यह एक मशीन के बेलनाकार या रोलर आकार का घटक होता है, इसकी परिधि पर टीथ या दांते कटे होते हैं, इन दांतों की मदद से एक शाफ्ट से दूसरी शाफ्ट पर पावर ट्रांसमिट होता है।
गियर का मुख्य रूप से उपयोग ड्राइविंग शाफ्ट व ड्रिवेन शाफ्ट की गति व टॉर्क में बदलाव के लिए किया जाता है।
गियर से बहुत अधिक स्पीड या गति पर भी टॉर्क व पावर ट्रांसमिट की जा सकती है, इसलिए ऑटोमोबाइल में गियरों का बहुत उपयोग किया जाता है। क्योंकि यह पावर ट्रांसमिशन में कम स्थान भी घेरते हैं।
जितने ऑटोमोबाइल प्रोडक्ट जैसे- कार, ट्रक, मोटरसाइकिल इत्यादि के गियर बॉक्स में इनका उपयोग किया जाता है।
इसमें दो मेंबर्स होते हैं, जिसमें से एक ड्राइविंग मेंबर और दूसरा ड्रिवेन मेंबर होता है।
ड्राइविंग मेंबर, ड्राइविंग शाफ्ट पर लगा होता है, इस मेंबर को इंजन से पावर मिलती है। जब इंजन पावर देता है, तब ड्राइविंग शाफ्ट चलती है, ड्राइविंग शाफ्ट के चलने के कारण ड्राइविंग मेंबर भी चलता है।
ड्रिवेन मेंबर, ड्रिवेन शाफ्ट पर लगा होता है, इसको पावर ड्राइविंग मेंबर से मिलती है।
गियरिंग के प्रकार
इसके आधार पर गियर दो प्रकार के होते हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है-
1.इंटर्नल गियरिंग
इस प्रकार की गियरिंग में, दो गियर्स पर अंदर की ओर दांते बने होते हैं, इसलिए इनको इंटर्नल गियरिंग कहते हैं।
इस गियरिंग में, गियर एक समान दिशा में घूमते हैं। इसमें बड़े व्हील को एनुलर और रिंग कहते हैं और छोटे व्हील को पिनियन कहते हैं।
2.एक्सटर्नल गियरिंग
इस प्रकार की गियरिंग में, दो गियर्स पर बाहर की ओर दांते बने होते हैं, इसलिए इनको एक्सटर्नल गियरिंग कहते हैं।
इस गियरिंग में, गियर एक-दूसरे के विपरीत दिशा में घूमते हैं। इसमें बड़े व्हील को गियर व छोटे व्हील को पिनियन कहते हैं।
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