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सोल्डर फ्लक्स के बारे में

सोल्डर फ्लक्स के बारे में

सोल्डरिंग प्रक्रिया में उपयोग होने वाला फ्लक्स (flux) पाउडर, पेस्ट तथा द्रव तीनों अवस्थाओं में उपलब्ध होता है। सोल्डरिंग करते समय ऑक्साइड की परत न जमा हो सके, इसके लिए सोल्डर के साथ फ्लक्स का उपयोग (use) किया जाता है।

Solder Flux
सोल्डर फ्लक्स

फ्लक्स ऑक्सीकरण से बचाव के साथ ही सोल्डर को शीघ्र पिघालने में भी सहायता करता है और सोल्डर की जाने वाली सतह का ऑक्साइड रहित होना, चिकनाई रहित होना तथा अन्य गन्दगी से रहित होना अत्यन्त आवश्यक है, क्योंकि सोल्डरिंग करने में बेस धातु का फ्यूजन नहीं होता है।सोल्डर फ्लक्स निम्न कार्य करते हैं-

  1. सोल्डर की जाने वाली सतह (surface) से ऑक्साइड को अपने में घोलकर बाहर ले आता है तथा फिर ऑक्साइड बनने से रोकता है।
  2. पिघले हुए सोल्डर (solder) को ऑक्साइड बनने से रोकता है।
  3. सोल्डर का पृष्ठ तनाव (surface tension) कम रहता है, जिससे यह पतला होकर समस्त जोड़ में फैल जाता है।
  4. फ्लक्स सोल्डर आयरन (solder iron) का ताप जोड़ के तल में पहुँचाने में सहायता करते हैं।

इसके अतिरिक्त फ्लक्स सोल्डर की पकड़ मजबूत बनाने में भी सहायता प्रदान करता है। अच्छे फ्लक्स में कम ताप पर ही धातु तथा सोल्डर से ऑक्साइड बाहर निकालने की सामर्थ्य होनी चाहिए।

इसका वाष्पनांक , गलनांक से अधिक होना चाहिए अन्यथा यह सफाई नहीं कर पाएगा। और इसकी आधार धातु या सोल्डर की धातु से कोई रासायनिक क्रिया नहीं होनी चाहिए।

सोल्डर फ्लक्स का चयन

इसका चयन निम्न बिन्दुओं (points) के आधार पर किया जाता है-

  1. सोल्डरिंग की प्रक्रिया पर
  2. सोल्डर के कार्यकारी तापमान पर
  3. जुड़ने वाली धातु पर

सोल्डर फ्लक्स के प्रकार

सोल्डर फ्लक्स के मुख्य प्रकार निम्न हैं

  1. कोरोसिव फ्लक्स
  2. नॉन – कोरोसिव फ्लक्स

1.कोरोसिव फ्लक्स

इस फ्लक्स में अकार्बनिक पदार्थ (Inorganic material) होते हैं जैसे- जिंक क्लोराइड, अमोनियम क्लोराइड, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल आदि। यह फ्लक्स यदि धातु पर लगे रह जाएँ, तो उन्हें नुकसान पहुँचाते हैं और धातु पर जंग (rust) लग जाता है। इसलिए इन्हें सोल्डरिंग के बाद जरूर साफ कर देना चाहिए। यह निम्न प्रकार के होते हैं-

(i) जिंक क्लोराइड

यह सफेद क्रिस्टलीय (crustal) ठोस होता है, जो पानी में अत्यधिक घुलनशील होता है। इसका उपयोग तांबे, पीतल की शीट तथा टिन प्लेट पर फ्लक्स के रूप में किया जाता है। यह फ्लक्स अधिक संक्षारीय (corrosive) होते हैं, जिसके कारण इनका उपयोग करने के बाद जोड़ को ठीक प्रकार से धोना आवश्यक है।

(ii) हाइड्रोक्लोरिक अम्ल

यह एक द्रवीय पदार्थ (fluid material) है, जोकि हवा के सम्पर्क में आने पर धुआँ बनाता है। इसे पानी के दो या तीन भाग के साथ मिलाया जाता है। इसे जिंक के साथ मिलाने से जिंक क्लोराइड (zinc chloride) बनता है तथा फ्लक्स तैयार होता है, इसलिए इसका उपयोग जिंक के साथ फ्लक्स के रूप में किया जाता है।

(iii) अमोनियम क्लोराइड

यह सफेद क्रिस्टलीय रूप का होता है, और यह पानी (water) में अत्यधिक घुलनशील अकार्बनिक यौगिक है। यह पाउडर या लेप में काम आता है। यह गर्म होने पर शीघ्र वाष्प में बदलता है। इसे पानी में घोलकर स्टैनलेस स्टील (stainless steel) की सोल्डरिंग के समय फ्लक्स के रूप में उपयोग करते हैं।

2.नॉन-कोरोसिव फ्लक्स

यह कोरोसिव फ्लक्स (corrosive flux) के विपरीत होता है, और इन फ्लक्सों में अम्ल तथा क्षार बिल्कुल भी नहीं होता है। इस प्रकार के फ्लक्स रेजिन पर आधारित होते हैं। रेजिन को चीड़ के वृक्ष (tree of pine) से निकाला जाता है। धातु की सतह पर अधिक समय तक रहने पर भी ये फ्लक्स धातु को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचाते। यह फ्लक्स निम्न प्रकार के हैं-

(i) ऑलिव ऑयल

यह एक प्रकार का वनस्पति तेल होता है, जो सोल्डरिंग पर हल्के अम्ल के रूप में कार्य करता है। (ii) बोरेक्स
इसको सोडियम बोरेट भी कहते हैं। यह एक सफेद ठोस संरचना वाला बोरॉन का महत्त्वपूर्ण यौगिक है, जिसका उपयोग दो अलग-अलग धातुओं पर जोड़ लगाने वाली विधि, ब्रेजिंग में किया जाता है।

(ii) रेजिन

यह कार्बनिक अम्लों के मिश्रण वाला एक बेजान ठोस है। इसका उपयोग ताँबे व पीतल की सोल्डरिंग में फ्लक्स के रूप में किया जाता है। रेजिन का गलनांक 80°C से 100°C होता है तथा इसका दूसरा नाम बिरोजा है।

(iv) पेस्ट

यह जिंक क्लोराइड, रेजिन(resin), ग्लिसरीन आदि को मिलाकर तैयार किया जाता है। यह ऑक्सीकरण को समान करने में तेजी से काम करता है। इसका उपयोग तारों को जोड़ने व हल्के कामों में किया जाता है। और भिन्न – भिन्न धातुओं (metals) को जोड़ने के लिए भिन्न – भिन्न सोल्डर का प्रयोग होता है।

(v) नौसादर

इसका उपयोग जोड़ को साफ (clean) करने तथा कलई करने के लिए किया जाता है। यह बाजार में टिकिया तथा पाउडर दोनों रूपों में मिलता है।

(vi) टैलो

इसका उपयोग सिक्कों की सोल्डरिंग (soldering) के लिए किया जाता है। सिक्के को गर्म करने के बाद जोड़ पर टैलो को रगड़ा जाता है।

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More Information:- सोल्डरिंग आयरन क्या है?

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