबोया जाता है और विलयन में धारा प्रवाहित की जाती है । टैंक में कैथोड को लगाया जाता है तथा एल्युमिनियम एनोड की तरह कार्य करता है । इस प्रकार विलयन से छोड़े गए ऑक्सीजन आयन एनोडाइज किए जाने वाले भाग पर एल्युमिनियम के साथ संयोजित होते है । इस प्रकार एनोडाइजिंग की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है ।
कैथोडिक सुरक्षा क्या है?
कैथोडिक सुरक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें धातु सतह का संक्षारण नियंत्रित किया जाता है । इसे मुख्यतः स्टील , जल या ईंधन की पाइप लाइन , भण्डारण टैंक आदि को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है । कैथोडिक सुरक्षा दो प्रकार से की जाती है।
गैल्वेनिक या सैक्रिफिशियल एनोड ( Galvanic or Sacrificial Anode )
इस प्रकार के सिस्टम में रिएक्टिव ( Reactive ) धातुओं को सहायक एनोड की तरह लगाया जाता है जो सुरक्षा प्रदान की जाने वाली स्टील से संयोजित होते है । एनोड तथा कैथोड के विभव में अंतर होने से विलयन में धारा प्रवाह होती है । इस प्रकार स्टील की सतह अधिक ऋणात्मक हो जाती है तथा कैथोड की तरह कार्य करती है । सैक्रिफिशियल एनोड के लिए एक कैपेसिटर्स एक एल्युमिनियम , जिंक तथा मैग्नीशियम धातु का उपयोग किया जाता है ।
इम्प्रेस्ड करंट ( Impressed Current )
इस प्रकार के सिस्टम में इनर्ट या जीरो या कम विलयन एनोड लगाया जाता है तथा बाहरी एनोड से कैथोड सतह पर करंट को अंकित ( Impress ) करने के लिए DC सप्लाई या रेक्टिफाइड AC सप्लाई का उपयोग किया जाता है ।
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