
अनीलिंग क्या है? इसके प्रकार
यह एक प्रक्रिया है, इसमें धातु या जॉब को नर्म बनाया जाता है। यह दो विधियों से की जाती है। दोस्तों, मेरी वेबसाइट में आपका स्वागत है, मैंने इस पोस्ट में अनीलिंग क्या है? इसके प्रकार व उद्देश्य आदि के बारे में बताया है। यदि आप जानकारी पाना चाहते हो तो पोस्ट को पूरा पढ़ें।
अनीलिंग क्या है?

“ऊष्मा उपचार की वह विधि जिसकी सहायता से किसी जॉब या धातु में आए विरूपण या आन्तरिक प्रतिबल को समाप्त किया जाता है, उस प्रक्रिया को अनीलिंग (Annealing) कहते हैं।”
अनीलिंग के प्रकार
यह उपयोग के आधार पर दो प्रकार के होते हैं-
1.प्रोसेस अनीलिंग
इस विधि का उपयोग धातुओं में कोल्ड वर्किंग के कारण आई कठोरता को दूर करने के लिए किया जाता है। इसमें धातु को नर्म बनाया जाता है। यह एक सब क्रिटिकल अनीलिंग प्रक्रिया है।
इसमें सबसे पहले धातु को लोअर क्रिटिकल तापमान तक गर्म किया जाता है, इसके बाद धातु को रूम टम्परेचर या पानी में धीरे-धीरे ठण्डा किया जाता है।
जब स्टेनलैस स्टील व पीतल की अनीलिंग करनी होती है, तब स्टेनलैस स्टील व पीतल को लाल गर्म किया जाता है। इसके बाद स्थिर हवा में ठण्डा किया जाता है, जिससे यह धातु नर्म हो जाती है।
जब कॉपर व एल्युमीनियम की अनीलिंग करनी होती है, तब कॉपर व एल्युमीनियम को लाल गर्म किया जाता है। इसके बाद पानी में ठण्डा किया जाता है, जिससे यह धातु नर्म हो जाती है।
2.फुल अनीलिंग
इस विधि में धातु को पहले क्रिटिकल रेंज तक गर्म किया जाता है, इसके बाद भट्टी में धीरे-धीरे ठण्डा होने के लिए छोड़ दिया है। यदि भट्ठी में कोई आवश्यक कार्य हो तो धातु को भट्टी से निकालकर रेत या राख या चूने के पाउडर से ढक दिया जाता है। जिससे धातु की ठण्डी होने की दर कम रहती है। जिससे धातु नर्म हो जाती है। इस विधि में धातु अपने मूल गुण प्राप्त कर लेती है।
जिन धातुओं में 0.83% से अधिक कार्बन होता है, तो उनको 723°C से 1130°C तक गर्म किया जाता है। और जिन धातुओं में 0.83% से कम कार्बन होता है, तो उनको 723°C से 910°C तक गर्म किया जाता है। इनको कुछ समय के लिए इनके आवश्यक तापमान छोड़ दिया जाता है। इसके बाद इनको धीरे-धीरे ठण्डा किया जाता है। जिसे धातु अपना मूल गुण प्राप्त कर लेती है।
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अनीलिंग करने के उद्देश्य
- धातुओं की आंतरिक संरचना में आई विकृति या विरूपण को समाप्त करना।
- कास्टिंग के समय धातुओं के अंदर रह गई गैसों को बाहर निकाला।
- जॉब या धातु के यान्त्रिक गुणों का विकास करना।
- जॉब या धातु की कठोरता कम करना।
- धातु के ग्रेन साइन का रिफाइन करना।
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