दोस्तों, आज की इस पोस्ट में आपको ड्रिल के भाग या ड्रिल के कौन-से भाग होते हैं। यह किन आकारों में मार्केट में मिलते हैं, आदि के बारे में बताया है। यदि आप इन सभी के बारे में जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़िए।
1.शैंक
यह ड्रिल के सबसे ऊपर वाला भाग होता है, ड्रिल (drill) का यह भाग प्लेन होता है, ड्रिल मशीन (drill machine) में इसी भाग को फँसाया या पकड़ा जाता है। और यह निम्न दो प्रकार के होते हैं-
(i)स्ट्रेट शैंक
इस प्रकार की शैंक (shank) का भाग समान्तर या बेलनाकार होता है। इस प्रकार की शैंक के ड्रिल (drill) छोटे व्यास की ड्रिल के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
(ii)टेपर शैंक
इस शैंक में मोर्स पेपर होता है, इस प्रकार का शैंक स्टैण्डर्ड टेपर में बनाया जाता है। टेपर शैंक के ऊपर का कुछ भाग दोनों साइडों से प्लेन करके टैंग बना दिया जाता है। और टेपर शैंक ड्रिल (taper shank drill) को ड्रिल चक से बाहर निकालने के लिए एक वैज आकार का टूल ड्रिफ्ट प्रयोग किया जाता है।
2.टैंग
यह भाग टेपर शैंक ड्रिल में होता है, यह छोटा व चपटा होता है। यह भाग ही ड्रिलिंग मशीन (drilling machine) के स्पिण्डल में फिट होता है।
3.फ्लूट्स
यह एक प्रकार के खाँचे (grooves) होते हैं, जोकि ड्रिल की बॉडी में बने होते हैं। और यह ड्रिल के घूमने पर धातु (metal) या पदार्थ की छीलन उतारते हैं। यह अधिक लम्बे ड्रिलों में तीन या अधिक होते हैं।
फ्लूट्स के उद्देश्य
- फ्लूट, ड्रिल में कटिंग एज (cutting edge) का निर्माण करता है।
- फ्लूट (flute) के बीच में गैप रहता है, जहाँ से शीतल आसानी से कटिंग एज तक पहुंच जाता है, और ड्रिल गर्म नहीं हो पाता है, जिससे ड्रिल की आयु बढ़ जाती है।
- फ्लूट (flute) से होकर छीलन आसानी से बाहर निकल आता है, इसलिए लम्बे ड्रिलों में अधिक फ्लूट्स बनाए जाते हैं।
4.बॉडी
ड्रिल के जिस भाग में फ्लूट्स (flutes) कटे होते हैं, ड्रिल का वह भाग बॉडी कहलाता है। यह भाग डैड सेन्टर से लेकर नैक तक होता है। और इस भाग में डैड सेन्टर से शैंक की ओर हल्का टेपर (5 मिमी से 100 मिमी) होता है। इस टेपर के कारण ही ड्रिलिंग करते समय ड्रिल की बॉडी होल की दीवारों से रगड़ती हुई नहीं चलती है।
5.लैण्ड
ड्रिल में फ्लूट्स के बीच के सम्पूर्ण भाग को लैण्ड (land) कहा जाता है। और इस लैण्ड का कुछ भाग छोड़कर बाकी का व्यास कुछ कम कर दिया जाता है। इस व्यास को ही क्लीयरैन्स डायमीटर कहते हैं।
6.मार्जिन
लैण्ड (land) के ऊपर कटिंग आकार में एक बारीक स्पाइरल आकार की उभरी हुई रेखा होती है, जिसे मार्जिन (margin) कहते हैं। यह मार्जिन ही होल का आकार बनाती है। और दो विपरीत मार्जिनों के बीच की दूरी ही ड्रिल का व्यास होती है। इस मार्जिन की चौड़ाई ड्रिल के साइज के अनुसार 1 मिमी से 2 मिमी तक रखी जाती है।
7.बॉडी क्लीयरैन्स
मार्जिन को छोड़कर लैण्ड का बाकी या शेष भाग बॉडी क्लीयरैन्स (body clearance) कहलाता है। और बॉडी क्लीयरैन्स होल के साथ घर्षण नहीं करता है, क्योंकि इसका व्यास कुछ कम होता है, जिसके कारण घर्षण कम हो जाता है।
8.बिन्दु
ड्रिल के आगे का वह भाग जोकि शंकु के आकार का होता है, बिन्दु (point) कहलाता है। इसे चीजल एज या डैड सेन्टर भी कहा जाता है।
