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मार्किंग मीडिया क्या है? इसके प्रकार

मार्किंग मीडिया क्या है? इसके प्रकार

Marking Media kya hai in hindi:- मार्किंग मीडिया एक लेप या पेस्ट होता है, जिसको आवश्यक जॉब की सर्फेस पर लगाकर मार्किंग की जाती है। दोस्तों, मेरी वेबसाइट में आपका स्वागत है, मैंने इस पोस्ट में मार्किंग मीडिया क्या है? इसके प्रकार व उपयोग के बारे में बताया है, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़िए।

मार्किंग मीडिया क्या है?

“किसी जॉब (job) पर मार्किंग करने से पहले जॉब की सतह पर कोई उपयुक्त रंग या रंग के समान कोई पदार्थ लगाया जाता है, जिसे मार्किंग मीडिया (Marking Media) कहते हैं।”

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Marking Media kya hai
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इसको हिंदी भाषा में चिन्हन लेप कहते हैं। यह एक पेस्ट के समान होता है, इसलिए इसे जॉब पर लगाया जाता है। इसके बाद पेस्ट या लेप को सुखाया जाता है। तब जॉब पर ड्राइंग के अनुसार स्क्राइबर की सहायता से मार्किंग की जाती है। यदि हम जॉब पर marking Media या चिन्हन लेप न लगाएं। और मार्किंग करें। तब हमें जॉब पर स्पष्ट मार्किंग नहीं दिखाई देगी। इसलिए इसका उपयोग अवश्य करना चाहिए।

मार्किंग मीडिया के प्रकार

यह चार प्रकार के होते हैं, जो कि निम्न प्रकार से हैं-

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1.पर्शियन ब्लू

इस प्रकार के मार्किंग मीडिया को सूखने में बहुत अधिक समय लगता है। लेकिन इसकी परत जॉब की सतह पर बहुत बारीक बनती है। जिसके कारण से मार्किंग (marking) बहुत स्पष्ट तथा एक्यूरेट प्राप्त होती है। इसका मशीनिंग (machining) की गई सतहों पर किया जाता है।

2.सफेद रँगाई

इसका उपयोग कास्टिंग या फोर्जिंग की गई सतहों पर किया जाता है। यह सबसे अधिक उपयोग में लाया जाता है। क्योंकि यह आसानी से मिल जाता है। इसका उपयोग अधिक परिशुद्ध मार्किंग करने के लिए नहीं किया जाता है, क्योंकि जॉब की सर्फेस पर इसकी मोटी परत बनती है। अधिक परिशुद्ध मार्किंग करने के लिए जॉब की सर्फेस पर पतली परत बननी चाहिए। इसके बारे में, मैं आपको कुछ और बता देता हूं, कि यह मार्किंग मीडिया निम्न में घोलकर बनाया जाता है-

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  • साधारण चाक को मिथाइलेट स्प्रिट में घोलकर बनाया जाता है।
  • साधारण ब्लैक बोर्ड चॉक को पानी में घोलकर बनाया जाता है।
  • लाल लैड पाउडर को तारपीन मेंं घोलकर बनाया जाता है।
  • सफेद लैड पाउडर को तारपीन के तेल मेंं घोलकर बनाया जाता है।

यह चार प्रकार से घोलकर बनाए जाते हैं, लेकिन इनमें से पानी को मिलाकर बनाए गए घोल का उपयोग परिशुद्धता वाले कामों में कम किया जाता है, क्योंकि इसके उपयोग से जंग लग जाती है, जिससे परिशुद्धता में काम नहीं हो पाएगा। इसलिए परिशुद्धता वाले स्थानों पर स्प्रिट (sprit) या तारपीन के तेल (tarpin oil) में बने घोल का उपयोग करना चाहिए।

3.तूतिया

यह नीला थोथा के नाम से जाना जाता है, इसका उपयोग केवल स्टील के जॉबों पर और फिनिशिंग या परिष्कृत जॉबों पर किया जाता है। इसके द्वारा एक्युरेसी में मार्किंग की जा सकती है। इस लेप को बनाने के लिए तूतिया को पानी में मिलाया जाता है। इसके बाद इसको अधिक क्रियाशील बनाने के लिए कुछ बूंदें सल्फ्यूरिक एसिड की मिला देते हैं।

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तूतिया का उपयोग चूने में मिलाकर घर की दीवार पोतने या रंगने के काम में लाया जाता है।

4.ले-आउट डाई

यह सेल्युलोज लैक्युअर के नाम से भी जाना जाता है, इसका उपयोग परिष्कृत सतहों पर किया जाता है। यह मार्किंग मीडिया बहुत जल्दी ही सूख जाती है। इसके उपयोग से बहुत स्पष्ट मार्किंग प्राप्त होती है।

दोस्तों, यदि आपको मेरी यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो कमेंट व शेयर करें।

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