दोस्तों, मैंने इस पोस्ट में DC मोटर क्या है? DC मोटर किस सिद्धान्त पर काम करता है? और यह कितने प्रकार का होता है? इत्यादि के बारे में बात की है, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़िए। तो चलिए शुरू करते हैं-
डी. सी. मोटर क्या है? (DC Moter kya hai?)
यह एक ऐसी मशीन होती है जो कि विद्युत ऊर्जा(electrical energy) को यांत्रिक ऊर्जा(mechanical energy) में बदलने का काम करती है। डीसी मोटर का उपयोग (Uses of DC Motor) पंप, लेथ और अन्य मशीनों को चलाने के लिए और उनकी स्पीड कंट्रोल करने के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसका उपयोग ट्रॉली, विद्युत ट्रेन और लिफ्ट एलीवेटर में भी किया जाता है।
डी. सी. मोटर किस सिद्धांत पर काम करता है?
यह मोटर विद्युत चुम्बकीय खिंचाव (Electro Magnetic drag) के सिद्धांत पर काम करता है।
डी. सी. मोटर के प्रकार (Types of DC Motor)
यह तीन प्रकार के होते हैं, जो कि निम्न प्रकार से हैं-
1.सीरीज मोटर (Serise moter)
इस प्रकार के मोटरों का उपयोग इलेक्ट्रिक ट्रेन, ट्रॉली, कार, क्रेन, लिफ्ट और कन्वेयर बेल्ट वाली मशीनों में किया जाता है।
इस प्रकार के मोटरों में फील्ड वाइंडिंग आर्मेचर वाइंडिंग की श्रेणीक्रम में जुड़ी होती है। इसकी फील्ड वाइंडिंग मोटे तार व कम लपेटों या टर्न की बनाई जाती है। इन मोटर की गति कम भार पर अधिक होती है और इनकी गति निम्न टॉर्क पर अधिक होती है।
2.शंट मोटर (Shunt moter)
शंट मोटरों का उपयोग ग्राइंडर, ड्रिल मशीन, ब्लोअर व पॉलिशर आदि में किया जाता है।
इस प्रकार के मोटरों को स्थिर गति वाली मोटर भी कहा जाता है, क्योंकि इन पर लोड या भार बढ़ने से स्पीड या गति में बहुत कम बदलाव आता है।
शंट मोटर के फील्ड वाइंडिंग आर्मेचर व सप्लाई स्त्रोत के समांतर क्रम में जुड़ी रहती है। इसकी फील्ड वाइंडिंग पतले तार व अधिक लपेटों या टर्न की बनाई जाती है। इन मोटरों लोड, टॉर्क के समानुपाती होता है। मोटर पर जैसे-जैसे लोड बढ़ेगा ठीक वैसे ही टॉर्क बढ़ेगा।
3.कम्पाउण्ड मोटर (Compound moter)
कम्पाउण्ड मोटरों में फील्ड वाइंडिंग दो प्रकार की उपयोग में लाई जाती है, जिसमें से पहली सीरीज व दूसरी शंट होती है।
कम्पाउण्ड मोटर के प्रकार Types of compound motor)
यह दो प्रकार के होते हैं, जो कि निम्न प्रकार से हैं-
(i)क्यूमूलेटिव कम्पाउण्ड मोटर
इस प्रकार के मोटरों का उपयोग प्रेस, रोलिंग, लिफ्ट कम्प्रैसर व एलीवेटर इत्यादि में किया जाता है।
इन मोटर में सीरीज और पैरेलल वाइंडिंग में करंट एक ही दिशा में Flow होती है। इन मोटरों में स्पीड लोड पर आधारित होती है, बिना लोड के स्पीड अधिक होगी और लोड के बढ़ने के साथ-साथ कम होती जाएगी।
(ii)डिफरैंशियल कम्पाउण्ड मोटर
इस प्रकार के मोटरों का उपयोग बैट्री चार्जिंग सैट, पंचिंग मशीन, बूस्टर इत्यादि में किया जाता है।
यह मोटर अधिकतर बैट्री चार्जिंग में उपयोग किए जाते हैं।
इन मोटर में सीरीज और वाइंडिंग एक दूसरे का विरोध करते है। इन मोटरों में ज्यादा लोड होने पर स्पीड ज्यादा होगी और लोड कम होने पर स्पीड कम होगी।
दोस्तों यदि आपको डी. सी. मोटर क्या है? (DC Motor Kya hai?) पोस्ट अच्छी लगी हो तो कमेंट करके बताएं और अपने दोस्तों को शेयर करें।
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