9.हील
कटिंग एज के पीछे वाले भाग को हील (heel) कहते हैं। इस भाग को पीछे की ओर टेपर दिया जाता है, जिससे कटिंग करते समय मात्र कटिंग एज ही जॉब की तली को छुए।
10.वैब
ड्रिल की बॉडी के बीच का वह भाग जो उस पर बने फ्लूट्स के बीच में बचता है, वैब (web) कहलाता है। और प्वॉइण्ट से शैंक की ओर इसकी मोटाई बढ़ती जाती है।
ड्रिल का आकार
इसका वर्णन चार पद्धतियों (four systems) में किया गया है,जिसका नीचे वर्णन किया है-
1.मिलीमीटर आकार के ड्रिल
इस आकार के ड्रिल का वर्णन मीट्रिक पद्धति के आधार पर किया जाता है। इस पद्धति के अनुसार 16 मिमी तक के ड्रिल स्ट्रेट शैंक के होते हैं और 16 मिमी से बड़े साइज के ड्रिल, टेपर शैंक (taper shank) के होते हैं। यह दो प्रकार के होते हैं-
(i)स्ट्रेट शैंक ड्रिल
16 मिमी आकार तक के ड्रिल स्ट्रेट शैंक (straight shank) में आते हैं। यह निम्न प्रकार हैं-
क्र.सं. | साइज | अन्तराल |
1. | 0.2 से 0.98 मिमी तक | कुल 32 ड्रिल |
2. | 1 से 3 मिमी तक | 0.05 मिमी |
3. | 3 से 14 मिमी तक | 0.1 मिमी |
4. | 14 से 16 मिमी तक | 0.25 मिमी |
(ii)टेपर शैंक ड्रिल
3 मिमी से बड़े साइज के ड्रिल टेपर शैंक के होते हैं। इस प्रकार के ड्रिल शैंक में छः प्रकार का मोर्स टेपर दिया जाता है। इसे MT1 से MT6 से प्रदर्शित (displayed) किया जाता है। यह निम्न प्रकार होते हैं।
क्र. सं | साइज | अन्तराल |
1. | 3 मिमी से 14 मिमी तक | 0.3 मिमी |
2. | 14 मिमी से 32 मिमी तक | 0.25 मिमी |
3. | 32 मिमी से 51 मिमी तक | 0.5 मिमी |
4. | 52 मिमी से 102 मिमी तक | 1 मिमी |
मोर्स टेपर (Morse taper) बड़े साइज के ड्रिलों में पाई जाती है। यह मोर्स टेपर स्वयं पकड़ने वाला होता है। जोकि निम्न प्रकार से हैं-
क्र.सं. | ड्रिल साइज मिमी में | मोर्स टेपर नम्बर |
1. | 3 से 14 तक | 1 |
2. | 14.25 से 23 तक | 2 |
3. | 23.50 से 31.50 तक | 3 |
4. | 32 से 49.50 तक | 4 |
5. | 50 से 76.50 तक | 5 |
6. | 77 से 100 तक | 6 |
2.इंच साइज के ड्रिल
इनको फ्रैक्शनल साइज ड्रिल (drill) भी कहते हैं, इसमें भी छोटे साइज के ड्रिल (1/2″ तक) स्ट्रेट शैंक (straight shank) के और बड़े साइज के टेपर शैंक (taper shank) के ड्रिल होते हैं। जोकि निम्न प्रकार हैं-
(i)स्ट्रेट शैंक ड्रिल
यह ड्रिल 1/64″ से 1/32″ साइज तक के होते हैं, और यह 1/64″ के अन्तर में मिलते हैं।
(ii)टेपर शैंक ड्रिल
यह ड्रिल 1/8″ से 5″ व्यास तक के होते हैं।
क्र.सं. | साइज | अन्तराल |
1. | 1/8″ से 2″ तक | 1/64″ |
2. | 2″ से 7/2″ तक | 1/32″ |
3. | 7/2″ से 5″ तक | 1/16″ |
3.नम्बर आकार के ड्रिल
इस पद्धति के अनुसार ड्रिल बाजारों में 1 से 80 नम्बर तक मिलते हैं। इनमें से 1 नम्बर का ड्रिल सबसे बड़ा होता है, जोकि 0.228″ या 5.791 मिमी व्यास का होता है। और 80 नम्बर का ड्रिल सबसे छोटा होता है, जिसका व्यास 0.0135″ से 0.35 मिमी होता है। इनका पूरा वर्णन निम्न प्रकार से है-
क्र.सं. | इंच | मिमी |
1. | 0.228 | 5.791 |
2. | 0.221 | 5.613 |
3. | 0.213 | 5.410 |
4. | 0.209 | 5.309 |
5. | 0.2055 | 5.220 |
6. | 0.204 | 5.182 |
7. | 0.201 | 5.105 |
