दोस्तों, मैंने इस पोस्ट में आर्क ब्लो किसे कहते हैं? इसके कुप्रभाव व कुप्रभाव को कम करने के बारे में बताया है, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़िए।
आर्क ब्लो किसे कहते हैं?
जब वेल्डिंग की जाती है, तब उस समय बनने वाली आर्क स्थिर नहीं रहती है, बल्कि अपनी निश्चित दिशा को छोड़कर इधर-उधर होती है।
आर्क ब्लो का यह दोष डी. सी. सैट द्वारा वेल्डिंग करते समय अधिक देखने में आता है। यह प्रभाव डी. सी. जेनरेटर द्वारा किनारों और सिरों पर वेल्डिंग करते समय अधिक होता है।
आर्क ब्लो के कुप्रभाव
इसके कुप्रभाव निम्न प्रकार से हैं-
- आर्क ब्लो से स्पैटरिंग अधिक होती है।
- इससे अण्डरकट आने की संभावना रहती है।
- वेल्डिंग बीड एकसमान नहीं रहती है।
- फ्यूजन की कमी रह जाती है।
- आर्क ब्लो से सामर्थ्य कम रह जाती है।
- वेल्डिंग मेटल में स्लैग रह जाता है।
आर्क ब्लो के कुप्रभाव को कम करने के उपाय
यह उपाय निम्न प्रकार से हैं-
- इसके लिए लघु या छोटी आर्क को प्रयोग में लाना चाहिए। ऐसा इसलिए करना चाहिए क्योंकि इससे आर्क ब्लो का प्रभाव कम होता है।
- जॉब का पूर्वतापन करना चाहिए।
- जहां तक संभव हो आर्क धारा या करंट को कम रखना चाहिए।
- वेल्डिंग करते समय आर्क की गति कम रखनी चाहिए।
- वेल्डिंग करते समय, जहां तक संभव हो सके ए. सी. का उपयोग करना चाहिए।
- मैग्नेटिक फील्ड बनाने वाली वस्तुओं को वेल्डिंग के स्थान से उपयुक्त दूरी पर रखना चाहिए।
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