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इन्वर्टर क्या होता है? | कार्य | प्रकार | अनुप्रयोग

इन्वर्टर क्या होता है प्रकार इन्वर्टर कैसे काम करता है

नमस्कार, दोस्तों अगर आप इनवर्टर के बारे में जानना चाहते हैं जैसे कि इनवर्टर क्या होता है? इनवर्टर कैसे काम करता है? इनवर्टर के कितने प्रकार होते हैं? तो इस लेख में, हम इन सभी सवालों के जवाब देने वाले हैं तो अगर आप इनवर्टर के बारे में पूरी जानकारी को सीखना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा जरूर पड़े तो चलिए जानते हैं इनवर्टर के बारे में.

इन्वर्टर क्या होता है? | inverter kya hota hai

इन्वर्टर एक ऐसा उपकरण होता है जो आपातकालीन समय में विद्युत देने का काम करता है अर्थात भंडारित ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है एक वांछित आउटपुट वोल्टेज और आवृत्ति पर DC पावर को AC पावर में परिवर्तित करने की डिवाइस को इन्वर्टर कहा जाता है।

जैसे आपकी बैटरी में विद्युत ऊर्जा जमा होती है तो उस विद्युत ऊर्जा को हमारे इस्तेमाल के अनुसार बनाने के लिए इनवर्टर जैसे उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि बैटरी को डायरेक्ट इस्तेमाल करने से ऊर्जा का छय (वेस्ट ) ज्यादा होता है. और हम उसका पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाते है.

इन्वर्टर कैसे काम करता है? | inverter kaise kam karta hai

जब AC सप्लाई बन्द हो जाती है तो उस स्थिति में आपातकालीन स्रोत के रूप में स्टोरेज बैट्री प्रयोग की जाती है। बैट्री से प्राप्त होने वाली सप्लाई सामान्यतः 6, 12 या 24 वोल्ट DC होती है। उसके बाद इस DC को इन्वर्टर द्वारा AC में परिवर्तित कर लिया जाता है। क्योंकि हम घर में स्थित बिजली के उपकरण डीसी वोल्टेज से नहीं चला सकते है, तो इसलिए हमे एसे परिपथ की जरूरत पड़ती है, जो डीसी वोल्टेज को ऐसी मे बदल देता है। आजकल आपातकालीन सप्लाई के रूप में इन्वर्टर का उपयोग व्यापक रूप से किया जा रहा है ।

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इन्वर्टर कितने प्रकार के होते है? | inverter ke prakar

इन्वर्टर मुख्यतः निम्न दो प्रकार के होते हैं-

  • रोटरी इन्वर्टर ( Rotary Inverter )
  • इलैक्ट्रॉनिक इन्वर्टर ( Electronic Inverter )

रोटरी इन्वर्टर ( Rotary Inverter ) किसे कहते है?

इन्वर्टर वास्तव में रोटरी कन्वर्टर की तरह कार्य करता है जिसे DC को AC में बदलने के लिए प्रयोग किया जाता है। जब यह कन्वर्टर की तरह कार्य करता है तो यह AC साइड पर तुल्यकालिक मोटर की तरह कार्य करता है और इसकी गति नियत होती है, लेकिन जब यह इन्वर्टर की तरह कार्य करता है तब इसकी DC साइड एक DC शंट या कम्पाउण्ड मोटर की तरह कार्य करेगी और इस अवस्था में इसकी गति नियत नहीं होती है ।

जब AC साइड पर शक्ति गुणक लैगिंग होता है तब आर्मेचर धारा का चुम्बकी ( Demagnetizing ) प्रभाव उत्पन्न होता है जो कि फील्ड पोल के फ्लक्स को कम कर देता है और इस प्रकार इसकी गति बढ़ जाती है । यदि शक्ति गुणक बहुत कम होता है , तो मशीन बिना लोड के एक DC श्रेणी मोटर की तरह अत्यधिक गति प्राप्त कर सकती है ।

इलैक्ट्रॉनिक इन्वर्टर ( Electronic Inverter ) किसे कहते है?