8. | 0.199 | 5.055 |
9. | 0.196 | 4.978 |
10. | 0.1935 | 4.915 |
11. | 0.191 | 4.851 |
12. | 0.189 | 4.801 |
13. | 0.185 | 4.699 |
14. | 0.182 | 4.623 |
15. | 0.180 | 4.572 |
16. | 0.177 | 4.496 |
17. | 0.173 | 4.394 |
18. | 0.1695 | 4.305 |
19. | 0.166 | 4.216 |
20. | 0.161 | 4.216 |
21. | 0.159 | 4.039 |
22. | 0.157 | 3.988 |
23. | 0.154 | 3.912 |
24. | 0.152 | 3.861 |
25. | 0.1495 | 3.797 |
26. | 0.147 | 3.734 |
27. | 0.144 | 3.658 |
28. | 0.1405 | 3.569 |
29. | 0.136 | 3.454 |
30. | 0.1285 | 3.264 |
31. | 0.120 | 3.048 |
32. | 0.116 | 2.946 |
33. | 0.113 | 2.870 |
34. | 0.111 | 2.819 |
35. | 0.110 | 2.794 |
36. | 0.1064 | 2.705 |
37. | 0.104 | 2.642 |
38. | 0.1015 | 2.578 |
39. | 0.0995 | 1.527 |
40. | 0.098 | 1.489 |
41. | 0.096 | 2.438 |
42. | 0.0935 | 2.375 |
43. | 0.089 | 2.261 |
44. | 0.086 | 2.184 |
45. | 0.082 | 2.083 |
46. | 0.081 | 2.057 |
47. | 0.0785 | 1.994 |
48. | 0.076 | 1.930 |
49. | 0.073 | 1.854 |
50. | 0.070 | 1.778 |
51. | 0.067 | 1.702 |
52. | 0.0635 | 1.613 |
53. | 0.0595 | 1.511 |
54. | 0.055 | 1.395 |
55. | 0.052 | 1.321 |
56. | 0.0465 | 1.181 |
57. | 0.043 | 1.092 |
58. | 0.042 | 1.067 |
59. | 0.041 | 1.041 |
60. | 0.040 | 1.016 |
61. | 0.0390 | 1.00 |
62. | 0.0380 | 0.98 |
63. | 0.0370 | 0.95 |
64. | 0.0360 | 0.92 |
65. | 0.0350 | 0.90 |
66. | 0.033 | 0.85 |
67. | 0.032 | 0.82 |
68. | 0.031 | 0.79 |
69. | 0.0292 | 0.75 |
70. | 0.0280 | 0.70 |
71. | 0.0260 | 0.65 |
72. | 0.0240 | 0.65 |
73. | 0.0240 | 0.60 |
74. | 0.0225 | 0.58 |
75. | 0.0210 | 0.52 |
76. | 0.0200 | 0.50 |
77. | 0.0180 | 0.45 |
78. | 0.0160 | 0.40 |
79. | 0.0145 | 0.38 |
80. | 0.0135 | 0.35 |
4.अक्षर आकार के ड्रिल
इनको अंग्रेजी के अक्षरों से प्रदर्शित किया जाता है। सबसे छोटे ड्रिल को ‘A’ से प्रदर्शित किया जाता है, जिसका व्यास 0.234″ या 5.994 मिमी होता है। और सबसे बड़े ड्रिल को ‘Z’ से प्रदर्शित करते हैं, जिसका व्यास 0.413″ या 10.490 मिमी होता है। इनका पूरा वर्णन निम्न प्रकार से है-
अक्षर | इंच | मिमी |
A | 0.234 | 5.944 |
B | 0.238 | 6.045 |
C | 0.242 | 6.147 |
D | 0.246 | 6.248 |
E | 0.250 | 6.35 |
F | 0.257 | 6.528 |
G | 0.261 | 6.629 |
H | 0.266 | 6.756 |
I | 0.272 | 6.909 |
J | 0.277 | 7.036 |
K | 0.281 | 7.137 |
L | 0.290 | 7.366 |
M | 0.295 | 7.493 |
N | 0.302 | 7.671 |
O | 0.316 | 8.026 |
P | 0.323 | 8.204 |
Q | 0.332 | 8.433 |
R | 0.339 | 8.611 |
S | 0.348 | 8.839 |
T | 0.358 | 9.093 |
U | 0.368 | 9.347 |
V | 0.377 | 9.576 |
W | 0.386 | 9.804 |
X | 0.397 | 10.084 |
Y | 0.404 | 10.262 |
Z | 0.413 | 10.490 |
दोस्तों, यदि आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों को शेयर करें और हमसे जुड़ने के लिए टेलीग्राम चैनल (Telegram Channel) ज्वॉइन करें।
Read Also- ड्रिल के बारे में
One thought on “ड्रिल के मुख्य भागों के बारे में”