जॉब में अच्छी फिनिशिंग पाने के लिए ड्रिल (drill) में भी अन्य कटिंग टूल की भाँति कुछ निश्चित कोण दिए जाते हैं, जो कि निम्न प्रकार हैं-
1.बिन्दु कोण या कटिंग कोण
“ड्रिलों के कटिंग एज या लिप (cutting edge or lip) आपस में जिस कोण पर मिलते हैं, उसे बिन्दु कोण या कटिंग कोण कहते हैं।”
यह कोण कठोर धातुओं के लिए अधिक होता है और मुलायम धातुओं के लिए कम होता है। इसका मान 80° से 140° के बीच रहता है।
साधारण कार्यों के लिए 118° के कटिंग कोण वाले ड्रिल का उपयोग किया जाता है। यह कोण जिन दो किनारों (edge) के बीच स्थित होता है, उसे कटिंग एज या लिप कहते हैं। और यह दोनों एज बराबर लम्बाई की बनी होती हैं।
नीचे लिस्ट में दिया है कि किस धातु (metal) के लिए कितना कोण (angle) उपयोग किया जाता है।
धातु का नाम | बिन्दु कोण |
बैकेलाइट, प्लास्टिक, हार्ड रबड़ आदि | 80° |
एल्युमीनियम, टिन, कठोर लकड़ी | 90° |
कॉपर व इसके अलॉय | 100° |
माइल्ड स्टील, ढलवाँ लोहा | 118° |
कास्ट स्टील | 130° |
स्टेनलैस स्टील, फोर्ज स्टील | 140° |
2.चीजल एज कोण
“लिप तथा चीजल एज के बीच के कोण को चीजल एज कोण (chisel edge angle) कहते हैं।”
यह कोण 120° से 135° तक होता है। यह कोण वैब की मोटाई पर प्रभाव डालता है, इसलिए इसे वैब कोण भी कहते हैं।
3.लिप क्लीयरैन्स कोण
“कटिंग एज के पिछले वाले भाग (part) को एक विशेष कोण (angle) पर ग्राइण्ड किया जाता है, जिसे लिप क्लीयरैन्स कोण (lip clearance angle) कहते हैं।”
यह कोण मुलायम धातुओं (soft metals) के लिए अधिक रखा जाता है। और यह कोण अधिक होने से ड्रिल की कटिंग एज कमजोर हो जाती है, लेकिन अधिक तेज बन जाती है। और कठोर धातुओं (hard metals) के लिए ड्रिल में यह कोण कम रखा जाता है, जिससे कटिंग एज की मजबूती बनी रहे।
नीचे लिस्ट में दिया है कि किस धातु (metal) के लिए कितना कोण (angle) उपयोग किया जाता है।
धातु का नाम | लिप क्लीयरैन्स कोण |
कास्ट स्टील व फोर्ज स्टील | 8° से 10° |
ढलवाँ लोहा | 8° से 12° |
पीतल व कॉपर | 10° से 12° |
माइल्ड स्टील व एल्युमीनियम | 12° से 15° |
4.हैलिक्स कोण
“ड्रिल की बॉडी पर बने फ्लूट्स स्पाइरल (spiral) आकार में ड्रिल की अक्ष के चारों ओर घूमते हैं। इस प्रकार फ्लूट्स तथा ड्रिल की अक्ष के बीच बने कोण को हैलिक्स कोण कहते हैं।”
इस कोण को फ्लूट कोण (flute angle) या रैक कोण भी कहा जाता है। क्योंकि इसी कोण के कारण ही कटिंग एज पर रैक कोण बनता है।
यह कोण तीन प्रकार के होते हैं, इन्हें H, N व S द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। और यह कोण धातुओं की कठोरता के आधार पर ड्रिल में बनाए जाते हैं। यह निम्न हैं-
H – इसका उपयोग कठोर धातुओं के लिए किया जाता है। इसका हैलिक्स कोण 10° से 13° तक होता है।
N – इसका उपयोग सामान्य धातुओं के लिए किया जाता है। इसका हैलिक्स कोण 18° से 30° तक होता है।
S – इसका उपयोग मुलायम धातुओं के लिए किया जाता है। इसका हैलिक्स कोण 35° से 40° तक होता है।
नीचे लिस्ट में ड्रिल के लिए बिन्दु व हैलिक्स कोण (point and helix angle) दिए गए हैं:-
ड्रिल पदार्थ | बिन्दु कोण | हैलिक्स कोण |
पीतल | 118° | 13° |
ऑस्टेनाइट स्टील, मैग्नीशियम स्टील | 140° | 13° |
रबर, स्लेट, मार्बल, कोयला | 80° | 13° |
स्टील(steel), जर्मन सिल्वर, ढलवाँ लोहा(cast iron), स्लेटी ढलवाँ लोहा, आघातवर्धनीय ढलवाँ लोहा | 118° | 30° |
स्टेनलैस स्टील | 140° | 30° |
ताँबा, एल्युमीनियम अलॉय | 140° | 40° |
इंजीनियरिंग प्लास्टिक | 80° | 40° |
सिंक अलॉय | 118° | 40° |
दोस्तों, यदि आपको मेरे द्वारा बताई गई जानकारी अच्छी लगी हो तो कमेंट करके बताएं और हमसे जुड़ने के लिए टेलीग्राम चैनल को ज्वॉइन करें।
More Information:- ऊष्मा उपचार व स्टील की संरचना