टैप किसे कहते हैं?
“यह एक प्रकार का हैण्ड कटिंग टूल है, इसके द्वारा सिलेण्ड्रिकल छिद्रों में आन्तरिक चूड़ियाँ (threads) काटी जाती हैं, इस प्रकार की चूड़ियाँ काटने की प्रक्रिया को टैपिंग कहा जाता है, और इस टूल को ‘टैप’ कहते हैं”।
टैपिंग (taping) करने से पहले एक निश्चित साइज का होल ड्रिल द्वारा बनाया जाता है तथा इस होल की रीमर द्वारा रीमिंग की जाती है, इसके बाद इसमें टैप (tap) को चलाकर चूड़ियाँ काटी जाती हैं।
मैटीरियल
इसको बनाने के लिए हाई कार्बन स्टील (high carbon steel) या हाई स्पीड स्टील (high speed steel) को लेथ द्वारा चूड़ी के साइज में टर्न कर लिया जाता है। इसके बाद कटिंग एजेज बनाने के लिए इन चूड़ियों को काटते हुए लम्बाई में खाँचे काटे जाते हैं।फिर इसके बाद इनको हार्ड (hard) तथा टैम्पर (tamper) किया जाता है।
टैप के मुख्य भाग
(1.)टैंग
टैप के सबसे ऊपरी भाग को टैंग (tang) कहते हैं। इसको चौकोर (square) बनाया जाता है, जिसमें टैप हैण्डिल में बना खाँचा (groove) फिट हो जाता है। टैप को घुमाने के लिए इसी हैण्डिल का उपयोग (use) किया जाता है।
(2.)शैंक
बॉडी तथा टैंग के बीच में कुछ भाग प्लेन होता है, जो टैप की लम्बाई बढ़ाने के लिए आवश्यक है। इसे शैंक (shank) कहा जाता है। इसका साइज बॉडी के व्यास से कम होता है। इस पर टैप की चूड़ियों (threads of tap) का साइज व प्रकार अंकित किया जाता है।
(3.)बॉडी
यह टैप का सबसे अधिक जरूरी भाग (most important part) है। इसी भाग में चूड़ियाँ कटी होती हैं तथा इसी भाग से चूड़ियाँ काटी जाती हैं।
(4.)खाँचे या फ्लूट्स
चूड़ियों को काटते हुए चार गहरे व लम्बाई में बने हुए खाँचों को फ्लूट्स कहते हैं। यह खाँचे (groove) ही चूड़ियों को कटिंग एजेज प्रदान करते हैं। इन्ही खाँचों से कटिंग चिप्स बाहर आते हैं तथा लुब्रीकैन्ट (lubricant) अन्दर जाता है।
(5.)लैण्ड
चूड़ी के ऊपर वाले भाग को लैण्ड (land) कहते हैं।
(6.)कटिंग एज
चूड़ी (thread) के आगे वाले भाग को कटिंग एज या फेस कहते हैं। कटिंग फेस में बहुत-सी कटिंग एजेज होती हैं।
(7.)हील
चूड़ीदार भाग के पिछले सिरे को हील (heel) कहते हैं। क्लीयरैन्स देने के लिए कटिंग एज के पिछले भाग को टेपर कर दिया जाता है।
(8.)चैम्फर
बॉडी के नीचे के कुछ भाग को टेपर में ग्राइण्ड कर दिया जाता है, जिससे थोड़ी-थोड़ी धातु कटे। इस भाग को चैम्फर (chamfer) कहते हैं।
(9.)प्वॉइण्ट व्यास
टैप (Tap) में एक साइज के तीन tap का एक सैट (one set) होता है, जिनमें चैम्फर की लम्बाई अलग-अलग होती है। सबसे अधिक चैम्फर वाला tap पहला तथा सबसे कम वाला tap तीसरा होता है। सबसे पहले नम्बर 1 टैप को चलाया जाता है। इसी टैप का आगे का सबसे छोटा व्यास प्वॉइण्ट व्यास (point diameter) कहलाता है।
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