यह इन्वर्टर , रोटरी इन्वर्टर से बिल्कुल भिन्न होता है और इसे स्थैतिक इन्वर्टर ( Static Inverter ) भी कहते हैं।

यह एक इलैक्ट्रॉनिक उपकरण होता है जिसमें एक मेन ट्रांसफॉर्मर , एक – दो छोटे ट्रांसफॉर्मर , रिले , पावर डायोड्स , ट्रांजिस्टर , पावर ट्रांजिस्टर , कैपेसिटर्स रजिस्टर , स्विच , सॉकिट आदि घटक प्रयोग किए जाते हैं । इसमें एक निम्न आवृत्ति ऑसिलेटर स्टेज होती है जो DC को प्रायः 50Hz AC में परिवर्तित करती है । इस AC को एक वोल्टेज एम्प्लीफायर स्टेज के द्वारा एम्प्लीफाई करके 230V AC तैयार की जाती है ।

अंत में एक पावर एम्प्लीफायर स्टेज होती है जो कि आउटपुट में उपलब्ध होने वाली विद्युत धारा के मान को बढ़ाती है । इन्वर्टर में AC इनपुट उपलब्ध होने पर स्टोरेज बैट्रियों को 3 से 5A की दर पर आवेशित करने की भी व्यवस्था होती है । इसके लिए उपकरण में 230V AC से 12V DC ( 3A से 5A ) प्रदान करने के लिए एक पावर डायोड युक्त रेक्टिफायर परिपथ होता है ।

इस परिपथ में एक रिले के द्वारा यह भी व्यवस्था की जाती है कि बैट्रियां पूर्णतः आवेशित हो जाने पर रेक्टिफायर परिपथ स्वतः ही ‘ ऑफ ‘ हो जाए । 12 V की एक या दो बड़ी स्टोरेज बैट्रियों से प्रचालित 230V , 50Hz AC आउटपुट प्रदान करने वाले 200 VA से 1000 VA क्षमता वाले इन्वर्टर सामान्य प्रचलन में हैं ।

1) बाई – पोल ट्रांजिस्टर टाइप इन्वर्टर ( Bi – Pole Transistor Type Inverter )

वर्तमान में इस प्रकार के इन्वर्टर अधिक प्रयोग में लिए जा रहे हैं । 300 वाट , 500 वाट , 600 वाट तथा 250 ° 10 % वोल्टेज तक के इन्वर्टर बाजार में उपलब्ध हैं । इससे अधिक पावर के विशिष्ट इन्वर्टर भी बनाए जाते है । इन्हें ऑटोमेटिक इलैक्ट्रॉनिक पावर जनरेटर भी कहते हैं । AC पावर सप्लाई बन्द हो जाने पर ये बिना किसी देरी के सप्लाई देना शुरू कर देते हैं । इन्वर्टर का उपयोग करते समय निम्न सावधानियां रखनी चाहिए इस प्रकार , इन्वर्टर एक ऐसी आपातकालीन विद्युत आपूर्ति व्यवस्था है जो AC मेन सप्लाई असफल हो जाने की स्थिति में स्टोरेज बैट्री स्रोत से प्रचालित होकर तुरंत ही AC उपलब्ध कराती है और AC मेन सप्लाई पुनः चालू हो जाने पर स्टोरेज बैट्री को आवेशित करने लगती है । इलैक्ट्रॉनिक इन्वर्टर दो प्रकार के होते हैं

  1. बैट्री को हाइ रेट पर डिस्चार्ज नहीं करना चाहिए ।
  2. इन्वर्टरों को सप्लाई सीधे ही सॉकेट द्वारा देनी चाहिए अन्यथा यदि इनपुट बन्द हो जाए तो इसके लिए सॉकेट MCB से जुड़ी होनी चाहिए ।
  3. इसके इनपुट व आउटपुट फ्यूज सही क्षमता के होने चाहिए ।
  4. इसे खुले हवादार स्थान पर रखना चाहिए ।
  5. बैट्री के इलैक्ट्रोलाइट के स्तर को हमेशा चैक करते रहना चाहिए ।
  6. बैट्री का आपेक्षिक घनत्व समय – समय पर चैक करते रहना चाहिए ।

2) डिजिटल MOSFET टेक्नोलॉजी टाइप इन्वर्टर ( Digital MOSFET Technology Type Inverter ) :

