रिले एक विद्युत चालित स्विच है। इसमें एकल या एकाधिक नियंत्रण संकेतों के लिए इनपुट टर्मिनलों का एक सेट और ऑपरेटिंग संपर्क टर्मिनलों का एक सेट होता है। चुंबकीय लैचिंग रिले अनुप्रयोगों में उपयोगी होते हैं जब बाधित शक्ति उन सर्किटों को प्रभावित नहीं करनी चाहिए जिन्हें रिले नियंत्रित कर रहा है।
रिले किसे कहते हैं? | Relay kise kahate hain?
यह एक इलेक्ट्रिकल यंत्र (Electrical Equipment) है, इसको करंट ट्रांसफार्मर और ट्रिप क्वॉयल की सहायता से मुख्य विद्युत परिपथ तथा परिपथ वियोजक के रूप में लगाया जाता है। जिससे सर्किट में दोष आने पर रिले उर्जित होता है और रिले सर्किट ब्रेकर की सहायता से प्रदोषी यंत्र को वैद्युत प्रणाली से अलग कर देता है। इस वजह से सर्किट जलने से बच जाता है।
प्रदोष करंट, किसी भी डिवाइस में यदि लंबे समय तक प्रवाहित होती है तो वह उस डिवाइस को पूरी तरह से नष्ट कर सकती है। ऐसी विषम परिस्थितियों को दूर करने के लिए शक्ति प्रणाली में सुरक्षित रिले प्रणाली तथा उसके सहयोगी स्विचिंग यंत्र का उपयोग किया जाता है। प्रोटेक्टिव रिले प्रणाली यंत्र होता है। यह प्रदोष का बोध करके उसके साथ जुड़े हुए सर्किट ब्रेकर को खुलने वाले निर्देश भेजने हैं और सर्किट ब्रेकर खुलते हैं तथा प्रदोष (Fault) automatic दूर हो जाता है।
प्रदोष को दूर करने वाल डिवाइस को स्विच गियर के नाम से संबोधित किया जाता है। इनमें कंट्रोल पैनल (Control Panel), C.T., फ्यूज (Fuse), स्विच (Switch), परिपथ वियोजक (Circuit breaker), रिले (Relay) व आइसोलेटर्स (Isolators) आदि हैं।
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रिले के भाग | Relay ke bhaag
इसके तीन भाग होते हैं, जो कि निम्न प्रकार से हैं-
- क्वॉयल (Coil)- किसी भी रिले की वैल्यु, उसके क्वॉयल से होती है रिले के सभी काम क्वॉयल करता है। यह रिले के अंदर लगा होता है जिस कारण से यह भाग दिखाई नहीं देता है। रिले के इस भाग से दो कनेक्शन पिन निकला होता है, जिसमें दो सप्लाई दिया जाता है। जैसे ही क्वॉयल में सप्लाई देते हैं तब वहां पर चुम्बकीय क्षेत्र बन जाता है। जिसके कारण रिले का दोलन अपनी जगह से हिल जाता है, तब रिले चालू/बंद हो जाता है।
- कोर (Core)- रिले का क्वॉयल डिजाइन किए गए लोहे के ठोस कोर पर लपेटा जाता है। कोर ही रिले को जलने से बचाता है और यह एक मजबूत चुंबकीय क्षेत्र बनाने में मदद करता है। जब रिले को उचित सप्लाई दी जाती है, तब वहां चुंबकीय क्षेत्र बन जाता है, जो कि दोलन को अपनी ओर खींच लेता है, जिस कारण से रिले ऑन हो जाता है।
- दोलन- रिले को बंद व चालू करने के लिए, रिले के अंदर दोलन को लगाया जाता है, जो कि विद्युत शील्ड बनने के बाद अपने स्थान से हिल जाता है और रिले के स्विच वाले पिन आपस में कनेक्ट या डिस्कनेक्ट हो जाते हैं।
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रिले के प्रकार | Relay ke Prakar
यह मुख्यत: दो प्रकार के होते हैं, जो कि निम्न प्रकार से हैं-
- लेचिंग रिले (Latching Relay)- इस प्रकार के रिले को हम विद्युत (Electricity) सप्लाई करके चालू कर सकते हैं। इसके बाद यह अपनी स्थिति पर चली जाती है, इसके बाद, यदि विद्युत (Electricity) की सप्लाई बंद कर दें। उसके बाद वह उसी स्थिति वहीं रूक जाती है। जहां से उसे विद्युत (Electricity) देकर चालू किया गया था। उसके बाद भी उसकी स्थिति वापस उसी जगह पर नहीं आती है।
- नॉन-लेचिंग रिले (Non-Latching Relay)- इस प्रकार के रिले की पोजीशन ऑटोमैटिक बदलती रहती है। इनके लिए विद्युत (Electricity) देने व न देने से कोई मतलब नहीं है।
