दोस्तों, मैंने इस पोस्ट में डेनियल सेल किसे कहते हैं? के बारे में बताया है, यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़िए।
डेनियल सेल किसे कहते हैं?
यह एक प्राथमिक सेल होता है, इसलिए इसको एक बार उपयोग में लाने के बाद दोबारा उपयोग में नहीं लाया जा सकता है।
इस सेल का आविष्कार सन् 1836 में जॉन डेनियल ने किया था, जो कि एक ब्रिटिश केमिस्ट एवं मौसम विज्ञानी थे। इस सेल के द्वारा रासायनिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है इस सेल को बनाने के लिए दो पदार्थों का उपयोग किया जाता है। जिसमें से एक जिंक और दूसरा कॉपर है।
इसको बनाने के लिए दो पात्र उपयोग में लाए जाते हैं, जिसमें से एक पात्र में ताँबे की छड़ कैथोड के रूप में उपयोग में लाई जाती है। बर्तन में ऊपर की ओर ताँबे का छिद्रयुक्त छज्जा बना होता है। इस बर्तन में कॉपर सल्फेट के ठोस रवे भरे जाते हैं और इसमें इलेक्ट्रोलाइट के रूप में कॉपर सल्फेट का घोल भरा जाता है।
दूसरे बर्तन में इलेक्ट्रोलाइट के रूप में सल्फ्युरिक एसिड भरा होता है, जिसमें एक जस्ते की छड़ पड़ी होती है। जो कि एनोड का काम करती है।
डेनियल सेल का प्रतिरोध 2 से 5 ओम होता है और इसका विद्युत वाहक बल 1.46 वोल्ट होता है।
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