एक ट्रांजिस्टर के सिरे (terminals) मुखयतः तीन होते हैं, जो कि तीन क्षेत्रों (regions) क्रमशः उत्सर्जक (Emitter), आधार (Base) तथा संग्राहक (collector) से जुड़े होते हैं। ट्रांजिस्टर की कार्य प्राणाली ३ सिरों वजह से ही संचालित हो पति है। आजकल ज्यादातर इलेक्ट्रिक उपकरणों में इन्ही ट्रांजिस्टर का उपयोग किया जाता है। यह बहुत ही सस्ते होते हैं और आकार में भी छोटे होते है।
ट्रांजिस्टर का पहला सिरा: उत्सर्जक (Emitter, E)
ट्रांजिस्टर के सिरे का यह ट्रांजिस्टर का बायां क्षेत्र होता है,एवं इसका मुख्य कार्य अतिसंख्यक आवेश वाहकों की पूर्ति (supply) करना होता है। N-P-N के लिए इलेक्ट्रॉन (electrons) अतिसंख्यक आवेश, वाहक (majority charge carriers) होते हैं। P-N-P के लिए कोटर (holes) अतिसंख्यक आवेश वाहक होते हैं।
उत्सर्जक (E) को आधार (B) के सापेक्ष सदैव अग्र बायस (forward bias) अवस्था में रखा जाता है जिससे कि यह आधार (B) में अतिसंख्यक आवेश वाहकों की पूर्ति आसानी से कर सके। उत्सर्जक (E) की डोपिंग सदैव अत्यधिक मात्रा में की जाती है ताकि यह अत्यधिक मात्रा में ही आवेश वाहकों की पूर्ति कर सके ।
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ट्रांजिस्टर का दूसरा सिरा: संग्राहक (Collector, C)
इसका मुख्य कार्य अतिसंख्यक आवेश वाहकों (Majority Charge Carrier) को इकट्ठा करना होता है। संग्राह को पश्च बायस अवस्था में जोड़ा जाता है।
ट्रांजिस्टर का तीसरा सिरा: आधार (Base, B)
यह ट्रांजिस्टर का मध्य भाग होता है एवं इसकी डोपिंग (doping) अत्यधिक कम रखी जाती है तथा इसे उत्सर्जक तथा संग्राहक की तुलना में पतला (लगभग um क्रम का) रखा जाता है ताकि यह लगभग सारे आवेश वाहकों को संग्राहक में भेज सके।
यहां यह जानना आवश्यक हैं कि उत्सर्जक (E) तथा संग्राहक (C) का आपस में स्थान परिवर्तन नहीं किया जा सकता (अर्थात् E के स्थान पार C अथवा C के स्थान पर E) क्योंकि भौतिक रूप से सग्राहक (C) का आकार, उत्सर्जक (E) की तुलना में अधिक होता है। संग्राहक का आकार अधिक रखने का मुख्य कारण यह है कि ट्रांजिस्टर के कार्य करते समय संग्राहक संधि पर अत्यधिक ऊष्मा (heat ) उत्पन्न होती है जिसे अवशोषित करना अतिआवश्यक होता है। नीचे चित्र में ट्रांजिस्टर के चिन्ह दर्शाए गए हैं जिनमें तीर का निशान सदैव उत्सर्जक (Emitter) सिरे पर दर्शाया जाता है तथा इसकी दिशा, धारा प्रवाह की दिशा को दर्शाती है।
P-N-P ट्रांजिस्टर में धारा प्रवाह E से B की तरफ होता है और N-P-N ट्रांजिस्टर में धारा प्रवाह B से E की तरफ होता है।