इस प्रकार के इन्वर्टर वर्तमान में काफी प्रयोग में आ रहे हैं । ये साइज में छोटे होते हैं । इनमें ट्रांसफॉर्मर एक ही कार्य में लिया जाता है । इनकी कोर सिलिकॉन स्टील की 0.35mm मोटाई की होती है । इनमें ट्रांसफॉर्मर पर कम्पोनेन्ट से जुड़ी इलैक्ट्रॉनिक प्लेट रहती है । इन प्लेटों में डिजिटल MOSFET टेक्नोलॉजी प्रयोग में ली जा रही है । ये 500W , 600W , 1000W की परास में बाजार में उपलब्ध हैं । इसमें लैड एसिड बैट्री 12Volt , 135 Ah से 175Ah की रेटिंग को काम में लेते हैं ।

इन्वर्टर के अनुप्रयोग | Applications of Inverter

इन्वर्टर औद्योगिक अनुप्रयोगों हेतु एक महत्त्वपूर्ण युक्ति है । इसके कुछ महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं-

  1. डी.सी. पावर स्रोत ( DC Power Source )
  2. यू.पी.एस. ( Uninterruptible Power Supply )
  3. प्रेरक हीटिंग ( Induction Heating )
  4. उच्च वोल्टेज डी . सी . संचरण ( High Voltage Direct Current ( HVDC ) Transmission )
  5. परिवर्ती आवृत्ति युक्तियां ( Variable Frequency Devices )
  6. वातानुकूलन ( Air Conditioning )

1. डी.सी. पावर स्रोत ( DC Power Source )

इन्वर्टर परिपथ विभिन्न शक्ति स्रोत जैसे- बैट्री , सौर पैनल इत्यादि से दिष्ट धारा लेकर उसे प्रत्यावर्ती धारा में बदलता है अर्थात् यह उन सभी उपकरणों के लिए महत्त्वपूर्ण है जो प्रत्यावर्ती धारा हेतु डिजाइन किए गए हैं तथा जो वांछित विभव के लिए रेक्टिफायर द्वारा दिष्ट धारा बनाते हैं ।

2. यू.पी.एस. ( Uninterruptible Power Supply )

जब मुख्य धारा उपलब्ध नहीं होती है तो यू.पी.एस. बैट्री तथा इन्वर्टर द्वारा प्रत्यावर्ती धारा प्राप्त करता है तथा जब मुख्य धारा उपलब्ध हो जाती है तो रेक्टिफायर दिष्ट धारा प्रदान करता है जो बैट्री को चार्ज करने हेतु काम आती है ।

3. प्रेरक हीटिंग ( Induction Heating )

प्रेरक हीटिंग अनुप्रयोग हेतु इन्वर्टर निम्न आवृत्ति की मुख्य प्रत्यावर्ती धारा को उच्च आवृत्ति की धारा बदलते हैं । इसके लिए पहले प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में तथा दिष्ट धारा को उच्च आवृत्ति की प्रत्यावर्ती धारा में बदला जाता है

4. उच्च वोल्टेज डी . सी . संचरण ( High Voltage Direct Current ( HVDC ) Transmission )

इस अनुप्रयोग हेतु प्रत्यावर्ती धारा को रेक्टिफाइ ( Rectify ) किया जाता है तथा प्राप्त दिष्ट धारा को संचरित किया जाता है रिसीवर पर इन्वर्टर इसे पुनः प्रत्यावर्ती धारा में बदल देता है ।

5. परिवर्ती आवृत्ति युक्तियां ( Variable Frequency Devices )

एक परिवर्ती आवृत्ति युक्ति , प्रत्यावर्ती धारा मोटर की गति नियंत्रित करती है । यह नियंत्रण मोटर की इनपुट आवृत्ति तथा वोल्टेज को नियंत्रित कर किया जाता है । यहां इन्वर्टर नियंत्रित धारा उपलब्ध कराता है ।

6. वातानुकूलन ( Air Conditioning )

इसमें इन्वर्टर द्वारा मोटर की गति को नियंत्रित किया जाता है अर्थात् कम्प्रेशर इन्वर्टर द्वारा नियंत्रित होता है ।

अच्छे इनवर्टर की सूची | बेस्ट बाय लिंक

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