
अन्योन्य प्रेरण किसे कहते हैं?
पारस्परिक प्रेरण को Coils की property के रूप में परिभाषित किया जाता है जो इसे किसी अन्य Coil में वर्तमान में परिवर्तन का विरोध करने में सक्षम बनाता है। एक Coil के करंट में बदलाव के साथ, फ्लो भी बदल जाता है, जिससे दूसरी Coil में EMF उत्प्रेरण हो जाता है। इस घटना को पारस्परिक प्रेरण के रूप में जाना जाता है।
अन्योन्य प्रेरण किसे कहते हैं?
जब दो कुंडलियों को पास में रखकर उनमें से किसी एक कुंडली में बैटरी द्वारा Current को प्रभावित किया जाता है उसके बाद जब उसमें प्रवाहित Current के मान में बदलाव/परिवर्तन किया जाता है तब पास में रखी दूसरी कुंडली में एक प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है। कुंडलियों में होने वाली इस घटना को अन्योन्य प्रेरण (Mutual Induction) कहते हैं।
दोस्तों, जिस कुंडली में परिवर्तित धारा (Current) प्रवाहित की जाती है, उसको प्राथमिक कुंडली (Primary Coil) कहते हैं।
जिस कुंडली में प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है, उसको द्वितीयक कुंडली (Secondary coil) कहते हैं।
अन्योन्य प्रेरण की विस्तृत व्याख्या
दोस्तों, आप लोगों ने परिभाषा तो पढ़ ली है, जिसमें मैंने दो कुंडलियों के बारे में बताया है। आप लोग चित्र में देख रहे होंगे जिसमें प्राथमिक कुंडली को Coil A व द्वितीयक कुंडली को Coil B नाम दिया गया है।

आपको द्वितीयक कुंडली में G लिखा हुआ दिखाई दे रहा होगा। इसका अर्थ क्या है कि यहां पर एक गैल्वेनोमीटर/धारामापी लगाया गया है। आप लोग इतना समझ गए होंगे अब हम परिभाषा के अनुसार इसकी व्याख्या करते हैं।
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परिभाषा के अनुसार, आपको चित्र में दो कुंडलियां दिखाई दे रही हैं। जिसमें प्राथमिक कुंडली के सामने या पास में द्वितीयक कुंडली को भी रखा गया है। चित्र में आपको Positive & Negative के चिन्ह व नीचे B लिखा हुआ दिखाई दे रहा है।
यहां पर Battery को लगाया गया है। इसकी के पास में एक S नाम की कुंजी लगी हुई है। यह कुंजी धारा को आगे जाने व रोकने के लिए उपयोग में लाई जाती है।
जब कुंजी को बंद किया जाता है, तब बैटरी की धारा (Current) आगे जाती है और जब इसको खोल दिया जाता है, तब धारा आगे नहीं जा पाती है।
आपको Battery के पास में ही एक R नाम लिखा हुआ दिखाई दे रहा होगा। R प्रतिरोध का प्रतीक है यहां पर धारा के मान को परिवर्तित करने के लिए प्रतिरोध (Resistance) लगाया गया है।
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अब हम इसके Process के बारे में बात करते हैं। सबसे पहले प्राथमिक कुंडली (Primary Coil) S कुंजी को बंद करते हैं। कुंजी के बंद होते ही Primary Coil में धारा (I) बहने लगती है। इसके बाद Primary Coil में लगते प्रतिरोध R का मान बदलकर बह रही धारा को परिवर्तित करते हैं।
जिससे प्राथमिक कुंडली (Primary Coil) में परिवर्तित धारा (Current) बहने लगती है। जिससे कुंडली से सम्बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स (Magnetic Flux) के मान में परिवर्तन होता है, जिससे द्वितीयक कुंडली (Secondary Coil) में प्रेरित विद्युत वाहक बल (EMF) उत्पन्न हो जाता है।
द्वितीयक कुंडली (Secondary Coil) में प्रेरित विद्युत बल उत्पन्न होने पर, कुंडली में लगे धारामापी (G) में विक्षेप उत्पन्न होता है।
Galvanometer/धारामापी में विक्षेपण होने पर ही हमें पता लगता है, कि द्वितीय कुंडली में धारा प्रवाहित हुई है। यदि Primary Coil में नियत धारा का मान प्रवाहित हो तो द्वितीय कुंडली में लगे धारामापी में कोई विक्षेप नहीं आयेगा।
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यदि प्राथमिक कुंडली (Primary Coil) में परिवर्तित धारा (Current) का मान बढ़ाया जाए, तब धारामापी में अधिक विक्षेप प्राप्त होगा। द्वितीयक कुंडली (Secondary Coil) में उत्पन्न प्रेरित धारा की दिशा इस प्रकार की होती है कि यह सम्बद्ध फ्लक्स (Flux) में परिवर्तन/बदलाव का विरोध करती है।
Mutual Induction QNA
1.अन्योन्य प्रेरण गुणांक का मात्रक क्या होता है।
इसका मात्रक हेनरी होता है।
2.अन्योन्य प्रेरण गुणांक का विमीय सूत्र
ML 2 T -2 A -2
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