यह रिले निम्न प्रकार से हैं-
- मल्टी वोल्टेज रिले
- सेफ्टी रिले
- पोलेराइज्ड रिले
- ओवर वोल्टेज रिले
- टाइम डिले रिले
- ओवर करंट रिले
- वैक्युम रिले
- बुकोज रिले
- निगेटिव रजिस्टेंश रिले
- मशीन टूल रिले
- मर्करी रिले
- कोएक्सल रिले
- कनेक्टर रिले
- मर्करी बेटेड रिले
- मॉनीटरिंग रिले
- मोटर लोड मॉनीटरिंग रिले
- लिक्विड मॉनीटरिंग रिले
- इलेक्ट्रोमैग्नेटिक अट्रेक्शन टाइप रिले
- रेक्टिफायर रिले
- पीएमएमसी रिले
- गैस एक्चुअल रिले
- न्यूमैरिकल और माइक्रोप्रोसेसर बेस्ड रिले
- रीड स्विच रिले
- स्टेटिक रिले
- सोलिड स्टेट रिले
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रिले के उपयोग | Relay ke Upyog
इसके उपयोग निम्न प्रकार से हैं-
- यह किसी सर्किट से विद्युत (Electricity) से जुड़े बिना ही उसे कंट्रोल करने में सक्षम होती है।
- एक कंट्रोल सर्किट द्वारा एक या एक से अधिक सर्किट को चालू या बंद कर सकते हैं।
- कम शक्ति खर्च करके बहुत अधिक विद्युत शक्ति को कंट्रोल कर सकते हैं।
- सभी ऑटोमैटिक डिवाइस में रिले का उपयोग किया जाता है। कुछ डिवाइस में रिले का उपयोग नहीं किया जाता है। उदाहरण- विद्युत प्रेस (Electric Iron) आदि।
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Relay FAQ
रिले क्या है और इसका उपयोग क्या है?
Relay ऐसे स्विच होते हैं जो विद्युत या इलेक्ट्रॉनिक रूप से सर्किट को खोलते और बंद करते हैं। रिले दूसरे सर्किट में संपर्कों को खोलकर और बंद करके एक विद्युत परिपथ को नियंत्रित करते हैं। इसके अलावा, रिले का व्यापक रूप से प्रारंभिक कॉइल, हीटिंग तत्व, पायलट रोशनी और श्रव्य अलार्म स्विच करने के लिए भी उपयोग किया जाता है।
रिले का सिद्धांत क्या है?
रिले विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर काम करता है। जब विद्युत चुंबक को कुछ धारा के साथ लगाया जाता है तो यह अपने चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है।
रिले का क्या फायदा है?
रिले एक साथ कई संपर्कों को स्विच कर सकते हैं। एक एकल वोल्टेज सिग्नल का उपयोग एक साथ चार अलग-अलग स्विचिंग ऑपरेशन करने के लिए किया जा सकता है। रिले के प्रत्येक आउटपुट संपर्क का उपयोग विभिन्न वोल्टेज और वर्तमान स्तरों के साथ लोड सर्किट को स्विच करने के लिए किया जा सकता है।
रिले की विशेषताएं क्या हैं?
एक रिले एक विद्युत संचालित स्विच है जो एक निश्चित मूल्य से ऊपर एक विद्युत इनपुट को पहचानता है, और दूसरे सर्किट को खोलने या बंद करने का नियंत्रण करता है।
एक कार में रिले का क्या कार्य है?
रिले विद्युत शक्ति द्वारा नियंत्रित स्विच होते हैं, जैसे अन्य स्विच, कंप्यूटर या नियंत्रण मॉड्यूल। ऑटोमोटिव रिले का उद्देश्य विशेष समय पर विद्युत सर्किट को चालू और बंद करने के लिए इस शक्ति को स्वचालित करना है।
रिले के विफल होने का क्या कारण है?
वास्तव में, रिले का जीवन अनिवार्य रूप से उसके संपर्कों के जीवन से निर्धारित होता है। संपर्कों का क्षरण उच्च इन-रश धाराओं, उच्च-निरंतर धाराओं और उच्च वोल्टेज स्पाइक्स के कारण होता है। खराब संपर्क संरेखण और खुले कॉइल के कारण भी रिले विफल हो सकते हैं।
क्या आप रिले को साफ कर सकते हैं?
रिले को भिगोएँ नहीं। रंगीन कागज, गंदे कागज या रेशे छोड़ने वाले कागज़ का प्रयोग न करें। WD40 एक उत्कृष्ट क्लीनर बनाता है। यदि कोई क्लीनर अवशिष्ट गीलापन छोड़ता है, तो 100% शुद्ध अल्कोहल या किसी अन्य हल्के शुद्ध हाइड्रोकार्बन के साथ अंतिम सफाई करना सुनिश्चित करें, या स्वच्छ हवा के साथ संपर्क को सूखा दें।
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